उमेश के ‘स्टिंग’ पर भारी गौड़ का ‘ईमान’
ब्लैकमेलिंग में गिरफ्तार उमेश कुमार के स्टिंगर आयुष गौड़ का खुलासा: मुख्यमंत्री को शिकंजे में लेने की बनी थी योजना,तीन खुफिया कैमरे लेकर पहुंच गये थे सीएम आवास,अब तक सिर्फ पांच लोगों का किया स्टिंग,नहीं हुआ लेनदेन
देहरादून। मेरा ईमान जाग गया था…और अब सबकुछ सामने आ गया है। यह बात उत्तराखंड की सियासत में खलबली मचाने के लिये रची गई साजिश के के आरोप में गिरफ्तार उमेश कुमार के मुख्य सूत्रधार शिकायतकर्ता आयुष गौड़ ने कही है। सूबे में प्रतिष्ठित न्यूज चैनल के सीईओ उमेश के कहने पर चैनल की टीम में शामिल कुछ लोगों ने जनवरी से जुलाई तक प्रदेश में अब पांच लोगों का स्टिंग किया है। यह खुलासा आरोपी उमेश कुमार के न्यूज चैनल के इंवेस्टिगेटिव एडिटर आयुष गौड़ ने दून स्थित प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए किया है। गौड़ के मुताबिक जिनका स्टिंग किया गया है, उनमें मृत्युंजय मिश्रा, अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश, होटेलियर संजय गुप्ता, कासिम के अलावा सीएम के एकाध रिश्तेदार भी हैं। हालांकि जो स्टिंग किये गये हैं उनमें भ्रष्टचार से संबंधित कोई खबर नहीं मिली। बताया कि बीती 10 अगस्त के बाद उत्तराखंड में कोई भी स्टिंग नहीं किया गया है क्योंकि तब तक वह उमेश के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कर चुके थे। पिछले दो-ढाई माह तक उमेश की घेराबंदी करने के लिए पूरी प्लानिंग की गई और तथ्य जुटाये गये। आयुष बताते हैं कि उन्होंने भी पूरे ऑडियो व वीडियो पुलिस को सौंप दिये हैं। इससे पुलिस जांच आसान हो जाएगी। अफसरों व नेताओं के स्टिंग करके ब्लैकमेलिंग के लिए कुख्यात एक चैनल के सीईओ उमेश जे कुमार ने उत्तराखंड में समानान्तर सरकार चलाने के लिए पूरा ताना बाना बुन लिया था। उमेश की चालों का खुलासा करने वाले इस चैनल के इन्वेस्टिगेशन एडिटर आयुष गौड़ ने बताया कि उमेश उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को अपने शिकंजे में लेकर उल्टे सीधे काम करना चाहता था। किसी भी प्रकरण का स्टिंग करने का बाद वह ऑडियो-वीडियो को सीधे उमेश जे कुमार को सौंपते थे। यदि किसी कारण थोड़ी देर हो गई तो खुद उमेश उनसे जल्द स्टिंग से संबंधित ऑडियो-वीडियो को उनके आवास पर जमा करने के लिए कहता था। स्टिंग आपरेशन करने के लिए निजी न्यूज चैनल के सीईओ उमेश जे कुमार अलग-अलग लोगों से फंडिंग करता था। आयुष गौड़ के मुताबिक उन्हें जिस टास्क के लिए भेजा जाता था और वहां पर लेन-देन के लिए जितनी राशि की जरूरत पड़ती थी, उमेश उसको अलग-अलग व्यक्तियों से कलेक्ट करने के लिए कहता था। राहुल भाटिया भी इस मामले का मास्टर माइंड था। आयुष ने बताया कि राहुल समाचार प्लस चैनल में कोई रिपोर्टर या कर्मचारी नहीं है, बल्कि उमेश जे कुमार का करीबी है। वह शातिर किस्म का व्यक्ति है। गौड़ ने बताया कि उमेश का उत्तराखंड को लेकर कुछ ज्यादा ही इन्ट्रेस्ट रहता था। उसने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के भरोसेमंद अफसरों के साथ ही उनके करीबियों व खुद सीएम का स्टिंग करने की योजना बनायी थी। गौड़ ने बताया कि एक बार टेनिस खेलने के दौरान ब्रेक लेते हुए उमेश ने कहा था कि ‘‘बस ये सीएम कब्जे में आ जाए, फिर तो..।’ इसके लिए सबसे पहले दिल्ली में उप स्थानीय आयुक्त मृत्युंजय मिश्रा को माध्यम बनाया गया। पहले मिश्रा के माध्यम से अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ट्रैप करने की योजना बनी। ओमप्रकाश से दिल्ली में आयुष गौड़ की मुलाकात भी हो गयी, लेकिन स्टिंग का मकसद इसलिए पूरा नहीं हो पाया क्योंकि ओमप्रकाश ने एक अधिकारी के रूप में सिर्फ यही कहा कि उनकी कंपनी की जो भी योजना है, वह टेंडर भरें और उसके नार्म्स पूरे कर लें। उनसे ये लोग लेन-देन की कोई बात नहीं उगलवा सके, लेकिन दिल्ली में सीएम की व्यस्तता के चलते सीएम से मुलाकात नहीं हो सकी। दिल्ली में करीब दो ढाई महीने तक प्रयास करने के बाद भी बात नहीं बनी। इसके बाद उमेश जे कुमार ने अपने मिशन को पूरा करने के लिए गौड़ को देहरादून भेजा। गौड़ ने बताया कि उसे ये काम ब्रेकिंग न्यूज स्टोरी के रूप में करने के लिए कहा गया था। इसमें ब्यूरोक्रेट और पालिटिशियन का रियलिटी टेस्ट के रूप में न्यूज आइटम बनाने की बात कही गयी थी। देहरादून में उमेश का भांजा राहुल भाटिया उनके लिए गाइड का काम कर रहा था। राहुल ने मुख्यमंत्री के करीबी संजय गुप्ता व कासिम से मिलवाया और सीएम से मिलने के लिए प्लान बनाया। इन लोगों के माध्यम से सीएम से मुलाकात भी फिक्स हो गयी। तीन हिडन कैमरों के जरिये सीएम को गुप्त रूप से शूट करने की योजना बनी, लेकिन इसी बीच आयुष गौड़ ने सीएम सिक्योरिटी को बाईपास करने की गंभीरता पर सोचा और ऐन मौके पर उसने जैकेट पर लगे हिडन कैमरे बाहर ही छोड़ने का फैसला किया। वहां उसकी सीएम रावत से मुलाकात हुई, लेकिन वहां कैमरे से शूट करने जैसा कुछ भी नहीं हुआ। बाहर निकलने के बाद जब उमेश जे कुमार को यह बात पता चली तो वह बहुत नाराज हुआ और यहीं से सारी बात बिगड़ गयी, उसको धमकाया जाने लगा। आयुष ने यहां पत्रकारों को बताया कि चैनल के सीईओ द्वारा कहा गया कि भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर प्रदेश में नेताओं व ब्यूरोक्रेट्स का रियलिटी चेक करना है। बीती जनवरी से शुरू हुए इस आपरेशन के पहले चरण में सीईओ द्वारा उन्हें दिल्ली स्थित उत्तराखंड सदन में तत्कालीन स्थानीय आयुक्त मृत्युंजय मिश्रा से मिलाया गया। इसके बाद राज्य के अपर मुख्य सचिव से लेकर मुख्यमंत्री तक मुलाकात व मीटिंग कराने की जिम्मेदारी मृत्युंजय मिश्रा ने ले ली। इसके लिए लेन-देन की बात भी हुई है, जिसका दावा स्टिंग चैनल के इंवेस्टिगेटिव एडिटर आयुष गौड़ ने किया है। बीती अप्रैल में आयुष को देहरादून में राहुल भाटिया नाम के व्यक्ति से संपर्क कर आगे का काम करने के लिए कहा गया। राहुल भाटिया ने ही देहरादून में आयुष की मुलाकात संजय गुप्ता, कासिम व मुख्यमंत्री के कुछ करीबी लोगों से कराई। आयुष किसी से एक व्यवसायी तो किसी से लाइजनिंग आफिसर के रूप में मिला। आखिरकार चैनल के सीईओ उमेश जे कुमार ने आयुष को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का स्टिंग करने के लिए कहा।आयुष बताते हैं कि वह तीन खुफिया कैमरे, एक मोबाइल कैमरा व अन्य डिवाइस लेकर सीएम आवास पहुंच गया था। वहां जाकर उन्होंने अपना विवेक इस्तेमाल किया और कोई उपकरण अंदर ले जाए बिना उन्होंने सीएम से फॉर्मल मुलाकात की। बकौल आयुष वह समझ चुके थे कि जिस तरह का असाइनमेंट व स्टिंग करने के लिए उन्हें कहा जा रहा है, वह किसी खबर के लिए नहीं बल्कि किसी और दूसरे कार्य को अंजाम देने के उद्देश्य से हो रहा है। इसके लिए चैनल के सीईओ द्वारा लगातार उन पर दबाव बनाया जा रहा था और धमकी दी जा रही थी। बताया कि अपने नाते-रिश्तेदारों के साथ ही शासन, प्रशासन व पुलिस की मदद से उन्होंने उमेश के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। इस संदर्भ में बाकायदा प्रधानमंत्री, प्रधानमंत्री कार्यालय व मुख्यमंत्री को भी पत्र भेजकर शिकायत की थी। आरोप लगाया कि चैनल के सीईओ उमेश जे कुमार का उद्देश्य नेताओं व ब्यूरोक्रेट्स का स्टिंग कर अपने रुके हुए प्रोजेक्ट्स को पास कराना था। सरकार को अस्थिर करने की पूरी साजिश रची जा रही थी।
अरविंद पांडेय व धन सिंह को फंसाने का भी था प्लान, बच गये ओमप्रकाश
देहरादून। स्टिंग का यह प्लान सिर्फ मुख्यमंत्री व उनके करीबी लोगों को फंसाने की साजिश तक शामिल नहीं था। इस प्लान में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय और उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत को भी रखा गया था। गौड़ ने बताया कि मुख्यमंत्री का स्टिंग करने के साथ ही शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय व उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत को भी लपेटने की योजना थी। इन मंत्रियों के पास शैक्षणिक संस्थान खोलने का प्रस्ताव ले जाया जाना था और मदद के लिए पेशगी देनी थी, लेकिन मुख्यमंत्री के स्टिंग में नाकाम रहने की वजह से उमेश जे कुमार व आयुष गौड़ के बीच ही बिगड़ गयी थी। सीएम के करीबी संजय गुप्ता व कासिम को बनाया जरियावर्ष 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत का स्टिंग करके सनसनी फैला चुके उमेश जे कुमार के काम करने का तरीका एकदम अलग था। जिस व्यक्ति का स्टिंग करना होता था, उसके करीबी लोगों को इसके लिए माध्यम बनाया जाता था। दिल्ली में मृत्युंजय मिश्रा के प्रयास सफल नहीं होने के बाद इन्होंने देहरादून में ही कुछ लोगों को अपना हथियार बनाया। राहुल भाटिया ने मुख्यमंत्री के करीबी होटल व्यवसाई संजय गुप्ता व कासिम के माध्यम से मुख्यमंत्री तक पहुंचने का जरिया बनाया। ये लोग पहुंच भी गये, लेकिन अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाये। ओमप्रकाश को 10 लाख देकर शूट करने की थी योजनास्टिंग करने वाले अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश को सबसे साफ्ट टारगेट मानकर चल रहे थे, लेकिन यहां भी उनकी बात नहीं बनी। ओमप्रकाश से जब आयुष गौड़ की मुलाकात हुई और धंधे की बात करते हुए 10 लाख रुपये कैश देने की तैयारी थी, लेकिन ओमप्रकाश ने एक अधिकारी की तरह टेंडर भरने और शर्तेे पूरी करने के लिए कह दिया था। आयुष गौड़ ने स्वीकार किया कि हरक सिंह रावत के घर पर किये गये मदन बिष्ट के स्टिंग के लिए कैमरा उसने स्वयं लगाया था। उसने बताया कि हरीश रावत के स्टिंग का उसे पता नहीं था, लेकिन जब मदन बिष्ट का स्टिंग हुआ तो वहां कैमरे फिट करने का काम उसने खुद किया। समाचार प्लस चैनल के ही इनवेस्टीगेशन जर्नलिस्ट आयुष गौड़ की शिकायत पर चैनल के सीईओ के खिलाफ स्टिंग करवाने और न कर पाने पर जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा दर्ज किया गया था। तीन माह से चल रही गुपचुप कार्यवाही के बाद उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश पुलिस ने उमेश कुमार को उनके गाजियाबाद स्थित आवास से गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के दौरान उनके आवास से 40 लाख की नकदी, 16 हजार से ज्यादा के अमेरिकी डालर, 11 हजार से ज्यादा थाई मुद्रा, फोन, हार्ड डिस्क, आईपैड व लैपटॉप आदि बरामद हुआ था। शिकायत में आयुष गौड़ ने सीईओ उमेश जे कुमार और चैनल के एक अन्य रिपोर्टर राहुल भाटिया के साथ ही अन्य चर्चित हस्तियों को भी नामजद किया था। पुलिस को आयुष ने बताया कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और मुख्य सचिव ओमप्रकाश समेत कई लोगों का स्टिंग करवाने की कोशिश की जा रही थी। उसने बताया कि उमेश शर्मा, सौरभ साहनी, प्रवीण साहनी, मृत्युंजय मिश्रा, राहुल भाटिया और कुछ सरकारी कर्मचारी और नेता साजिश कर प्रदेश की राजनीति में अस्थिरता का माहौल पैदा करना चाहते हैं।
स्टिंगकांड के खुलासे पर भाजपा कांग्रेस आमने सामने
देहरादून। स्टिंग के जरिए प्रदेश सरकार को अस्थिर करने के प्रयास का खुलासा होने को भाजपा ने गंभीर बताते हुए कहा है कि मामले की जांच से पूरी स्थिति स्पष्ट हो जायेगी और षडयंत्र का पर्दाफाश होगा। भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. देवेंद्र भसीन ने कहा कि एक चैनल के पत्रकार द्वारा अपने ही चैनल के सीईओ और राज्य सरकार के एक अधिकारी सहित चार व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज करायी गयी रिपोर्ट, जिसमें राज्य में अस्थिरता पैदा करने के प्रयास व स्टिंग ऑपरेशन सहित कई गंभीर आरोप लगाये गये हैं, स्वयं में एक बहुत गम्भीर मामला है। उन्होंने कहा कि इस मामले पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और कानून अपना काम कर रहा है। डॉ. भसीन ने कहा कि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में भाजपा सरकार जिस प्रकार जीरो टॉलरेंस की नीति को अपनाकर चल रही है और प्रदेश को विकास मार्ग पर तेजी से ले जा रही है, वह कुछ लोगों को रास नहीं आ रहा है। इसी का परिणाम है कि पिछले कुछ समय में मुख्यमंत्री व सरकार के खिलाफ षडयंत्र किये गये लेकिन सभी असफल रहे। इस प्रकरण में वास्तविकता क्या है यह जांच के बाद पूरी तरह सामने आ जाएगा। डॉ. भसीन ने कहा कि जिस तरह एन एच 74 घोटाला मामले में निष्पक्ष जांच के चलते दूध का दूध और पानी का पानी हो रहा है, वैसे ही इस मामले में भी सब कुछ सामने आ जाएगा। वहीं कांग्रेस ने सरकार से मांग की है कि स्टिंग के माध्यम से प्रदेश में दलाली करने वालों को बेनकाब किया जाए। प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने यह भी मांग की है कि उमेश जे कुमार के पास से जो भी स्टिंग सामग्री मिली है, उसे सार्वजनिक किया जाए। कांग्रेस भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि आखिर सीएम के ऐसे कौन नजदीकी हैं, जो राज्य में दलालों को प्रोत्साहन दे रहे हैं। ऐसे लोग चाहे जितने भी बड़े हों, उन्हें बेनकाब किया जाना चाहिए। कांग्रेस इसकी पूरी हिमायती है कि दलालों के चेहरे सामने आने चाहिए। उन्होंने सवाल उठाये कि जब हरीश रावत का स्टिंग किया था तो भाजपा ने इस व्यक्ति को सही ठहराया था और उसे केंद्रीय सुरक्षा बलों की सुरक्षा तक दे दी थी। अब खुद पर आंच आयी तो गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने यह भी सवाल किया कि अगर सरकार में सब ठीक चल रहा है तो कैमरों से आखिर कैसा डर। प्रधानमंत्री की केदारनाथ यात्रा पर उन्होंने कहा कि हम उनका स्वागत करते हैं, लेकिन राज्य में आचार संहिता लगी हुई है, इसलिए पीएम को इसका ध्यान रखना चाहिए। इस संबंध में कांग्रेस निर्वाचन आयोग को भी लिख कर दे रही है। उन्होंने कहा कि चुनावों में कांग्रेस नगरीय सुविधाओं के मुद्दे को ही प्रमुखता से रख रही है, लेकिन राफेल, महंगाई और दूसरे बड़े मुद्दे भी इस चुनाव में लोगों तक पहुंच रहे हैं। पत्रकार वार्ता में प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी व महेश जोशी भी मौजूद थे।