फिर बैकफुट पर सरकार!!कांग्रेस का संघर्ष या भाजपा का ‘मैजिक’
मलिन बस्तियों के बाद अब नजूल,तालाब के कब्जेदारों को मिलेगी राहत,कांग्रेस भी उतरी थी सड़कों पर, कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने सदन में किया बड़ा ऐलान
@ Narendra Baghari (Narda)
अब नहीं चलेगा अतिक्रमण हटाओ अभियान
देहरादून। सूबे में प्रदेश सरकार ने के शहरी क्षेत्रों में चलाये जा रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान को रोकने का ऐलान किया गया है। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि अतिक्रमण हटाओ अभियान कालोनियों में नहीं चलेगा और न ही नजूल की भूमि पर बसे लोगों को हटाया जाएगा। अतिक्रमण अभियान को लेकर सरकार लगातार कांग्रेस व अन्य दलों के हमले झेलती रही है। शुक्रवार को सदन में भी यह मामला उठा तो सरकार की ओर से यह जवाब आया। कौशिक ने विधानसभा सत्र के दौरान नियम-58 में र्चचा के दौरान सदन को इसके लिए आास्त किया। उन्होंने कहा कि सरकार को जनहित याचिका दायर होने के बाद कोर्ट के आदेश के बाद यह कार्रवाई करनी पड़ी थी। इसके बाद सरकार मलिन बस्तियों को लेकर अध्यादेश भी लायी। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों की दिक्कतों को बखूबी समझती है, लेकिन कोर्ट के आदेश का अनुपालन कराना भी सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि जहां तक हरिद्वार और अन्य शहरों में तालाबों की बात है, वहां बसे लोगों के लिए जिलाधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं। वे उनकी पूरी स्थिति को समझकर सरकार को बतायें। उन्होंने कहा कि सरकार किसी को अनावश्यक परेशान नहीं करना चाहती है, लेकिन मुख्य मार्गाे के अतिक्रमण को तो हर हाल में हटाया जाना है। इस मामले को सदन में कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने काम रोको प्रस्ताव के तहत दिया था। पूर्व में मलिन बस्तियों को बचाने के लिये सड़कों पर उतरने वाली कांग्रेस के विरोध के बाद एक बार फिर शहरी क्षेत्रों में चलाये जा रहे वर्षों से काबिज लोगों को उजाड़ने का विरोध करते हुए सरकार को बैकफुट पर आने को मजबूर कर दिया। मलिन बस्तियों को बचाने के लिये सरकार अध्यायादेश ला चुकी है वहीं अतिक्रमण हटाने के मुद्दे पर प्रीतम ने इस बात पर कड़ी आपत्ति की कि अधिकारी लोगों को भ्रमित कर रहे हैं और वर्ष 1950 के नक्शे के आधार पर लोगों के निर्माण तोड़े गये। उन्होंने इस बात पर भी नाराजगी जतायी कि अधिकारी मनमाने तरीके से ध्वस्तीकरण कर रहे हैं। प्रीतम ने नेहरू कालोनी में की जा चुकी कार्रवाई को पर्याप्त बताते हुए अब कार्रवाई न करने की मांग की। उन्होंने कहा कि जब सब कुछ कोर्ट को ही करना है तो सदन और सरकार की क्या जरूरत है। ममता राकेश ने कहा कि चुनाव के चलते अभियान रुका था। अब शुरू होगा, इसलिए सरकार अध्यादेश लाकर इसे रोके। फुरकान अहमद ने हरिद्वार में एक रामपुर कस्बे को जाने वाली रोड पर एक अतिक्रमण का जिक्र किया तो कौशिक ने साफ कहा कि अतिक्रमण हटेगा तो पूरी रोड से हटेगा। सदन के भीतर सरकार के इस आश्वासन से फिलहाल कालोनियों में कार्रवाई का संकट टलता दिख रहा है। वहीं आगामी चुनाव को देखते हुए प्रदेश की भाजपा सरकार ने पहले मलिन बस्तीवासियों को बचाने के लिये अध्यादेश का सहारा लिया है वहीं अब एक बार फिर शहरी क्षेत्रों में भी हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार ने अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाने से अपने कदम पूरी तरह से पीछे खींचने का ऐलान कर दिया है। सरकार का यह निर्णय भले ही भाजपा के लिये कुछ सहानुभूति भरा हो सकता है मगर शीतकालीन सत्र में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने अतिक्रमण के मुद्दे को जोरशोर से उठाकर प्रभावितों को बचाने के लिये संघर्ष करने का मैसेज भी दे दिया। उल्लेखनीय है कि प्रदेशभर में अतिक्रमण प्रभावित क्षेत्रों में भी सरकार के खिलाफ तीव्र रोष व्याप्त हो रहा है। बड़ी सफलता भी हासिल करने जैसा है। दिसंबर 2012 में मनमोहन लखेड़ा ने अतिक्रमण को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। मई 2013 में यह स्वीकार हुई और जून में अतिक्रमण हटाने के लिए आंशिक कार्रवाई हुई। इसके बाद मामला लटक गया था। 2014 में फिर कोर्ट ने बंटू शर्मा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया और कुछ समय तक फिर अभियान चला। इसके बाद प्रशासन ने 80 फीसद अतिक्रमण हटाने का शपथ पत्र कोर्ट में दिया। इस मामले में कोर्ट ने असलियत जानी तो फिर इसी साल 18 जून को फाइनल आदेश करते हुए निर्देश दिया कि जितना भी अतिक्रमण है, चार हफ्ते में हटाते हुए कोर्ट को अवगत कराया जाए, नहीं तो मुख्य सचिव व जिलाधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट के फरमान के बाद अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश की निगरानी में प्रशासन ने ताबड़तोड़ अतिक्रमण हटाया। इसी बीच मलिन बस्तियों का मामला आया तो सरकार ने अध्यादेश लाकर बस्तियों में कार्रवाई को रोकने का रास्ता निकाल लिया था। गौर हो कि पिछले दिनों देहरादून के प्रेमनगर में भारी संख्या में व्यापारिक प्रतिष्ठानों को जेसीबी मशीनों से उजाड़ दिया गया था। जबकि प्रदेश के विभिन्न शहरी जनपदों में भी बाजार क्षेत्र में अतिक्रमण हटाओ अभियान जोरशोर से चलाया गया। इस अभियान की जद में कई आवासीय भवन भी आये है। जबकि हजारों व्यापारियों का व्यापार पूरी तरह से चैपट हो गया है। अभियान को रोकने के लिये कई बार सरकार से मांग की गई मगर कोर्ट के आदेश का हवाला देकर जिला प्रशासन के अफसर ध्वस्तीकरण अभियान चलाते रहे। कभी सरकार तो कभी संगठन के लोगो ने भी अभियान का विरोध किया जबकि कईनेताओं ने तो अपना अतिक्रमण खुद भी हटाया। इतना ही नहीं कोर्ट के आदेश के बावजूद अतिक्रमणकारियों कभी बचाने तो कभी उजाड़ने का खेल चलता रहा। अब तक सरकार की तरफ से महज आश्वासन दिया जा रहा है जबकि कानूनी राय लेने के लिये रणनीति धरातल पर नहीं दिख रही है। दूसरी तरफ विपक्षी दल कांग्रेस भी इस मुद्दे को लेकर लगातार सरकार के खिलाफ हमलावर रही। समझा जा रहा है कि आम चुनाव से पहले जनता और विपक्ष के विरोध से सहमी सरकार ने बैकफुट पर आने का मन बना लिया है ताकि उसे भविष्य में कोई सियासी नुकसान का सामना भी नहीं करना पड़े अपितु आश्वासन के सहारे सहानुभूति भी मिल सके। बहलहाल अब शहरी विकास मंत्री ने पूरे प्रदेश मे अभियान को रोकने का ऐलान किया गया है जिसके बाद प्रभावित होने वाले लोग राहत की सांस जरूर ले रहे है।
नजूल के कब्जेदारों को भी बचायेगी सरकार
रूद्रपुर। नूजल भूमि पर काबिज हजारों परिवारों को उजाड़े जाने का आदेश के बाद क्षेत्र के लोगों में भय का माहौल व्याप्त है। हांलाकि पूर्व में सरकार द्वारा आश्वसन दिया गया है कि नजूल भूमि पर अतिक्रमण नहीं हटाया जायेगा। अब एक बार फिर सदन में शहरी विकास मंत्री ने विपक्ष की मांग पर सरकार की राय जता दी है। उनका साफ कहना है कि अब कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार किसी भी बस्ती और कालोनियों में अतिक्रमण तब तक नहीं हटायेगी जब तक स्थानीय जिला प्रशासन का सर्वे रिपोर्ट नहीं आ जाती। उनका हना था कि हाईवे के किनारे और सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण को हटाने के लिये सरकार तैयार है। लेकिन नजूल भूमि के साथ ही गली मोहल्लों में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान नहीं चलाया जा सकता है। कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक के आश्वासन के बाद प्रदेश के व्यापारियों के साथ ही कब्जेदारों को फौरी राहत मिलती दिख रही है। बहरहाल हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिये भी सरकार सुप्रीम कोर्ट में जाने का मन बना चुकी है।