दाम और दंड से मानेंगे बागी,दून में होगी कांटे की टक्कर

बागियों को मनाने में जुटी भाजपा और कांग्रेस, मेयर और अध्यक्षों के पदों पर कांग्रेस के दो दर्जन और भाजपा के तीन दर्जन से अधिक नेताओं ने की है बगावत

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देहरादून। नगर निकाय चुनाव के लिये नामांकन का दौर समाप्त हो चुका है वहीं अब बागी प्रत्याशियों को मनाने के लिये भाजपा और कांग्रेस हाईकमान मानमनौव्वल के लिये जुट गये हैं। सत्तासीन भाजपा ने जहां अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिये ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया है तो वहीं कांग्रेस भी पिछली हार का बदला लेने के लिये कार्यकर्ताओं में जोश भरना शुरू कर दिया है। राजधानी देहरादून की प्रतिष्ठत मेयर सीट के लिये इस बार भाजपा के सुनील उनियाल गामा और कांग्रेस के दिनेश अग्रवाल के बीच ही मुकाबला दिख रहा है। जबकि अन्य जनपदों की तरह यहां दोनों बड़े दलों के नेता एकजुट दिख रहे हैं साथ ही अभी तक किसी नेता ने बगावती कदम नहीं उठाया है। हांलाकि दून मेयर पद के लिये इस बार आप से रजनी किन्नर, यूकेडी से विजय बौड़ाई,व सपा से सलीम ने ताल ठोकी है। इधर अन्य जनपदों में दोनों दलों के नेताओं ने भारी संख्या में बगावत कर बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। इन बागी नेताओं को हर हाल में मनाने के लिये पार्टी हाईकमान अब शाम, दाम दंड और भेद का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। अब तक भाजपा और कांग्रेस में ही मुकाबला होता रहा है मगर निकाय चुनाव में निर्दलीय और बागी नेता बड़े दलों के लिये परेशानी भी खड़ी करने से पीछे नहीं हट रहे है। लिहाजा अब अपने नेताओं की बगावत से परेशान भाजपा और कांग्रेस दोनों की अपने अपने असंतुष्टों को बनाने के लिये जुट गये हैं। गौर हो कि सूबे में इस बार सत्तासीन भाजपा के लिये प्रदेश के सात नगर निगमों में अपना मेयर स्थापित करने की चुनौती है तो वहीं राजनीति की पिच पर भाजपा की तूफानी परफाॅमेंस से कांग्रेस बुरी तरह पस्त हुई है। वहीं पिछले विस चुनाव और लोकसभा चुनाव में करारी हार का बदला लेने के लिये कांग्रेस इस चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। भाजपा अब जहां अपने बागियों को दोबरा माने और पार्टी की मजबूती के लिये बड़े आॅफर देकर मनाया जा रहा है। दूसरी तरफ कांग्रेस के लिये बागियों को मनाना काफी मुश्किल खड़ी करेगा। हांलाकि पार्टी में नाराज चल रहे कार्यकर्ताओं को बड़े पद देने का आश्वासन देकर जैसे तैसे उन्हें मनाने के लिये राजी किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि चुनाव अधिसूचना के अनुसार 27 अक्टूबर तक नामांकन वापस होने हैं। ऐसे में कांग्रेस और भाजपा दोनों इस जुगत में हैं कि अधिक से अधिक बागियों को नामांकन वापसी के लिए राजी कर अपने अधिकृत प्रत्याशियों की राह आसान की जाये। सूत्रों की मानें तो भाजपा अब डैमेज कंट्रोल के लिए अपनी पार्टी के बागियों के करीबियों के जरिए उन्हें समझाने की कोशिश कर रही है। सूत्रों के मुताबिक बागियों से यह सौदेबाजी भी हो रही है कि अगर उन्होंने पार्टी की बात मानी तो उन्हें निकाय चुनाव के बाद सरकार में दायित्व दिए जा सकते हैं। ऐसे में भाजपा को उम्मीद है कि उसके कई बागी 27 अक्टूबर तक चुनावी मैदान से हट जाएंगे। जबकि भाजपा प्रदेश अध्यच ने तो खुली चेतावनी भी दे डाली है कि अगर जो बागी नेता दो दिन के भीतर वापसी नहीं करेगा तो उसके खिलाफ पार्टी अनुशासनात्मक कार्यवाही करने से पीछे नहीं हटेगी। इधर कांग्रेस हाईकमान ने भी अपने बागियों को मनाने के लिये आॅफर देने शेरू कर दिये हैं। हांलाकि भाजपा के मुकाबले कांग्रेस में बािगयों की तादात कम है लेकिन फिर भी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने रूष्ठ नेताओं को हर हाल में मनाकर पार्टी में वापिस लाने के लिये रणनीति बना ली है। प्रदेश अध्यक्ष के निर्देष पर हर जनपद के लिये वरिष्ठ पदाधिकारियों की समिति बनायी गई है। यह पदाधिकारी अब बागियों के घर जागर उन्हें मनाने के साथ ही आश्वासन देकर उन्हें मनायेंगे। गौर हो कि प्रदेशभर में नगर निगमों, नगर पालिकाओं व नगर पंचायतों के अध्यक्षों के पदों पर भाजपा के 38 और कांग्रेस के 27 बागी नेता नामांकन करा चुके हैं। वैसे बागियों की असली स्थिति नामांकन वापसी के बाद ही साफ हो पाएगी। नगर निगमों में हरिद्वार नगर निगम के लिए कांग्रेस की दो बागी उम्मीदवारों ने नामांकन कराया है, जबकि ऋषिकेश में भाजपा की दो नेताओं ने नामांकन दर्ज कराया। कोटद्वार में भी भाजपा के तीन, कांग्रेस के एक नेताओं ने बगावत की है। रुद्रपुर निगम में भाजपा से एक और कांग्रेस से दो बागियों ने नामांकन कराया। गढ़वाल मंडल की बात करें तो यहां नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में बगावत अधिक है। हरिद्वार में शिवालिक नगर पालिका में भाजपा के तीन और कांग्रेस के दो दोवदारों ने पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ ताल ठोकी है। झबरेड़ा में कांग्रेस, भाजपा के एक-एक और मंगलौर में एक बसपा और एक भाजपा नेता ने नामांकन कराया। टिहरी जिले में बागियों ने दोनों दलों की नींद उड़ा दी है। टिहरी पालिका में कांग्रेस के तीन, भाजपा के एक, चंबा में भाजपा के 3, कांग्रेस के 2, चमियाला में कांग्रेस के एक, नरेंद्रनगर में कांग्रेस व भाजपा के एक-एक, लंबगांव में कांग्रेस के एक बागी उम्मीदवार ने बगावत कर नामांकन दर्ज करा दिया है।कुमाऊं में खटीमा में भाजपा व कांग्रेस के एक-एक, गदरपुर और किच्छा में कांग्रेस के बागी उम्मीदवारों ने पर्चा दाखिल किया है। महुआखेड़ा गंज नगर पालिका में बसपा के बागी ने नामांकन कराया है। नैनीताल में भाजपा के सात, कांग्रेस के एक, रामनगर में कांग्रेस के एक, भाजपा के दो, पिथौरागढ़ में भाजपा के दो, कांग्रेस के एक, धारचूला और डीडीहाट में कांग्रेस के एक एक बागी ने नामांकन किया है। चंपावत में भाजपा के दो, कांग्रेस के एक, अल्मोड़ा में कांग्रेस के एक, भाजपा के दो, बागेश्वर में कांग्रेस, भाजपा के एक एक उम्मीदवार ने नामांकन किया है। चमोली में कर्णप्रयाग में भाजपा एक और जोशीमठ में कांग्रेस के एक बागी ने नामांकन कराया है। उत्तरकाशी में बड़कोट नगर पालिका में भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर एक महिला दावेदार ने कांग्रेस से नामांकन किया है। पौड़ी में भाजपा के दो, कांग्रेस के एक, रुद्रप्रयाग में भाजपा के दो, अगस्त्यमुनि में एक बागी नेता ने नामांकन कराया है। देहरादून के हरबर्टपुर में भी एक बागी भाजपा नेता ने नामांकन किया है। बागियों को लेकर कार्रवाई के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां नामांकन वापसी यानी 27 अक्टूबर शाम तक का इंतजार कर रही हैं। जो बागी नामांकन नहीं वापस लेगा, उसके खिलाफ अनुशासहीनता के लिए निष्कासन तक की कार्रवाई की जा सकती है।

Narendra Baghari (Narda)

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