केरोसिन घोटाले के खिलाफ आवाज उठाई तो कर दिया डिपो निरस्त

गहरी हैं डीजल घोटाले की जड़ें, पूर्ति विभाग, थोक विक्रेता और सस्ता गल्ला विक्रेताओं की मिलीभगत से चल रहा है तेल का खेल

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रुद्रपुर।कैरोसिन घोटाले की जड़ें लगातार गहरी होती जा रही है। पूर्ति विभाग, कैरोसिन के थोक विक्रेता और राशन डिपो संचालकों की मिलीभगत से हर माह लाखों का कैरोसिन ठिकाने लगाया जा रहा है लेकिन आला अधिकारी इसे लेकर खामोश है।आलम यह है कि इस गड़बड़झाले के खिलाफ एक राशन डिपो संचालक ने आवाज उठाई तो उसका डिपो ही निरस्त कर दिया गया। एक अन्य व्यक्ति ने आरटी आई के माध्यम से जब कैरोसिन वितरण के रजिस्टरों की डिटेल मांगी तो उसे सूचना मिलने के बजाय धमकियां मिली। सरकारी कैरोसिन को ठिकाने लगाने का काम एक दो माह से नहीं बल्कि पिछले करीब चार वर्षों से चल रहा है। शुरूआत में थोड़ा कैरोसिन राशन कार्ड धारकों को बांटा भी जाता था। हद तो तब हो गयी जब गरीबों के हिस्से का पूरा का पूरा कैरोसिन भ्रष्टाचारी पीने लगे। आलम यह है कि कई स्थानों पर पिछले दो तीन वर्षो से राशन कार्ड धारकों को एक बूंद भी कैरोसिन नहीं मिला। डिपो संचालक केरोसिन के बारे में पूछने पर राशन कार्ड धारकों को यह कहकर टरका कर देते हैं कि ऊपर से कैरोसिन आना बंद हो गया है। धीरे धीरे अब आलम यह हो गया है कि कार्ड धारकों ने कैरोसिन की उम्मीद रखना ही छोड़ दी है। राशन कार्ड धारकों को तो कैरोसिन नहीं दिया जाता लेकिन दूसरी तरफ कार्ड धारकों को कैरोसिन बांटे जाने की एंट्री हर माह रजिस्टर में जरूर होती हैं रजिस्टरों में फर्जी एंट्री के माध्यम से ही कैरोसिन को ठिकाने लगाया जाता है। आरटीआई से कुछ डिपो संचालकों के रजिस्टरों की डिटेल मिली तो पता चला कि उनके रजिस्टर के हिसाब से कैरोसिन राशन कार्ड धारकों को बांटा गया है। जबकि उसी क्षेत्र के कार्ड धारकों से संपर्क किया गया तो वहां पता चला कि कैरोसिन उन्हें मिला रही नहीं है। इससे साफ होता है कि कैरोसिन सिर्फ कागजों में ही बांटा जा रहा है। आलम यह है कि कैरोसिन घोटाले के खिलाफ जब संजय नगर खेड़ा के सस्ता गल्ला विक्रेता मुकेश कुमार ने आवाज उठाई तो उसका डिपो ही निरस्त कर दिया गया। मुकेश कुमार ने अब इस मामले में आरटीआई के माध्यम से तमाम जानकारियां जुटाकर न्यायालय की शरण लेने की तैयारी कर ली है। मुकेश का कहना है कि इस सम्बध में उन्होंने डीएम से भी लिखित शिकायत की है। उनका कहना है कि इस मामले में जल्द कार्रवाई नहीं की गयी तो डिपो संचालकों क माध्यम से राशन कार्डों में भी कैरोसिन वितरण की फर्जी एंट्रियां की जा सकती है। उनका कहना है कि कैरोसिन घोटाले की तह तक जांच होनी चाहिए और तब तक ऐसे गल्ला विक्रेताओ का खाद्यान्न आवंटन रोका जाना चाहिए। मुकेश के मुताबिक वह पिछले करीब छह माह से इस घोटाले के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं लेकिन अभी तक मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। दूसरी तरफ पहाड़गंज निवासी हरदेव सिंह ने इस मामले में जब आवाज उठाने का प्रयास किया तो उन्हें पूर्ति विभाग के एक अधिकारी की ओर से धमकियां दी गयी। हरदेव का आरोप है कि उन्होंने आरटीआई के माध्यम से कैरोसिन वितरण से संबंधित रजिस्टरो की डिटेल मांगी थी इसके लिए वह तीन माह से चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उन्हें आरटीआई से सूचना देने के बजाय धमकी दी जा रही है। हरदेव ने बताया कि इसकी लिखित शिकायत उन्होंने एडीएम जगदीश कांडपाल से भी की है। लेकिन अभी तक उन्हें रजिस्टर की डिटेल नहीं मिली है और न ही धमकी देने वाले अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई की गयी है। हरदेव का कहना है कि इस गड़बड़झाले के खिलाफ जो भी गल्ला विक्रेता मुंह खोलता है उसका डिपो निरस्त कर दिया जाता है। डिपो निरस्त करने के मामले में जिला पूर्ति अधिकारी श्याम आर्या से पूछने पर उन्होने कहा कि संजयनगर के डिपो संचालक के खिलाफ शिकायतें मिली थी जांच में शिकायतें सही पाये जाने पर डिपो निरस्त किया गया। राशन कार्ड धारकों को कैरोसिन वितरण नहीं होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से कैरोसिन शासन से ही प्राप्त नहीं हो रहा है। जिन राशन कार्ड धारकों के घरों में बिजली और रसोई गैस के कनेक्शन हैं वहां पर कैरोसिन नहीं दिया जाता है।

घोटाले के खिलाफ हाईकोर्ट जायेंगेः मुकेश

रूद्रपुर। संजय नगर खेड़ा निवासी मुकेश कुमार का कहना है कि उन्होंने कैरोसिन वितरण में हो रहे फर्जीवाड़े के बावत जब आवाज उठाई तो उनका लाईसेंस निरस्त कर दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि कैरोसिन वितरण के नाम पर बड़ा घपला किया जा रहा है। जरूरतमंदों को मिट्टी तेल देने के बजाय बीच में ही कैरोसिन गायब कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि आरटीआई के माध्यम से उन्होने इस मामले में कई अहम जानकारियां जुटाई हैं। इस मामले को लेकर शीघ्र ही वह न्यायालय जायेंगे।

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