2019 का सेमिफाईनल: जुमले और जनमुद्दो से नेता तोड़ेंगे वोटरों की खामोशी
दीपावाली के बाद तेज होगा चुनावी शोर,जनता को रिझाने के लिये मोदी सरकार की योजनाओं से भाजपा ने बनायी रणनीति, कांग्रेस ने भी तैयार की डबल इंजन के जुमलों और नाकामियों की लिस्ट, प्रचार और खाने पिलानें का हिसाब देना पड़ेगा उम्मीदवार को
देहरादून। सूबे में आगामी 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सेमिफाईनल के रूप में देखे जा रहे निकाय चुनाव के लिये भाजपा और कांग्रेस ने पूरी तैयारी कर ली है। वहीं अन्य दलों ने भी दोनों दलों की नाकामियों को उजागर करना शुरू कर दिया है। हांलाकि निकाय चुनाव के बाद प्रदेश में ग्राम पंचायतों के चुनाव भी होने हैं जिसके लिये अभी से ही उम्मीदवारों ने प्रदेश एवं क्षेत्रीय स्तर के जनमुद्दों को चुनावी प्रचार में शामिल किया गया है। हांलाकि अब भी चुनाव प्रचार का शोर काफी फीका दिख रहा है। कांग्रेस अपने मेयर उम्मीदवारों को जिताने के लिये भाजपा सरकार में महंगाई, बेरोजगारी, दलित एवं किसानों पर हो रहे अत्याचार के साथ ही राफेल का भ्रष्टाचार एवं नोटबंदी जैसे घोटाले, अतिक्रमण, गरीबों को बेघर करने, सड़कें बिजली, पानी, शिक्षा, पलायन, ग्रीन बोनस, आंदोलनकारियों को आरक्षण, गैरसैण को राजधानी, आपदा पैकेज जैसे मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रही है। जबकि भाजपा अपने मेयर प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने के लिये केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं जैसे आयुष्मान योजना, पीएम आवास योजना, स्वरोजगार योजना स्किल डेवलपमेंट, मेक इन इंडिया,स्मार्ट सिटी योजना,ऑल वेदर रोड योजना, बाल विकास एवं सुकन्या आदि योजनाओं को लेकर जनता के बीच जा रहे है। इतना ही नहीं कांग्रेस जहां मोदी सरकार के कार्यकाल का लेखा जोखा जनता के बीच पेश करेगी तो वहीं भाजपा भी मोदी की नीतियों के सहारे है लिहाजा अब तक के कार्यकाल में संचालित लोकलुभावन योजनाओं को से जनता को रिझाने का प्रयास करेगी। दोनों बड़े दलों के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में जोरशोर से जुट गये है। हांलाकि दीपावली पर्व के चलते अब तक चुनावी प्रचार की धार तेज नहीं हो पायी है। हांलाकि मेयर और पार्षद प्रत्याशियों ने शहरी क्षेत्रें में अपना प्रचार अभियान शुरू तो कर दिया है मगर अब भी जनमुद्दों को लेकर कोई भी दल खुलकर आवाज नहीं उठा रहे है। अब दीपावली के बाद ही चुनाव प्रचार तेज होगा। माना जा रहा है कि जनमुद्दों को लेकर कांग्रेस और भाजपा जब प्रचार शुरू करेंगे तभी वोटरों की खामोशी भी टूटने लगेगी। आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए दोनों बड़े दल प्रदेश की सात नगर निगमों में अपना अपना मेयर स्थामित करने के लिये जीतोड़ कोशिश कर रहे है। पार्षद पालिकाध्यक्ष और पंचायत अध्यक्ष के पदों के लिये भी पार्टी हाईकमान सक्रियता से चुनाव अभियान शुरू करेंगे। हांलाकि कांग्रेस ने अपने स्टार प्रचारकों में प्रदेश के ही बड़े नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह, सह प्रभारी राजेश धर्माणी के अलावा प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व सीएम हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष डा- इंदिरा हृद्येश को स्टार प्रचारक के रूप में जिम्मेदारी सौंपी गई है। जबकि सत्तासीन भाजपा भी कुछ केंद्रीय नेताओं के साथ मुख्यमंत्री और प्रदेश के बड़े नेताओं को प्रचार के लिये उतार दिया है। प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू ने भी प्रदेश में डेरा जमा लिया है। वह लगातार चुनाव प्रचार में शामिल हो रहे है जिससे भाजपा प्रत्याशियों में उत्साह है। बहरहाल निकाय चुनाव के घमासान में भाजपा के खिलाफ महौल बनाने के लिये कांग्रेस जहां जनमुद्दों को उठाकर वोटरों के बीच जा रही है तो भाजपा भी सत्ता में बने रहने के लिये केंद्रीय योजनाओं का सहारा लेकर जनता को लुभाने लगी है। अब देखना होगा कि आगामी 18 नवम्बर को जनता किस किस उम्मीदवार पर अपना विश्वास दिखाती और 20 नवम्बर को किसकी किसमत चमकती है। उल्लेखनीय है कि इस निकाय चुनाव में नये स्तर से निकायों का परिसीमन किया गया है। जिससे नेताओं के साथ ही क्षेत्रीय स्तर पर भी राजनीतिक समीकरण पूरीतरह से बदल गये है। कहीं पुराने वोटरों को नये वार्डों के प्रत्याशियो पर विश्वास करने की चुनौती है तो नये उम्मीदवार भी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिये जनता में उम्मीदों को जगाने की चुनौती है।
दीपावली के बाद तेज होगा चुनाव प्रचार,शुरू होगा घमासान
देहरादून। निकाय चुनाव में नाम वापसी के बाद उम्मीदवारों की तस्वीर साफ हो गई। वहीं निर्दलीय प्रत्याशियों के साथ ही अन्य प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह भी आवंटित कर दिये गये है। इधर अधिकांश प्रत्याशी चुनाव प्रचार के लिये पोस्टर, बैनर,पंपलेट आदि छपवाकर जनता के बीच अपनी छवि दिखाने के लिये जोर शोर से जुटे हुए है। इधर अब भी बड़े नेताओं के साथ ही निर्दलीय नेता चुनाव प्रचार के लिये खुलकर मैदान में नहीं उतर पाये है। हांलाकि माना जा रहा है कि अब दीपावली के बाद ही चुनावी शोर शुरू होगा। 652 प्रत्याशियों के नाम वापस लेने के बाद 4978 उम्मीदवार चुनाव मैदान में रह गए हैं। इनमें महापौर के 51, नगर पालिका अध्यक्ष के 279 और नगर पंचायत अध्यक्ष के 226 प्रत्याशी शामिल हैं। पार्षद, सभासद-सदस्य के 34 पदों पर निर्विरोध निर्वाचन भी तय हो गया है। राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार सात नगर निगमों में महापौर पदों पर 13 प्रत्याशियों के नाम वापस लिए जाने के बाद अब 51 प्रत्याशी मैदान में हैं। पार्षद पदों के लिए 197 प्रत्याशियों की नाम वापसी के पश्चात 1728 उम्मीदवार रह गए हैं। 39 नगर पालिका परिषदों के अध्यक्ष पदों के लिए 328 प्रत्याशियों के नामांकन वैध पाए गए थे, जिनमें से 49 ने नाम वापस ले लिए। अब 279 चेयरमैन पद के लिये ताल ठोक रे हें। नपा परिषदों में सभासद पदों पर 209 प्रत्याशियों के नाम वापस लेने के बाद 1797 उम्मीदवार मैदान में हैं। 38 नगर पंचायतों के अध्यक्ष पदों पर 46 प्रत्याशियों की नाम वापसी के बाद 226 प्रत्याशी मैदान में हैं। सदस्य पदों पर 138 प्रत्याशियों की नाम वापसी के पश्चात 897 उम्मीदवार चुनाव मैदान में डटे हैं। आयोग के अनुसार नगर निगमों में पार्षद के तीन पदों पर एक-एक नामांकन होने के कारण इन पर निर्विरोध निर्वाचन हुआ है। इसी प्रकार नगर पालिकाओं में सभासद के 15 और नगर पंचायतों में सदस्य के 16 पदों पर उम्मीदवारों का निर्विरोध बन गये है।
खाने पिलाने से लेकर चुनाव प्रचार का हिसाब देना पड़ेगा उम्मीदवार को
देहरादून। आगामी 18 नवंबर को होने वाले नगर निकाय चुनाव में किस्मत आजमा रहे प्रत्याशियों के लिये अब चुनाव प्रचार के खर्च का ब्यौरा भी निर्वाचन अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करना है। मेयर पद के प्रत्याशियों के लिए खर्च की अधिकतम सीमा 16 लाख रुपये और पार्षद पद के प्रत्याशी को खर्च की अधिकतम सीमा दो लाख रुपये निर्धारित की गई है। वहीं बैनर, पोस्टर, होर्डिग, झंडा, पंपलेट, स्टीकर, बिल्ला, आडियो-वीडियो कैसेट के साथ ही वाहनों, लाउड स्पीकर, जलपान, भोजन, फूल माला, ढोल-नगाड़ा आिद के लिए अनुमानित बाजार मूल्य निर्धारित किया गया है। बैनर के लिए जहा 25 रुपये प्रति वर्ग फीट व प्रतिदिन 46 रुपये का रेट निर्धारित किया गया है। वहीं भोजन व्यवस्था में भी नाश्ता 60 रुपये प्रति प्लेट, दिन का भोजन 100 रुपये प्रति प्लेट व रात्रि का भोजन 100 रुपये प्रति प्लेट तथा चाय 10 रुपये प्रति कम निर्धारित किया गया है।