हर हर गंगे…निगमानंद के बाद अब सानंद देंगे बलिदान ??
सौ से अधिक दिन से अनशनरत ‘जीडी अग्रवाल’ ने जल का भी किया त्याग ,निगमानंद की मौत के बाद भी नहीं जाग रही सरकारें
देहरादून/हरिद्वार। मोक्षदायिनी मां गंगा की निर्मलता और अविरलता की मांग के साथ ही उत्तराखंड की छह नदियों पर जल विद्युत परियोजनाओं के खिलाफ अनशन कर रहे स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद ने आज जल का भी त्याग कर दिया है। बताया जा रहा है कि उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आ रही है। अन के बाद अब जल त्यागने से तबियत कभी भी गिगड़ सकती है। स्वामी सानंद के इस त्याग और पूर्व में समाज और सरकार दोनों को आगाह करते हुए हरिद्वार स्थित मातृ सदन के स्वामी शिवानंद सरस्वती के पुत्र निगमानंद की मौत के बावजूद न तो राज्य की सरकार ने इस दिशा में कुछ विचार किया और न ही केंद्र की सरकार ने उनकी मांगों को लेकर गौर किया। अब एक बार फिर स्व.निगमानंद की मौत की यादे ताजा हो गई है। स्वामी निगमानंद सरस्वती की मौत 13 जून 11 को हिमालयन इंस्टीट्यूट जॉलीग्रांट में हो गयी थी। मातृसदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती ने जिला अस्पताल में इलाज के दौरान जहर देकर उनकी हत्या का आरोप लगाया था। देवभूमि उत्तराखंड में एक और संत ने गंगा रक्षा के लिये अपना बलिदान देने की घोषणा कर सभी को हैरानी में डाल दिया है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बेरूखी और उत्तराखंड सरकार की कार्यशैली से नाखुश वयोवृद्ध सन्यासी संत स्वामी सानंद ने सनसनीखेज ऐलान करते हुए अब जल को भी त्यागने का प्रण ले लिया है। इतना ही नहीं स्वामी सानंद ने जल छोड़ अपने प्राण तक त्याग देने की धमकी दे दी है। पिछले एक सौ नौ दिनों से वह भोजन नहीं ले रहे हैं। केवल पानी पर जीवित स्वामी सानंद मंगलवार नौ अक्टूबर से जल लेना भी छोड़ देंगे। उन्होंने कहा है कि लगातार कई बार पत्र लिखने के बाद भी उनकी जायज मांगों पर कोई विचार नहीं किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे सवाल उठाते हुए उन्होंने गंगा की उपेक्षा करने और राज्य सरकार पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप भी लगाया। उल्लेखनीय है कि स्वामी सानंद उत्ताखंड के जाने माने पर्यावरणविद और आईआईटी के पूर्व प्रोफेसर जीडी अग्रवाल हैं। उन्होंने अपना जीवन गंगा को समर्पित करते हुए संन्यास ग्रहण कर लिया था और फिलहाल वे यहां मातृ सदन आश्रम हरिद्वार में अनशन कर रहे हैं। मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने स्वामी सानंद की मांगों के बारे में बताया कि गंगा पर बनने वाली चार परियोजनाओं को बंद किया जाना चाहिए। जिसमें फाटा, सिंगोली, पीपलकोटी और धौलीगंगा परियोजना शामिल हैं। यही नहीं भविष्य में प्रस्तावित परियोजनाओं को भी निरस्त किया जाना चाहिए। साथ ही गंगा में खनन पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए। इसके अलावा जो परियोजनाएं पहले बन चुकी हैं, उनसे गंगा की अविरलता बनाए रखने के लिए पर्याप्त गंगा जल छोड़ा जाना चाहिए। स्वामी शिवानंद ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी गंगा की रक्षा करने की झूठी बातें करते हैं। उनकी सरकार के मंत्री नितिन गडकरी संतों की उपेक्षा और उपहास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार और उनके मंत्री घमंड में जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि गंगा उनके लिए मां है। लेकिन गंगा का एक बेटा हरिद्वार में प्राण त्यागने जा रहा हैं और गंगा पुत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोई सुध नहीं ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी सानंद के बाद वे भी अनशन शुरू कर देंगे और बलिदान का ये सिलसिला उनके शिष्य भी जारी रखेंगे।
स्वामी सानंद की चेतावनी के बाद सियासत शुरू
हरिद्वार। लगभग सौ से अधिक दिन से अनशन पर बैठे स्वामी सानंद की अन, जल और अब प्राण त्यागने की धमकी के बाद खलबली मची हुई है। आज स्वामी सानंद को मनाने के लिये पूर्व सीएम व सांसद डा. रमेश पोखरियाल निशंक मातृ सदन पहुंचे। जगजीतपुर स्थित मातृसदन में निशंक और स्वामी सानंद के बीच करीब एक घंटा चली वार्ता के बाद भी सानंद अपनी मांगों पर अडिग रहे। देर शाम स्वामी सानंद ने बताया कि जब तक केंद्र सरकार इस संबंध में कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं करती हैए तब तक वे जल ग्रहण नहीं करेंगे। अपने पूर्व निर्णय के अनुसार दोपहर बाद से उन्होंने जल का त्याग कर दिया। गौर हो कि पिछले सप्ताह स्वामी सानंद के अन्न त्यागने के ऐलान करने के बाद पूर्व सीएम हरीश रावत भी मातृसदन पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने गंगा समेत हिमालयी नदियों के सरंक्षण की मांग को लेकर अनशन पर बैठे स्वामी सानंद की तपस्या का समर्थन करते हुए सरकार से तत्काल मांगों पर विचार करने की माग उठाई। इतना ही नहीं पूर्व सीएम ने मोदी सरकार और त्रिवेंद्र सरकार पर स्वामी सानंद की अनदेखी करने का भीआरोप लगाया।
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