रम्पुरा के भाजपाईयों में आक्रोश, चुनाव के बहिष्कार का ऐलान

भाजपा पूर्व जिला महामंत्री ने अपनी ही सरकार के खिलाफ निकाली भड़ास

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रुद्रपुर,22अक्टूबर। नजूल भूमि पर बैठे लोगों को मालिकाना हक न दिये जाने से आक्रोशित रम्पुरा के लोगों ने नगर निगम चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है। उन्होने एक स्वर से ऐलान किया है कि जब तक मालिकाना हक नहीं मिलेगा तब तक वोट नहीं डाला जायेगा। दर्जनों लोग रम्पुरा स्थित मंदिर पर धरने पर बैठ गये। उनका कहना था कि सरकार ने नजूल भूमि पर बैठे लोगों के साथ छलावा किया है और उन्हें एक ओर जहां चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया है वहीं लगभग उनका वोट डालने का अधिकार भी छीन लिया है। उन्होंने कहा कि सरकारें गरीब जनता केसाथ छलावा कर रही हैं। लिहाजा किसी भी दल के लोग उनसे वोट मांगकर शर्मिन्दा न करें। जब तक सरकार उन्हें मालिकाना हक नहीं देती तब तक वह वोट डालने का बहिष्कार करेंगे। इस दौरान वहां हंगामा भी हुआ। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और उन्हें शांत कराया। धरना प्रदर्शन करने वालों में नरेश चंद शर्मा, हिम्मतराम कोली, किशन, कालीचरन, मुरारी, चन्द्रसेन चंदा, सुरेश कोली, कृष्ण कुमार, बब्बू, कुंवरपाल, विनीत, राकेश, राजू, राजकुमार समेत दर्जनों लोग मौजूद थे।
भाजपा पूर्व जिला महामंत्री ने अपनी ही सरकार के खिलाफ निकाली भड़ास
रूद्रपुर। भाजपा के पूर्व जिला महामंत्री तरूण दत्ता ने नजूल भूमि के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ अपने तेवर तीखे कर लिये हैं। उन्होंने एक बयान में कहा कि आगामी नगर निगम चुनावों में नजूल भूमि के लोगों के साथ जो अन्याय हो रहा है उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दत्ता ने कहा कि इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताते हुये अपनी ही सरकार से सवाल किया है कि क्या गरीब सिर्फ वोट देने के लिये है और अमीरों को वोट देकर कुर्सी पर बैठाने के लिये है, क्या गरीब कार्यकर्ता सिर्फ नारे लगाने, भीड़ जुटाने और दरी बिछाने के लिये हैं। बस्ती वाले कब तक अन्याय सहते रहेंगेे । दत्ता ने आगे कहा कि इस अन्याय को अब सहन नहीं किया जाएगा। भाजपा नेता ने इसे षडयंत्र बताते हुए कहा कि शीघ्र ही नजूल के मुद्दे को लेकर जनता के साथ मिलकर वोट न देने,बहिष्कार करने, नोटा दबाने जैसे विकल्पों पर फैसला लिया जाएगा। दत्ता ने कहा कि विधानसभा चुनाव में भाजपा को जनता ने बड़ी उम्मीदों के साथ 57-58 सीटें दी थी । त्रिवेन्द्र सिंह रावत के एक-डेढ़ साल के कार्यकाल में नजूल भूमि की समस्या , मालिकाना हक चुनाव लड़ने के लोकतांत्रिक हक आदि विभिन्न समस्याओं का तार्किक हल नहीं किया जिससे जनता एवं भाजपा कार्यकर्ता दोनों ही निराश है । श्री दत्ता ने कहा कि निकाय चुनाव में भाजपा पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता किस मुंह से वोट मांगेगे जनता सवाल पूछ रही है। जनता अब अपने ही प्रदेश में विस्थापितों जैसा महसूस कर रही है। नियमों में बदलाव करने की बजाय सरकार जनविरोधी नियमों को लागू कर रही है और गरीबों को हाशिये पर खड़ा कर रही है । जो लोग पहले से ही अभावों में जी रहे हैं अब वो लोकतंत्र के सबसे बड़े अधिकार से भी वंचित हो गये हैं । यह स्थिति दुभार्ग्य पूर्ण है और अगर सरकार ने तुरन्त समाधान नहीं निकाला तो इसके परिणाम गंभीर होंगे।

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