भिक्षाम देहि…..साधु रावण का वेश धर विधायक ठुकराल ने किया रोमांचित

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सुनील राणा
रुद्रपुर।अहम् ब्रह्मास्मि, अहम् ब्रह्मास्मि,अहम् ब्रह्मास्मि के ब्रह्मनाद से साधु का रूप धरा लंकाधिपति रावण कुटिया में प्रवेश करता है जहां से वह मृगमाया के जरिये राम और लक्ष्मण को कुटिया से बाहर भेज देता है और अपनी बहन शूर्पणखा की नाक काटने का बदला लेने के लिए कुटिया में पहुंचता है ताकि वह सीता का हरण कर सके। साधु रूप में रावण का रूप धरे क्षेत्र के विधायक राजकुमार ठुकराल ने अपनी भाव भंगिमाओं और ओजपूर्ण वाणी से जिस प्रकार से इस चरित्र को आत्मसात किया उसकी बानगी इस क्षेत्र की रामलीलाओं में कम ही देखने को मिलती है। लम्बे चौड़ी कद काठी के विधायक राजकुमार ठुकराल इंदिरा कालोनी की रामलीला में पिछले चार वर्षों से साधु रावण का अभिनय निभाते आ रहे हैं। हालांकि आज भी शहर के पुराने लोग रूद्रपुर की मुख्य रामलीला में उनके साधु रावण और मेघनाथ की भूमिका को कभी भी विस्मृत नहीं कर सकते कि जिस प्रकार से उन्होंने मेघनाथ की भूमिका को अपने अभिनय कौशल, विलक्षण प्रतिभा और ओजपूर्ण वाणी के जरिए जिस मुकाम तक पहुंचाया उस मुकाम तक संभवता अभी तक रामलीला का कोई भी कलाकार नहीं पहुंच पाया है। राजनीति में अक्सर राजनेताओं की कलाकारियों के चर्चे विभिन्न मंचों से सुनने को मिल जाते हैं लेकिन कुछेक ही ऐसे राजनेता हैं जो राजनीति के कलाकार होने के साथ साथ अभिनय के क्षेत्र के भी माहिर हैं। उनमें से विधायक ठुकराल का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। हालांकि कालाढूंगी के विधायक बंशीधर भगत भी वहां की रामलीलाओं में कई दशकों से दशरथ का रोल अदा करते आये हैं और उनकी अदाकारी का भी हर कोई कायल रहा है। वहीं विधायक ठुकराल रामलीला मंच पर जिस प्रकार से साधु रावण का अभिनय करते हैं उसे देख दर्शकों में भी रोमांच पैदा हो जाता है। गतरात्रि श्री शिव नाटक क्लब इंदिरा कालोनी की ओर से आयोजित रामलीला में सीता हरण का दृश्य दिखाया गया जिसमें विधायक साधु का रूप धर सीता का हरण करने पहुंचते हैं। पहले वह सीता से भिक्षाम् देहि, भिक्षाम देहि का उच्चारण कर भीख मांगते हैं लेकिन जब सीता मैया लक्ष्मण रेखा से बाहर आने से मना कर देती है तो साधु रूप धरकर आया रावण बेहद क्रोधित हो जाता है। विधायक ठुकराल के अनुनय विनय के बाद जब उनका यह दृश्य सामने आता है तो सहसा ही रामलीला मंचन देख रहे दर्शक स्तब्ध रह जाते हैं कि जब वह लक्ष्मण रेखा से बाहर न आने पर माता सीता को श्राप देने का ढोंग रचते हैं और जब सीता लक्ष्मण रेखा से बाहर आ जाती है तो साधु का रूप धरे रावण के वेश में विधायक राजकुमार ठुकराल जिस कुटिलता से अपने संवादों का उच्चारण करते हैं वह देखते ही बनता है। इस दौरान रावण और सीता संवाद की बानगी भी बेहद अनुकरणीय रहती है। तत्पश्चात साधु का रूप धरा रावण अपने असली रूप में आ जाता है और माता सीता का अपहरण कर लंका की ओर कूच कर जाता है। पिछले कई वर्षों से रामलीला के मंचन के दौरान विधायक राजकुमार ठुकराल का साधु के वेश में रावण का यह रूप देखने के लिए हजारों की संख्या में जनसमुदाय पहुंचता है और बरबस ही सभी उनके इस विलक्षण अभिनय की दिल खोलकर तारीफ करते हैं।

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