मिशन 2019 से पहले,कांग्रेस की आंधी
मिशन 2019ः तीन राज्यों में सियासी हार से मोदी समर्थकों में बढ़ी बेचैनी, बिना महागठबंधन के राहुल के नेतृत्व में पार्टी की बड़ी जीत से कांग्रेस में जबरदस्त उत्साह,उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों पर भी असर डालेंगे नतीजे,मोदी-योगी-शाह की तिकड़ी पर भारी पड़े आरजी
देहरादून। मिशन 2019 का सियासी आगाज होने से पहले ही सत्तासीन भाजपा के लिये खतरे की घंटी बजने लगी है। पांच राज्यों में हुए विस चुनाव के नतीजों के बाद पूरे देश का सियासी मिजाज बदल सा गया है। भाजपा शासित राज्यों में हुए चुनावों के नतीजे हर किसी को चौकाने के साथ ही सियासी पंडितों को भी सोचने पर मजबूर कर रहे है कि आखिर मोदी राज में देश का ‘पप्पू’ पास कैसे हो गया। केंद्र में मोदी सरकार काबिज होने के बाद कांग्रेस वेंटिलेटर पर पड़ी हुई है जबकि तमाम विपक्षी दलों का महागठबंधन भी अभी मुट्ठी बंधी भी नहीं थी कि सिर्फ कांग्रेस के पंजे ने ही अकेले दम पर कमल के खिलाफ अपना कमाल दिखा दिया। जिस प्रकार भाजपा देश से कांग्रेस मुक्त भारत का नारा लगाकर कांग्रेस विरोधी महौल बनाने में सफल भी हो चली थी कि पांच राज्यों के चुनाव परिणामों ने तीन तीन बार की सत्तासीन भाजपा को न सिर्फ सत्ता से बेदखल करने में सफलता पायी बल्कि कांग्रेस को सत्ता में वापसी भी करा दी। तीन राज्यों में सबसे बड़ी जीत छत्तिसगढ़ में दिखी है। जबकि भाजपा के शिवराज का किला भी ध्वस्त करते हुए यहां कांग्रेस कांटे के मुकाबले से जीती है। राजस्थान का सियासी गढ़ भी भाजपा से छीनते हुए कांग्रेस ने अपनी सरकार बनाने का रास्ता बनाया है। इस प्रकार तीन राज्यों में कांग्रेस सुप्रीमो राहुल गांधी का धुंआधार प्रचार भी असर छोड़ गया है कि अब आगामी लोकसभा के चुनाव यानी मिशन 2019 का आगाज कांग्रेस के लिये बेहद उत्साहित करने वाले है। देश में सत्ताीन मोदी सरकार के बावजूद तीन सियासी किलों को के ध्वस्त होने से भाजपा के साथ मोदी समर्थकों में भी भारी बेचैनी बढ़ गई है। माना जा रहा है कि कांग्रेस अब आगामी लोकसभा चुनाव के लिये पूरी ताकत के साथ भाजपा से भिड़ेगी। जबकि महा गठबंधन के विकल्प को भी कांग्रेस की जीत से नई ऊर्जा मिली है। जिस प्रकार देश के विपक्षी दलों के महागठबंधन के विकल्प को लेकर भाजपा हाईकमान चिंतित दिखता है और खुद को अकेला महारथी दर्शाते हुए पीएम मोदी कांग्रेस के खिलाफ ही कड़े और तीखे प्रहार करते आये हैं। इसके बावजूद कांग्रेस की सियासी वापसी के भी मायने निकाले जाने लगे है। कांग्रेस का यह जबरदस्त प्रदर्शन ऐसे समय में हुआ है जब केंद्र की नहीं अपितु देश के दो दर्जन से भी अधिक राज्यों में भाजपा का शासन चल रहा है। इससे भी बड़ा तो यह है कि नये वर्ष की शुरूआत होते ही मिशन 2019 के लोकसभा चुनाव का आगाज भी हो जायेगा। जिसमें कांग्रेस सधे हुए अंदाज में मुकाबला करती दिखेगी। क्योंकि इस बार कांग्रेस में जहां वापसी का दबाव होगा वहीं पिछली हार के नुकसान की भरपायी करने की चुनौती भी। गौर हो कि पिछले लोकसभा के चुनाव में मोदी की आंधी आयी और कांग्रेस को तबाह कर दिया था। हांलाकि तब देश में भ्रष्टचार, महंगाई व विदेशों में जमा देश का कालाधन वापिस लाने के साथ ही कई जनमुद्दों को लेकर जनता परेशान थी। इसी ऐंटी इनकमबैक्सी को भुनाते हुए भाजपा सत्ता में आ गई थी। वहीं देश में मोदी लहर की बदौलत भाजपा अब अब तक पिछले साड़े चार वर्षों में जितने भी विधानसभाओं के चुनाव हुए उसमें कांग्रेस मुक्त भारत का नारा लगाने के साथ ही उसे साकार भी करती दिखी। कई राज्यों में भाजपा ने सरकार बनाने सफलता भी पायी है जहां कांग्रेस की सरकारे सत्ता पर बैठी थी। हांलाकि लगातार कई राज्यों में सत्ता गंवाने के साथ ही पार्टी का लचर प्रदर्शन राहुल गांधी के साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल को भी कमजोर कर रहा था। हांलाकि कर्नाटक विस चुनाव में कांग्रेस का उलटफेर भाजपा को सत्ता में आने से रोकने में सफल रहा। यहां लंबी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस गठबंधन की सरकार बन चुकी है। वहीं अन्य राज्यों जैसे हिमाचल,उत्तराखंड,उत्तर प्रदेश, बिहार,हरियाणा,गुजरात में भाजपा की सरकार बनाने में मोदी लहर छायी रही। देश में सियासी महौल पूरी तरह से भाजपा के पक्ष में दिखाई दे रहा था। इधर पांच राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद भाजपा हाईकमान ने भी अपनी बुरी हार और कांग्रेस की वापसी पर मंथन करना शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि देश की शीर्ष अदालत में चल रहे बहुप्रतीक्षित श्री राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार की चुप्पी और आरएसएस समेत तमाम हिंदूवादी संगठनों की मांगों को अनसुना करना भी भाजपा के लिये हार का सबे बड़ा कारण रहा है। हांलाकि मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के कारण सरकार और खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने अब तक खुलकर कुछ नहीं बोला है। लिहाजा तीन राज्यों में भाजपा को सत्ता से बेदखल करना कहीं न कहीं जनता में लोकप्रिय हो रहे पीएम मोदी के प्रति विश्वास डोलने जैसा प्रतीत हो रहा है। आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को दोबरा सत्ता में आने के लिये कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है क्योंकि 2019 से पहले आयी कांग्रेस की इस आंधी को रोकना मुश्किल हो सकता है। मोदी शाह की जोड़ी भी इस बार बड़ा उलटफेर नही कर पायी। हर चुनाव की तरह इस बार भी खुद पीएम नरेंद्र मोदी, भाजपा सुप्रीमो अमित शाह और यूपी के सीएम आदित्यनाथ योगी ने कांग्रेस के खिलाफ जमकर प्रचार किया था। इसलिये यह भी संकेत दिखने लगे है कि आखिर अचानक देश का मूड मोदी योगी और शाह के प्रति कैसे बदल गया। भाजपा अपने तीन दिग्गजों के प्रचार के बावजूद तीन राज्यों में अपनी सियासी जमीन पर वापसी तो दूर उसे बचा तक नहीं पायी। जबकि कांग्रेस मुक्त भारत का नारा लगाते लगाते वह खुद ही तीन राज्यों में एक साथ सत्ता से मुक्त हो गई है।
मोदी-योगी-शाह की तिकड़ी पर भारी पड़े आरजी
देहरादून। पांच राज्यों में विस चुनाव के नतीजे आने के बाद उत्तराखंड में भी सियासी गरमाहट बढ़ गई है। पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी की आंधी से प्रदेश की पांचों लोकसभा सीटों पर भाजपा ने परचम लहराया था। इस बार भी मोदी का मैजिक उसी तरह चल पायेगा य अंदेशा अब संशय में बदल गया है। क्योंकि जिस प्रकार तीन बड़े राज्यों में हर बार सत्ता में रहने वाली भाजपा की सरकारों के खिलाफ जनता का मूड बदल चुका है। पीएम मोदी ने चुनावी सभा में अक्सर यही कहते रहे कि अब देश में कांग्रेस का सफाया होगा मगर ऐसा नहीं हुआ। वहीं भाजपा सुप्रीमो अमित शाह भी राहुल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर खुशी जता चुके है कि अब तो कांग्रेस का पतन शुनिश्चत हो जायेगा। शाह का यह दावा भी उलटा पड़ गया है। वहीं योगी ने कहा था कि देश को भ्रष्टाचार मुक्त शासन सिर्फ भाजपा दे सकती है, कांग्रेस भ्रष्टाचार की जननी है। लेकिन योगी का यह दावा महज सियासी बयानबाजी भर ही रह गया है। प्रदेश में अब देखना दिलचस्प यह होगा कि आखिर 2019 में मोदी-योगी-और शाह की जोड़ी कांग्रेस मुक्त भारत बनाने के लिये आरजी को रोकने में सफल होती है या नहीं।
कांग्रेस नहीं भाजपा मुक्त की शुरूआत हुई: हरदा
हल्द्वानी । पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत तीन राज्यों में कांग्रेस की जीत से उत्साहित हैं। पीएम मोदी ने कांग्रेस मुक्त भारत की बात की थीं। उनकी जनविरोधी नीतियों ने कांग्रेस तो नहीं भाजपा मुक्त की स्थिति शुरू कर दी है। कांग्रेस किसी को मुक्त नहीं करना चाहती। उन्होंने कहा कि चुनाव में जीत-हार लगी रहती है। राजनीति से जुड़े लोगों को अपने धार्म का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का विकल्प राहुल गांधी हैं। तीन राज्यों में कांग्रेस जीती है और जनता अब बदलाव के मूड में है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का आदेश होगा तो नैनीताल-ऊधमसिंह नगर सीट से चुनाव लड़ूंगा।