हर घंटे मे हो रहे सड़क पर हादसे,सड़क सुरक्षा के दोवे फेलः पहाड़ों में बढ़ते सड़क हादसे के मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रही कोई भी सरकार
देहरादून(उद संवाददाता)। उत्तराखंड के अल्मोड़ा में सोमवार सुबह हुए दर्दनाक सड़क हादसे में 36 लोगों की मौत हो गई है। जबकि कई लोग जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं। इस बीच एक चौकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। जिससे ये पता चलता है कि प्रदेश में हर एक घंटे में सड़क हादसे में एक मौत हो रही है। सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल के अनुसार एक राज्य के रूप में, हम हर साल करीब 1 हजार लोगों को सड़क दुर्घटनाओं में खोते हैं। इसका मतलब है कि हमारे राज्य में औसत लगभग हर 8 घंटे में एक सड़क दुर्घटना से मृत्यु होती है। यह याद रखना जरूरी है कि घायलों की संख्या उन लोगों से कहीं अधिक है जो सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। अनूप नौटियाल बताते हैं दुर्घटना की गंभीरता की दर, यानी 100 दुर्घटनाओं में मृतकों की संख्या, उत्तराखंड में राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी अधिक है। उत्तराखंड परिवहन विभाग की वेबसाइट के अनुसार 2018 से 2022 के बीच के आंकड़ों में राज्य की दुर्घटना की गंभीरता की दर 2018 में 71।3 के उच्चतम स्तर से गिरकर 2021 में 58.36 के निम्नतम स्तर तक पहुंची है। यह अत्यंत चिंताजनक है कि हमारी गंभीरता की दर राष्ट्रीय औसत से दोगुनी है। नौटियाल आगे कहते हैं ये भी निराशाजनक है कि न तो भाजपा और न ही कांग्रेस, किसी भी राज्य सरकार ने उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं के मुद्दे को गंभीरता से लिया है। हाल में हुए अल्मोड़ा हादसे के मामले में निचले स्तर के अधिकारियों को निलंबित करना सिर्फ खानापूर्ती साबित हो रहा हैं एसे लापरवाही पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिये। जब तक राज्य सरकार और इसके विभिन्न विभाग फोर ई के सि(ांतों इंजीनियरिंग, इमरजेंसी केयर, एनफोर्समेंट और एजुकेशन पर गंभीरता से काम नहीं करेंगे, तब तक हम और अधिक जीवन खोते रहेंगे। सड़क सुरक्षा के बारे में सभी नगरिकों, ड्राइवरों और टूरिस्ट्स को जागरूक करना बेहद जरूरी है। वहीं सड़क सुरक्षा के कार्यों को लेकर भी ठोस कार्ययोजना तैयार करनी होगी। पहाड़ी जनपदों में सड़कों के किनारे पैराफिट व क्रैश बैरियार नहीं लगाने से हादसे बढ़ रहे है।