भगत दा के पैतृक गांव नामटी चेताबगड में भूस्खलन का खतरा, सड़क खस्ताहाल
धरमघर(उद संवाददाता)। दो जिलों के समीप सीमावर्ती क्षेत्र में बसे नामटी चेटाबागड़ गांव में बार-बार हो रहे भूस्खलन से लगभग 30 परिवारों के घर खतरेकी जद में हैं, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का पैतृक निवास भी शामिल है। गुन्ठी गधेरे से गांव के सामने ऊपरी भाग से लगातार भूस्खलन सें बड़े पैमाने पर भूमि खिसक रही है, जिससे प्राकृतिक जल प्रवाह बाधित हो रहा है और मलबा आवासीय क्षेत्रों की ओर बढ़ रहा है। भूस्खलन ने कई घरों में गंभीर दरारें पैदा कर दी हैं, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का पैतृक घर भी शामिल है, जहां आंगन खतरनाक रूप से झुकने लगा है। गांव के निवासी पान सिंह कोश्यारी, मोहन राम व नारायण सिंह फकीरा दत्त पाठक, बलवंत सिंह कोश्यारी,सहित गूंठी गांव खतरे की जद में आ गया है।ग्रामीणों ने खराब होती स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त की। कई दिनों से भूस्खलन के कारण गांव की सड़कें अवरुद्ध हैं। 35 बच्चों वाला प्राथमिक विद्यालय भी खतरे में है। यदि भूस्खलन जारी रहता है, तो पूरे क्षेत्र को खतरा होगा,,ग्रामीण नारायण सिंह रावत ने कहा कि लगभग 2,000 लोगों की आबादी वाला गांव, जो विभिन्न छोटे बस्तियों में फैला हुआ है,जिनमें नामतीचेताबगड, मानसून में वर्षाकाल में अक्सर चुनौतियों का सामना करता है। इस साल की स्थिति भयावह होती जा रही है, जिसमें जलापूर्ति योजनाएं नष्ट हो गई हैं और सड़कें लंबे समय तक बंद हैं। रामगंगा पुल के टूटने के बाद कई पुल भी असुरक्षित घोषित किए गए हैं। स्थानीय लोगों द्वारा अधिकारियों को बार-बार शिकायतों के बावजूद तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की गई है। अधिकारियों को कई बार सूचित किया है, लेकिन स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कोई प्रभावी उपाय नहीं किए गए हैं,। वही ग्रामीणों और क्षेत्र वासियों ने पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यपाल का पैतृक गांव होने के नाते प्रदेश सरकार में प्रमुख अहौदा रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री और गवर्नर से गांव और आसपास हो रहे आपदा के नुकसान के लिए तत्काल प्रभावी उपाय अपनाने और ग्रामीणों की जानमाल की सुरक्षा और प्रभावितों को मुवावजा सहित क्षेत्र की समस्याओं का निराकरण करने की अपील की है।वही भूस्खलन से क्षेत्र के लिए मूलभूत सुविधाओं का अभाव हो गया है, ग्रामीणों को सड़क के जगह जगह टूटने क्षतिग्रस्त होने से कई किमी पैदल यात्रा करनी पड़ रही है। जबकि ग्रामीणों को पूर्व मुख्यमंत्री के गांव में आ रही आपदा के बाद सतर्कता से तत्काल आपदा से हुए नुकसान के लिए प्रभावी उपाय होने की संभावना थी, परंतु अब तक कोई ठोस पहल नही होने से ग्रामीणों में सरकार और जिला प्रशासन के प्रति रोष है।एक ग्रामीण के मुताबिक भूस्खलन क्षेत्र का आकलन करने के लिए सुनील दत्त के नेतृत्व में एक भूवैज्ञानिकों की टीम भेजी गई है। फ्हमारी टीम ने साइट का दौरा किया है और लगातार फिसलन देखी है, जिससे क्षेत्र का उपचार चुनौतीपूर्ण हो गया है। अभी के लिए, घर अभी भी खड़े हैं, लेकिन जोखिम बहुत अधिक है, दत्त ने कहा। कपकोट एसडीएम अनुराग आर्य ने पुष्टि की कि प्रशासन भूस्खलन की सक्रिय रूप से जांच कर रहा है। फ्टीम ने अपना निरीक्षण पूरा कर लिया है, और हम रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रहे हैं। एक बार जब हमें निष्कर्ष मिल जाएंगे, तो उचित कार्रवाई की जाएगी। जनपद के नामतीचेटाबगड़ गांव में भूस्खलन होने व पूर्व राज्यपाल व पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोष्यारी के पैतृक गांव में भूस्खलन से प्रशासन सतर्क हो गया है। इस संबंध में विधायक व प्रदेश सरकार भी गंभीर हो गई है। प्रशासन ने आनन फानन में टीम भेजकर रिपोर्ट मंगाई है ताकि आवश्यक कार्रवाई हो सके।
‘‘ यह मेरे संज्ञान में है। रेतीली जमीन होने के कारण यहां पर भूस्खलन हो रहा है। क्षेत्रीय विधायक व प्रदेश सरकार इस पर नजर बनाए है व प्रशासन के संपर्क मे हैं।वही मामले में मुख्यमंत्री से वार्ता कर जल्द क्षेत्र में आपदा से हुए नुकसान की भरपाई के प्रयास किए जाएंगे।
(भगत सिंह कोश्यारी, पूर्व सीएम और पूर्व राज्यपाल महाराष्ट्र)