ऐतिहासिक चुनाव में घर बैठने को मजबूर रूद्रपुर के महारथी!
पूर्व मेयर समेत भाजपा और कांग्रेस के 16 नेता नहीं लड़ पायेंगे चुनाव
रूद्रपुर। प्रदेश की आर्थिकी का स्रोत कहे जाने वाले रूद्रपुर में इस बार निकाय चुनाव के लिये उम्मीदवारों को लेकर भारी माथापच्ची हो रही है। दावेदारों के चयन को लेकर जहां राजनैतिक दलों में ऊहापोह की स्थिति है वहीं वोटर भी कसमकस में। इस बार रूद्रपुर नगर निगम क्षेत्र में परिसीमन के बाद वार्डो की संख्या में दोगुनी बढ़ोत्तरी हो गई है। यहां पहली बार कुल 40 वार्डो में चुनाव हो रहे हैं जो अपने आप में ऐतिहासिक होंगे। शासन ने पिछले दिनों नजूल पर काबिज निवर्तमान मेयर समेत 16 पार्षदों के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद निकाय चुनाव को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुयी है। वैसे तो रूद्रपुर का अधिकांश नगरीय क्षेत्र नजूल भूमि पर बसा हुआ है मगर इन नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक लगने से उहापोह की स्थिति बनी हुई है। नजूल के पेंच की वजह से वार्डो में अधिकांश नेता चुनाव लड़ने से वंचित हो रहे हैं। जिसके चलते राजनैतिक दलों के सामने यह समस्या है कि आखिर चुनाव लड़ायें किसे? ऐसी स्थिति में अब भाजपा कांग्रेस नये चेहरों की तलाश में है। निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही नेताओं का दिन का चैन और रात की नींद ही उ़ड़ गई है जबकि दो दिन बाद यानि 20 अक्टूबर से नामांकन प्रकिया भी शुरू हो जायेगी। अचानक चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद रूद्रपुर में भाजपा और कांगेस को मजबूत प्रत्याशियों के चयन के लिये शासन के आदेश को लेकर नजूलभूमि के कब्जेदारों में भारी नाराजगी है। पूर्व मेयर का कहना है कि वह शासन के खिलाफ कोर्ट की शरण में गई है। अगर कोर्ट से जल्द से जल्द निर्णय नहीं आया तो भाजपा और कांग्रेस को चुनाव में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। वहीं कई नेताओं को शासन के आदेश के चलते घर बैठने को मजबूर होना पड़ेगा। नजूल भूमि के कब्जेदारों को चुनाव लड़ाने के लिये कोई स्पष्ट गाईडलाईन जारी नहीं होने से इन नेताओं में भारी रोष व्याप्त है। लोगों को कहना है कि सरकार को नजूल भूमि कई दशकों से बसे हजारों परिवारों में से प्रत्याशियों को चुनने का अधिकार देना चाहिये। दूसरी तरफ नामांकन के लिये मात्र दो दिन शेष रह गये है। इस बार नगर निगम रूद्रपुर में 40 वार्डो के लिये होने वाले चुनाव में जहां कुल 19 वार्डों को अनारक्षित श्रेणी में रखा गया है तो वहीं अन्य 21 वार्डों में आरक्षित श्रेणी है। इनमें मुख्य रूप से ट्रांजिट कैंप पश्चिम, ट्रांजिट कैंप मध्य,जगतपुरा, आजाद नगर, शिवनगर, विवेक नगर, राजा कालोनी, दूधिया नगर, बगवाड़ा, भूतबंगला पूर्वी,भूतबंगला, दक्षिणी, पहाड़गंज, मुख्य बाजार, डी1, डी 2, सिंह कालोनी, भूरारानी, आवास विकास, फुलसुगा, फुलसुगी के साथ ही इंदिरा कालोनी के वर्डों को अनारक्षित श्रेणी में रखा गया है। जबकि रविंद्र नगर, सिडकुल को अनुसूचित जाति के अलावा खेड़ा उत्तरी,रम्पुरा पूर्वी, रम्पुरा मध्य ,रम्पुरा पश्चिम को अनुसूचित जाति ,आवास विकास पश्चिम को महिला अनुसूचित के लिये आरक्षित किया है। वहीं ट्रांजिट कैंप पूर्वी खेड़ा मध्य,भदईपुरा, फाजलपुर महरौला को पिछड़ी जाति और मुखर्जी नगर, संजय नगर औद्योगिक क्षेत्र, सीर गोटिया,गांधी कालोनी, आदर्श कालोनी, एसआरए कालोनी, एलाइंस कालोनी, आदर्श इंदिरा कालोनी को महिला उम्मीदवार के लिये आरक्षित किया है। जबकि ट्रांजिट कैंप पूर्वी, भदईपुरा, खेड़ा दक्षिणी, खेड़ा मध्य को पिछड़ी जाति महिला श्रेणी में रखा गया है।
चुनाव लड़ने के लिये जोड़तोड़ में जुटे नेता
रूद्रपुर। शासन के आदेश से रूद्रपुर के 16 पूर्व पार्षदों समेत नजूल के कई कब्जेदारों ने निकाय चुनाव में अपना वर्चस्व खत्म होता देख अब चुनाव लड़ने के लिए जोड़तोड़ शुरू कर दिया है। कुछ नेताओं ने जहां अपनी उम्मीदावारी को मजबूती से पार्टी के समक्ष रखा है तो कुछ पुराने नेता जिनके चुनाव लड़ने पर रोक लगी है वह अब भी ऐड़ी चोटी का जोर लगाने में जुटे हैं। कई नेता तो घर परिवार छोड़कर चुनाव लड़ने की जुगत में लग गये हैं। सूत्रें के अनुसार कुछ बड़े नेताओं ने जहां नजूल पर काबिज होने के बावजूद अपना ठिकाना ही बदल दिया है। इतना ही नहीं कुछ ने किरायानामा बनाकर चुनाव में उतरने के लिये नये हथकंडे तैयार कर लिये हैं। बहरहाल चुनाव लड़ने के लिये नेता हर हथकंडा अपनाकर किसी तरह अपना वर्चस्व कायम रखना चाहते है।
सत्तापक्ष को हो सकता है नुकसान
रूद्रपुर। निकाय चुनाव में अपनी सियासी जमीन खिसकते देख सत्ता पक्ष के नाताओं में भी नाराजगी हैं। 16 नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक लगी है जिसमें कुछ भाजपा के भी वरिष्ठ एवं युवा नेता शामिल हैं। इनमें से अधिकांश नेता सरकार के रवैये से नाराज हैं। ये नाराज नेता सरकार के खिलाफ भी माहौल बना सकते है। अगर ऐसा हुआ तो सत्तापक्ष को रूद्रपुर में अपना मेयर बनाने के लिये कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है। भाजपा में चल रही इस गहमागहमी के चलते इस चुनाव में कांग्रेस मैदान मारकर भाजपा को झटका दे सकती है।