निर्दलों के भरोसे भाजपा और कांग्रेस का बहुमत
निगम बोर्ड का गठन: पूर्ण बहुमत जुटाने के लिये जोड ़तोड़ की होड़,सिर्फ दून में भाजपा को बहुमत,चार नगर निगमों में भाजपा का तो दो में कांग्रेस का नहीं मिला पूर्ण बहुमत
देहरादून। प्रदेश के नगर निगमों और नगर पालिकाओं में मेयरों व पार्षदों सभासदों की शपथ के साथ ही कई नगर निकायों के कई बोर्डाे में के लिए लिए भाजपा और कांग्रेस दोनो ने निर्दलीय पार्षदों पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं। इसे लेकर दोनो के बीच रस्साकशी शुरू भी हो गई है। दरअसल प्रदेश के साथ नगर निगमों में से मेयर पद पर पांच में भाजपा को और दो में कांग्रेस को जीत हासिल हुई है। लेकिन चार नगर निगमों में भाजपा का पूर्ण बहुमत नहीं है तो दो में कांग्रेस का बहुमत नहीं है। ऐसे में दोनो दलों ने निर्दलीयों को अपने पक्ष में करने के दावे भी शुरू कर दिए हैं। कांग्रेस के लिए हरिद्वार नगर निगम में बहुमत टेढ़ी खीर है क्योंकि वहां भाजपा का बहुमत है। इन स्थितियों में आने वाले दिनों नगर निकायों में बड़ी उठा-पटक होने की संभावनाएं हैं। इस बार न चुनाव में इस बार यानी 84 नगर निकायों में मेयर व अध्यक्ष पदों पर 34 भाजपा, 25 कांग्रेस और 24 निर्दलीय और एक पर बसपा ने जीत हासिल की है वहीं इन निकायों के 1064 वार्डांे में 551 पर निर्दलीय , 323 भाजपा, 182 कांग्रेस , चार बहुजन समाज पार्टी, दो आम आदमी पार्टी , एक उत्तराखंड क्रांति दल और एक समाजवादी पार्टी ने जीती है। निर्दलीयों के अपने पाले में होने का दावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह पहले ही कर चुके हैं उनका दावा है कि 241 निर्दलीय कांग्रेस के साथ आ गए हैं क्योंकि उनमें से अधिकांश कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी थे ,इसी के साथ कांग्रेस के पास 423 पार्षद व सभासद हो गए हैं। वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट भी दावा कर रहे हैं कि भाजपा नगर निकायों में सहज स्थिति में है क्योंकि बड़ी संख्या में निर्दलीय उनकेपाले में आ रहे हैं। नगर निगम बोर्ड में सामान्य प्रस्ताव भी पारित करने के लिए पचास फीसद सदस्यों का समर्थन चाहिए। प्रदेश मे केवल एक नगर निगम यानी देहरादून नगर निगम ऐसा है जहां भाजपा का प्रत्याशी जीता है और भाजपा को ही बहुमत मिला है। देहरादून नगर निगम में भाजपा के सुनील उनियाल गामा मेयर बने हैं। यहां के कुल 100 सदस्यों में से 60 भाजपा के हैं जबकि 34 कांग्रेस के है। शेष छह पार्षद निर्दलीय हैं। बहरहाल , अभी केवल उन छह नगर निगमों की एक-एक कर बात की जाए जहां मेयर अलग पार्टी का व बहुमत दूसरी पार्टी का है तो कोटद्वार में मेयर पद कांग्रेस की हेमलता नेगी ने जीता है लेकिन यहां कुल 40 पार्षदों में से कांग्रेस के 13 ही हैं जबकि भाजपा के 12 हैं और निर्दलीय 15 हैं। यहां बहुमत निर्दलीयों के भरोसे है। हरिद्वार नगर निगम में कांग्रेस की अनीता शर्मा मेयर बनी हैं। यहां कुल 60 पार्षदों में कांग्रेस के 19 तो भाजपा के 33 हैं जबकि अन्य केवल आठ । ऐसे में कांग्रेस के लिए यहां बोर्ड चलाना टेढ़ी खीर साबित होगा। ऋषिकेश नगर निगम में भाजपा की अनीता ममगाई मेयर बनी हैं। यहां कुल 40 सदस्यों में से भाजपा के 15, कांग्रेस केदस और 15 निर्दलीय हैं यानी भाजपा बहुमत के लिए निर्दलीयों के भरोसे है। हल्द्वानी नगर निगम में भाजपा के जोगेंद्र सिंह रौतेला दोबारा जीते हैं। यहां के बोर्ड के कुल 60 सदस्यों में से केवल 20 भाजपा के हैं। यहां 39 निर्दलीय हैं जबकि एक उक्रांद का सदस्य है। रुद्रपुर में भाजपा के रामपाल मेयर बने हैं। यहां कुल 40 सदस्यों में से भाजपा के 17, कांग्रेस के 17 और निर्दलीय छह हैं। यानी भाजपा व कांग्रेस में कांटे का मुकाबला है। काशीपुर में भी भाजपा की उषा चैधरी मेयर हैं। इस नगर निगम के बोर्ड में 15 भाजपा के, सात कांग्रेस के और अन्य 18 हैं। इन स्थितियों में दोनो दल निर्दलीयों को अपने पाले में करने में जुटे हैं। अब देखना यह है कि वे किस तरह बोर्डाे के सुचारु संचालन के लिए बहुमत का जुगाड़ करते हैं।
@Narendra Baghari Narda