भाजपा को भारी पड़ सकता है ‘नेताओं का निष्कासन’
रुद्रपुर में विधायक ठुकराल के करीबियों को भी हाईकमान ने किया पार्टी से बाहर,भाजपा सरकार पर बरसे दिलीप
रुद्रपुर। निकाय चुनाव में इस बार भाजपा में बगावत का ज्वार फूट रहा है जबकि अनुशासन का डंडा भी इस कदर वार कर रहा है जिसमें किसी भी करीबी या सक्रिय नेता तक को नहीं बख्शा जा रहा है। पार्टी हाईकमान ने निकाय चुनाव में बागी हुए नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने वालो पर सख्त कार्यवाही शुरू कर दी है। वोटिंग से पहले रूद्रपुर विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक नेताओ को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। यहां मौजूदा विधायक के कई करीबी नेताओं को भाजपा हाईकमान ने 6 वर्ष के लिये निष्कासन किया गया है। गौर हो कि विधायक राजकुमार ठुकराल के बेहद करीबी समर्थक माने जाने वाले एक दर्जन से अधिक नेताओं में खुद विधायक प्रवक्ता आशीष छाबड़ा को निर्दलीय चुनाव लड़ने की सजा दी गई है तो पूर्व सभासद रह चुके दिलीप अधिकारी को भी बगावत करना महंगा पड़ गया है। दिलीप अधिकारी ने तो खुद अगल मोर्चा बनाकर आधा दर्जन वार्डाे में अपने प्रत्याशी भी उतार दिये जो भाजपा के लिये बड़ी चुनौती भी बन रहे है। हांलाकि निकाय चुनाव में यह महज सियासी स्टंट करार दिया जा रहा हो मगर आगामी लोकसभा के चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिये बड़ी मुश्किलें भी खड़ी हो सकती है। अगर चुनाव के बाद इन नेताओ ने दलबदल कर कहीं कांग्रेस या फिर अन्य दलों में ऐंट्री करते हैं तो भाजपा के लिये यह निष्कासन कही न कहीं नुकसानदेह भी साबित हो सकता है। पार्टी से निष्काशित इन नेताओं में कई नेता काफी सक्रिय रह चुके है। इतना ही नहीं पूर्व सभासद दिलीप अधिकारी ने तो अलग मोर्चा खड़ा करते हुए कई पार्षद प्रत्याशियों को समर्थन देकर भाजपा के साथ ही कांग्रेस को भी चुनौती दे रहे है। इधर निकाय चुनाव के लिये मतदान से पांच दिन चंद दिन पूर्व ही पार्टी हाईकमान द्वारा बागियों पर किया गया यह कड़ा प्रहार कहीं भाजपा को उल्टा न पड़ जाये। सूत्रों की माने तो जिन नेताओं को पार्टी से बाहर किया गया है उनमें अधिकांश नेता मौजूदा निकाय चुनाव में निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं जबकि अब जहां उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया है तो वह अब खुलकर पार्टी कार्यकर्ताओं का समर्थन हासिल नहीं कर पायेंगे। वहीं अगर इन बागी नेताओं ने अपनी सक्रियता जारी रखी तो भाजपा के लिये भी मुश्किलें खड़ी कर सकते है। इससे पूर्व भी भाजपा नेता सुरेश कोली को मनाने में भीले ही भाजपा कामयाब हो गई हो मगर अब युवा नेताओं को पार्टी से निकालना कहीं भजपा को अपने मेयर प्रत्याशी की जीत सुनिचिश्त करना भारी पड़ सकता है। निकाय चुनाव में बगावत कर चुनावी रण में उतरे विधायक के करीबियों समेत तीन दर्जन से ज्यादा लोगों पर गाज गिरा दी है। वहीं इनती बड़ी तादात में पार्टी नेताओं के निष्कासन को लेकर चर्चायें तेज हो गई है। कहा जा रहा है कि विधायक और जिलाध्यक्ष के बीच गुटबाजी का असर अब उनके छत्रपों पर दिखाया जा रहा है। इन नेताओं में कुछ तो अपनी जीत पक्की करने के लिये पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ चुनावी प्रचार में जुटे हुए थे। हांलाकि बागियों के निष्कासन को लेकर स्थानीय पदाधिकारियों का कहना है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने वाले नेताओं को किसी भी हाल में और संरक्षण नहीं दिया जायेगा।
तो बागियों के बहाने विरोधियों पर चला जिलाध्यक्ष का चाबुक
रूद्रपुर। रूद्रपुर में करीब तीन दर्जन से अधिक पार्टी नेताओं को जिलाध्यक्ष की रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश अध्यक्ष ने उन्हें पार्टी से छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया है। निष्कासित लोगों मे सबसे बड़ा नाम रुद्रपुर के विधायक राजकुमार ठुकराल के करीबी माने जाने वाले पूर्व सभासद व पार्षद पति दिलीप अधिकारी, विधायक प्रवक्ता आशीष छाबड़ा हैं। इसके अलावा पूर्व पार्षद महेन्द्र आर्य, मनोज दास, महेन्द्र पाल मौर्य समेत तीन दर्जन से अधिक भाजपा के बागी नेताओं को पार्टी से छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया गया है। निष्कासित लोगों मे ज्यादातर नेता विधायक के करीबी माने जाते हैं, जो शुरू से बगावत कर रहे थे। दिलीप अधिकारी ने तो सात वार्डाे में अपने प्रत्याशी भी उतार दिये थे, जबकि विधायक प्रवक्ता खुद निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इधर सोशल मीडिया पर भी भाजपा नेताओं को पार्टी से निकाले जाने को लेकर तरह तरह की चर्चाये तेज हो गई है। पार्टी से निकाले गये नेताओं के कुछ समर्थकों का आरोप है कि जिलाध्यक्ष का चाबुक बागियों पर नहीं बल्कि अपने विरोधियों पर चलाया है। गौर हो कि पार्टी में गुटबाजी को लेकर भी अंदरखाने घमासान मचा हुआ है। माना जाता है कि पार्टी के जिलाध्यक्ष शिव आरोरा व विधायक ठुकराल के अगल अगल गुट बताये जाते हैं जबकि कई बार मनमुटाव की वजह से दोनों नेता चर्चाओं में रह चुके है। गत दिवस रूद्रपुर महानगर अध्यक्ष हरीश सुखीजा ने भी जिलाध्यक्ष पर निशाना साधते हुए शायद जिलाध्यक्ष ने मौका देखकर अपने विरोधियों पर बगावत के बहाने चाबुक चला ही दिया।
करीबियों के निष्कासन से ठुकराल को हो सकता है सियासी नुकसान
रूद्रपुर। निकाय चुनाव में भाजपा हाईकान ने करीब तीस से अधिक नेताओं को पार्टी से बाहर कर दिया है। रूद्रपुर में की सियासी जमीन पर मौजूदा समय में भाजपा का ही दबदबा है। जिसमें खुद भाजपा के विधायक राजकुमार ठुकराल लगातार दो बार विधानसभा पहुंचने वाले दूससे बड़ नेता है। ठुकराल से पहले रूद्रपुर में कांग्रेस का कब्जा रहा है जो कांग्रेस के कद्दावर नेता तिलकराज बेहड़ का सियासी किला भी माना जाता है। हांलाकि लगातार दो बार चुनाव में शिकस्त खाने के बावजूद वह अब भी सक्रिय है। अब निकाय चुनाव के घमासान के बीच भाजपा विधयक के कई करीबियों का निष्कासन कहीं न कहीं क्षेत्राीय विधायक राजकुमार ठुकराल की सियसी जमीन को भी भारी नुकसान झोलना पड़ सकता है। पार्टी हाईकमान के निर्णय के बाद यहां इन नेताओं का दोबारा पार्टी में शामिल करना विधायक राजकुमार ठुकराल के लिये इसलिये भी मुशकिलें खड़ी कर रहा है क्योंकि निष्कासित नेता कभी भी दूसरे दल में शामिल हो सकते है। आगामी लोकसभा के चुनाव के साथ ही विधानसभा के लिये भी विधायक ठुकराल को नुकसान का सामना करना पड़ेगा।
भाजपा सरकार ने ठप कर दिया रूद्रपुर का विकास: दिलीप
रुद्रपुर। पाटी से निष्कासन होने पर पर पूर्व सभासद दिलीप ने कहा कि पार्टी से वह बोझ मुक्त हुए हैं। वहीं दिलीप ने आज अपने समर्थकों को मिठाई भी गांटी। इतना ही नहीं दिलीप नेभाजपा के साथ ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनका कहना है कि वह भाजपा शासन की लचर कार्यप्रणाली से अजीज आ चुके थे। जबकि वह कई दिनों से खुद इस्तीफा देने की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ट्रंाजिट कैंप की सड़क के निर्माण के लिए पिछले डेढ़ वर्ष से वह मुख्यमंत्री से गुहार लगा रहे थे वहीं क्षेत्रीय विधायक भी इस मामले को लेकर नौटंकी करते रहे कि शासनादेश जारी हो गया है पैसा अवमुक्त हो गया है लेकिन 18 माह बीतने के बाद भी सड़क का निर्माण प्रारम्भ नहीं हुआ। मुख्यमंत्री के ढीले रवैये के कारण कोई अधिकारी काम करने को तैयार नहीं और जनता परेशान घूम रही है। मुख्यमंत्री आवास पर किसी की सुनवाई नहीं हो रही। अब जनता भाजपा से कतरा रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में रूद्रपुर का विकास पूरी तरह से ठप हो चुका है। दिलीप ने मीटू प्रकरण को लेकर भी भाजपा की खिंचाई की। उनका कहना है कि मीटू प्रकरण में महिला की शिकायत करने के बावजूद सरकार ने अपने नेताओं पर कोई कार्यवाही नहंी की है जबकि लगातार उन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है। दिलीप ने कहा कि गरीब बस्ती आजाद मोर्चा के 6 प्रत्याशी नगर निकाय चुनाव में चुनाव लड़ रहे हैं और उन्हें हर हाल में जीत दिलायी जायेगी।
चिंता नहीं किसी बात की जैय भोलेनाथ की: आशीष
रूद्रपुर। निकाय चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है लेकिन अचानक भाजपा ने रूद्रपुर में पार्टी के कुछ बागी नेताओं को न सिर्फ पार्टी से निकाल दिया बल्कि अगले 6 वर्षों तक उन्हे पार्टी से बाहर रहना पड़ेंगा। इधर भाजपा हाईकमान के अनुशासन का डंडा विधायक के सबसे खासमखास माने जाने वाले उनके प्रवक्ता आशीष छाबड़ा को भी निष्कासित किया गया है। विधायक प्रवक्ता आशीष निकाय चुनाव में खुद निर्दलीय ताल ठोक रहे है। बताया जा रहा है कि आशीष की नाराजगी पार्टी से टिकट कटने से नहीं बल्कि विशेष समीकरण को देखकर वह चुनाव लड़ने के लिये तैयार हुए है। माना जा रहा है कि आशीष के स्थान पर आरएसएस कार्यकर्ता को पार्षद प्रत्याशी बनाया गया हैं जबकि प्रत्याशी के मुकाबले आशीष का वर्चस्व अधिक है। पिछले चुनाव में भी वह ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ने के लिये तैयार हुएथे लेकिन एन वक्त पर प्रत्याशी बदल दिया गया था। इसके बावजूद इस बार भी उन पर विश्वास नहीं जताया गया और अन्य को टिकट दिया गया है। इधर अब आशीष छाबड़ा ने अपने निष्कासन पर भले ही पार्टी के खिलाफ कुछ भी बोलने से बच रहे हों मगर चर्चायें है कि विधायक के करीबी का निष्कासन अधिक दिनों तक नहीं चलने वाला। इधर सोशल मीडिया पर आशीष का कहना है कि चिंता नहीं किसी बात की जैय भेलेनाथ की…
@Narendra Baghari (Narda)