भाजपा के ‘राम’ पर दांव से विरोधी हैरान

स्वच्छ छवि और व्यवहार कुशलता बनी रामपाल सिंह की टिकट का आधार

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सुनील राणा
रुद्रपुर,21अक्टूबर। रूद्रपुर नगर निगम को भंग किये लगभग 6 माह का समय व्यतीत हो चुका है। जैसे ही रूद्रपुर नगर निगम को भंग किया गया था तो उसके बाद से अगले नगर निगम चुनावों को लेकर शहर में विभिन्न राजनैतिक दलों से जुड़े लोगों के नाम की मानों बाढ़ सी आ गयी थी। पूरा शहर होर्डिंग और फ्रलैक्सियों से पट गया था। हर कोई अपने आप को इस प्रकार से समाजसेवी दर्शाते हुए अपना प्रचार कर रहा था कि मानो जन्म-जन्म से वह समाज हित में कार्य करते आ रहे हैं और सारे शहर के सुधार का बीड़ा मानों उन्होंने उठा रखा है। लेकिन बीच में नगर निकाय चुनाव को लेकर विराम की स्थिति उत्पन्न हो गयी। लेकिन गत दिनों हाई कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने नगर निगम व नगर पंचायत चुनाव कराने की हरी झण्डी दे दी और पुनः राजनैतिक दलों के लोग सक्रिय हो गये। इसमें सबसे अधिक उठा पटक रूद्रपुर मेयर पद के लिये रही। जहां कांग्रेस और भाजपा के कई दावेदार सक्रिय थे। लेकिन इन सबके बीच नजूल भूमि का पेंच ऐसा फंसा कि सभी दिग्गज हांफने लगे। भाजपा से मेयर पद में प्रमुख दावेदारों में शैलेन्द्र कोली, सुरेश कोली, शालनी बोरा,अंकित चंद्रा,तरूण तेजपाल और के नाम प्रमुख थे। इसके साथ एक ओर नाम रामपाल का था जो मेयर पद प्रत्याशी के रूप में पिछले काफी माह से जुटे हुये थे। रामपाल भाजपा के किसी गुट से नही बल्कि भाजपा के सभी वरिष्ठ लोगों के चहेते थे। भाजपा के वरिष्ठ लोग उनकी पैरवी कर रहे थे। वहीं कांग्रेस की ओर से चन्द्रसेन कोली, नन्द लाल प्रसाद, सुनील आर्या तथा पिछली बार मेयर पद का चुनाव लड़ चुकी ममता रानी अग्रिम पंक्ति में थे। कल शाम भाजपा हाई कमान ने राज्य के विभिन्न नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायत का चुनाव लड़ने वाले मेयर व अध्यक्ष पदों के नामों की घोषणा की। रूद्रपुर मेयर पद हेतु भाजपा ने गुटबाजी को दरकिनार कर शक्ति विहार निवासी और पिछले कई वर्षों से एलआईसी में बतौर असिसटेंट पद पर कार्यरत रामपाल सिंह को भाजपा ने मेयर पद के लिये अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया। रामपाल के नाम की घोषणा होते ही रूद्रपुर की राजनीति में उठा पटक शुरू हो गई। क्योंकि नाम घोषित होने से पूर्व ऐसे अनेक दावेदार सामने थे जो लम्बे अरसे से भाजपा में सक्रिय थे। लेकिन भाजपा ने रामपाल पर विश्वास जताते हुए उन्हें मेयर पद का उम्मीदवार घोषित किया। रामपाल सिंह व्यवहार कुशल हैं और स्वच्छ छवि रखते हैं। हालांकि वह राजनीति में सक्रिय नहीं रहे लेकिन भाजपा के पुराने सिपाही है और समाज सेवा के कार्यों में बढ़ चढ़ कर भाग लेते रहे हैं। रामपाल सिंह उच्च शिक्षित हैं और उन्होंने प्रशासनिक सेवा में भी जाने की तैयारी की थी। वह अक्सर विवादों से दूर रहे हैं और संघ में भी उनकी पकड़ है। अंदरूनी रूप से वह भाजपा में सक्रिय रहे हैं और इस नगर निगम चुनाव में जो सबसे महत्वपूर्ण नजूल भूमि का मुद्दा है वह उससे कोसो दूर हैं और गुटबाजी से भी सदैव परे रहे हैं। जब रामपाल सिंह ने मेयर पद की दावेदारी की उस पर उन्होंने गत बीती 18 अक्टूबर को एलआईसी में अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि वह भाजपा के कर्मठ और सच्चे सिपाहसलार हैं। जिस प्रकार पार्टी ने उन पर विश्वास जताते हुए उन्हें मेयर पद का टिकट सौंपा है उसी प्रकार वह पार्टी के विश्वास पर खरा उतरते हुए मेयर पद की सीट भाजपा की झोली में डालेंगे। फिलहाल माना जा रहा है कि शहर की राजनीति में एक अनाम रामपाल सिंह को पार्टी ने तो अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है लेकिन लम्बे अरसे से सक्रिय पार्टी के उन दावेदारों को भी मनाना संगठन के लिये कड़ी चुनौती होगी। क्योंकि खेमेबाजी और गुटबाजी से इतर हटकर ही भाजपा इस चुनाव में फतेह हासिल कर सकती है। यह आने वाले दिनों में साफ हो जायेगा।

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