बड़ी खबर: आईपीएस दीपम सेठ एसएसबी से रिलीव, उत्तराखंड को मिल सकता है नया डीजीपी !
उत्तराखंड में स्थायी डीजीपी की नियुक्ति को लेकर चर्चायें शुरू
देहरादून। उत्तराखंड के आईपीएस अधिकारी दीपम सेठ प्रतिनियुक्ति से वापस आ रहे हैं। उन्हें समय से पहले ही कार्यमुक्त कर दिया गया है। जिसके बाद से उत्तराखंड में चर्चाओं के बाजार गर्म हैं। उत्तराखंड सरकार ने मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी आईपीएस अभिनव कुमार की नियुक्ति को लेकर शासन स्तर पर मंथन शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि आईपीएस दीपम सेठ उत्तराखंड के नए डीजीपी होंगे। आईपीएस अधिकारी दीपम सेठ प्रतिनियुक्ति से वापस आ रहे हैं। दीपम सेठ एडीजी एसएसबी में प्रतिनियुक्ति पर हैं और उत्तराखंड कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। बता दें कि दीपम सेठ 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उनके वापस आने की खबरों के बीच उत्तराखंड में चर्चाओं के बाजार गर्म हैं। आईपीएस अधिकारी दीपम सेठ की वापसी के साथ उत्तराखंड में बड़े फेरबदल की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। एकाएक बुलाए जाने और तत्काल रिलीव होने से चर्चा हो रही है कि उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। शासन की मांग पर एडीजी दीपम सेठ प्रतिनियुक्ति अवधि बीच में छोड़कर उत्तराखंड वापस आ रहे हैं। उन्हें मूल कैडर में वापस भेजने के लिए गृह सचिव ने शुक्रवार को ही पत्र लिखा था। इसके अगले ही दिन शनिवार को उन्हें सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) से रिलीव कर दिया गया है। एकाएक बुलाए जाने और तत्काल रिलीव होने से डीजीपी के चयन के संबंध में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। सेठ जनवरी में महानिदेशक यानी डीजी पद पर पदोन्नत भी हो जाएंगे। ऐसे में वरिष्ठता के हिसाब से अब उनसे ऊपर कोई नहीं है। दरअसल, पिछले साल पूर्व डीजीपी अशोक कुमार के सेवानिवृत्त होने से पहले से नए डीजीपी के चयन को जोड़तोड़ होने लगी थी।केंद्र सरकार ने ऐसे पांच राज्यों के लिए नियमों में शिथिलता दी थी जहां पर डीजी रैंक के पुलिस अफसर नहीं हैं। इनमें 25 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके एडीजी रैंक के अधिकारियों का ही पैनल डीजीपी के लिए मांगा गया था। इस दायरे में प्रदेश के पांच एडीजी रैंक के अधिकारी आ रहे थे। इनमें सबसे वरिष्ठ दीपम सेठ हैं। लेकिन, उस वक्त वह प्रतिनियुक्ति पर थे। ऐसे में चर्चाएं इस बात की भी हुई कि सेठ वापस आ रहे हैं, मगर ऐसा नहीं हुआ और शिथिलता के नियमों के आधार पर पिछले साल 30 नवंबर को एडीजी अभिनव कुमार को कार्यकारी डीजीपी चुन लिया गया। हालांकि, उस वक्त यह बात भी उठी कि अभिनव कुमार का मूल कैडर उत्तर प्रदेश है। एक साल के भीतर कई बार इस तरह की चर्चाएं हुईं कि यहां पर स्थायी डीजीपी की नियुक्ति होनी है। कई राज्यों को सुप्रीम कोर्ट ने कार्यकारी डीजीपी की व्यवस्था पर फटकार भी लगाई। ऐसे में अक्तूबर में फिर से पैनल यूपीएससी को भेजा गया। उस वक्त भी उनका मूल कैडर का ही पेंच फंसा और अभिनव कुमार का नाम इस पैनल में शामिल नहीं हो सका। कार्यवाहक डीजीपी अभिनव कुमार ने गृह सचिव शैलेश बगौली को डीजीपी के चुनाव की प्रक्रियाओं को बताते हुए पत्र भी लिखा था। उन्होंने उत्तर प्रदेश की तर्ज पर डीजीपी नियुक्त करने की सिफारिश की थी। इसके लिए शासन स्तर पर ही समिति बनाई जानी थी। डीजीपी के चुनाव के लिए यूपीएससी की दखल को भी उन्होंने गैर जरूरी बताया था। इसके लिए उन्होंने उत्तराखंड पुलिस अधिनियम 2007 के नियमों का भी हवाला गृह सचिव को दिया था। बताया गया था कि शासन खुद दो साल के लिए उपयुक्त अधिकारी को डीजीपी बना सकती है। इसका प्रावधान पहले से ही एक्ट में है।