नजूल कब्जेदार को टिकट नहीं देगी भाजपा और कांग्रेस?
नजूल का पेंचः भाजपा में मेयर के सात दावेदारों में से चार और कांग्रेस में छह दावेदारो में से चार नजूल कब्जेदार,वार्डों में भी टिकट को लेकर असमंजस
रुद्रपुर।उच्च न्यायालय के आदेश के बाद 16 पार्षदों और मेयर सहित उनके परिजनों को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किये जाने के बाद अब कांग्रेस और भाजपा के समक्ष दावेदारों का चयन करना टेढ़ी खीर साबित हो रही है। कल मेयर सहित पार्षद पद हेतु भाजपा में रायशुमारी हुई थी जिसमें मेयर पद हेतु 7 लोगों ने अपनी दावेदारी पेश की थी जिसमें शैलेंद्र कोली, सुरेश कोली, रामपाल, शालिनी बोरा, अंकित चन्द्रा, रामकिशन कोली और तरूण तेजपाल शामिल थे जबकि पार्षद पद हेतु 40 वार्डों से सैकड़ों दावेदाराें ने अपनी दावेदारी पेश की लेकिन नजूल के पंगे के चलते संगठन के समक्ष अब इनका चयन करना मुश्किल हो गया है। मेयर पद हेतु दावेदारी करने वाले शैलेंद्र कोली, सुरेश कोली, अंकित चन्द्रा और रामकिशन कोली या उनके परिजन किसी न किसी नजूल भूमि पर बसे हैं। जबकि निकाय चुनाव की योग्यता में एक शर्त है कि सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने वाला स्वयं या उसका परिवार का सदस्य चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य है। अगर इस गुणा भाग को देखें तो भाजपा से मेयर पद हेतु रामपाल, शालिनी बोरा और तरूण तेजपाल का नाम ही बचता है। सूत्र बताते हैं कि संगठन भी इन्हीं तीन नामों पर विचार कर रहा है जिसमें रामपाल का नाम सबसे आगे बताया जाता है। जबकि कांग्रेस से मेयर पद के लिए चुन्नी लाल,नंद लाल,ममता रानी, सुनील आर्य, चंद्रसेन कोली, नत्थू लाल कोली ने दावेदारी की है।इनमें से चुन्नी लाल,ममता रानी, चंद्रसेन कोली और नत्थू लाल कोली नजूल पर निवास करते हैं। जिसके चलते कांग्रेस भी नजूल पर निवास कर रहे लोगों को अपना प्रत्याशी बनाने से कतरा रही है। रूद्रपुर नगर निगम क्षेत्र की यह विडम्बना है कि यहां 78 प्रतिशत भूमि नजूल है और वह भूमि सरकारी भूमि कहलाती है। उस पर निवास करने वाले लोग कानून कीनजर में अतिक्रमणकारी हैं। इस 78 प्रतिशत भूमि पर नगर निगम के 40 वार्डों में से 32 वार्ड शामिल हैं। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद 16 पार्षदों और मेयर सहित उनके परिजनों को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किये जाने के बाद से ही इन वार्डों से चुनाव की तैयारियां कर रहे दावेदारों में हड़कम्प था लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि प्रदेश सरकार इस संबंध में कोई न कोई रास्ता अवश्य निकालेगी लेकिन रास्ता निकालने से पूर्व ही
निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है।