रोजगार क्षेत्र के आकड़ों पर हरदा ने दी बहस की चुनौतीः उत्तराखंड में निरंतर बढ़ते पलायन की चिंताजनक स्थिति

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देहरादून(उद संवाददाता)। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा रोजगार दर में कमी आने के दावों के साथ ही भू कानून को लेकर दिए बयान पर सवाल उठोय है। शुक्रवार को पूर्व सीएम एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर उत्तराखंड में रोजगार की स्थिति और आकड़ों को लेकर एक पोस्ट में सरकार के दावों पर बसह की चुनौती दी है। पूर्व सीएम हरदा के अनुसार आज रोजगार को लेकर मुख्यमंत्री जी के बड़े-बड़े दावे पढ़ने को मिले! मुख्यमंत्री जी ने कहा है तो छपेगा। मुख्यमंत्री जी आपके दावे मन को गुदगुदा नहीं रहे हैं बल्कि चिड़ा रहे हैं। रोजगार क्षेत्र के राष्ट्रीय आंकड़े और उत्तराखंड में निरंतर बढ़ते पलायन की चिंताजनक स्थिति कुछ और कहानी कह रही है। कांग्रेस के पास उत्तराखंड में रोजगार के क्षेत्र में बताने के लिए बहुत कुछ है। मैं स्वयं आंकड़े सामने लाता यदि उसके साथ खुद अपनी प्रशंसा जुड़ी हुई नहीं होती। मैं कांग्रेस के नेतागणों और प्रवक्ताओं पर छोड़ता हूं कि वह तुलनात्मक आंकड़ों को सामने रखें। आइए राज्य में हमारे रोजगार, तुम्हारे रोजगार पर एक बहस हो जाए। कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि राज्य गठन के बाद सरकारी क्षेत्र में 80% नियुक्तियां कांग्रेस काल में हुई हैं, चाहे वह उपनल या आउटसोर्सिंग के माध्यम से हो। उन्होंने बताया कि 20% शेष पदों में से 7-8% कर्मी उत्तर प्रदेश से आए हैं, जबकि बाकी पद विभिन्न सरकारों द्वारा भरे गए हैं। कांग्रेस ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि मुख्यमंत्री के सलाहकार उन्हें पूर्ववर्ती सरकारों के द्वारा रोजगार के क्षेत्र में किए गए कार्यों का सही-सही विवरण नहीं दे पा रहे हैं। गरिमा ने कहा कि कांग्रेस ने हरिद्वार से उधम सिंह नगर तक सिडकुल और पिटकुल जैसे औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना की, जिससे लाखों युवाओं को रोजगार मिला। दसौनी ने आगे कहा कि कांग्रेस के समय में 70% स्थानीय युवाओं को नौकरी देने का प्रावधान किया गया था। दसौनी ने भाजपा शासन में बड़े संस्थानों के बंद होने, जैसे आईडीपीएल और एचएमटी, की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन में स्थापित कई लघु उद्योग अब बंद हो चुके हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने तीन साल के कार्यकाल में 32 हजार सरकारी पदों पर नियुक्तियां की थीं, जबकि भाजपा सरकार में बड़ी वैकेंसी को नजरअंदाज किया जा रहा है। गरिमा ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री के दावे सच्चे होते, तो बेरोजगार संघ के युवा आमरण अनशन पर नहीं होते। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता दसौनी ने सीएम के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि सरकार भू कानून के प्रति संवेदनशील है तो उसे हिमाचल से अधिक कठोर कानून लागू करने चाहिए। दसौनी ने कहा कि हिमाचल तो समय रहते चेत गया। इस वजह से उसके पास अच्छा खासा लैंड बैंक है। लेकिन उत्तराखंड साल दर साल भू माफिया के हाथों लूट रहा है, बड़ी-बड़ी भूमि कब्जाई जा रही है। स्वयं पूर्व डीएम देहरादून द्वारा यह आधिकारिक तौर पर बयान दिया गया की 2016 के मुकाबले नगर निगम देहरादून के पास मात्र 40% भूमि बची है।

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