टिप्पणी को लेकर मचे बवाल के बीच विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने बंगाली समाज से जताया खेद: मैंने यह भी नहीं कहा कि कौन एससी हो सकता है कौन नहीं ?
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को पत्र लिखकर जताया खेद
देहरादून।गैरसैण में आयोजित मानसून सत्र के दौरान गंभीर टिप्पणी को लेकर मचे बवाल के बीच अब विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने बंगाली समाज से खेद प्रकट किया है साथ ही उन्होंने अपने वक्तव्य पर सफाई भी पेश की है कि उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर दूसरे संदर्भ में प्रचारित कर सवाल खड़े करना उचित नही है। इससे बंगाली समाज की भावनायें आहत होगी। उन्होंने एक चिट्ठी के जरिये अपना पक्ष भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को प्रेषित किया है। विधानसभा सत्र में विकासनगर के भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान के जातियों के आरक्षण पर दिए गए बयान को लेकर बंगाली समाज में भारी आक्रोश है। हालांकि विधायक ने गुरुवार को उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को पत्र लिखकर खेद जताया है। विकासनगर विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को पत्र लिखा है। विधायक ने पत्र में लिखा है कि उत्तराखंड विधानसभा के गैरसैंण सत्र में विधेयक पर चर्चा के दौरान मैंने अलग-अलग प्रदेशों के आरक्षित वर्गों का संदर्भ दिया और दृढ़ता के साथ यह तर्क सदन में दिया कि कानूनी तौर पर एक राज्य की आरक्षित वर्गों की सूची दूसरे राज्यों पर लागू नहीं होती, क्योंकि आरक्षित वर्गों का निर्धारण राज्यों के अनुसार होता है अर्थात् राज्य का विशिष्ट है। मेरा यह वक्तव्य वैधानिक रुप से पूर्णतया ठीक है। इसी क्रम में मेरे द्वारा मुख्यतः उधमसिंह नगर में रहने वाले नमोशुद्र (बंगाली) समुदाय का संदर्भ देते हुए कहा गया कि उधमसिंह नगर में विस्थापित नमोशुद्र (बंगाली) समुदाय रह रहा है, उस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं है। मेरे इस कथन का गलत नेरेटिव सेट करके पेश किया गया। इससे बंगाली समुदाय की भावना आहत हुई है। इसके लिए मुझे खेद है। मेरे कहने का आशय यही था कि विस्थापित होकर आए इस हिंदू बंगाली समुदाय को सरकार ने यहां बसाया है और ये सभी शांतिप्रिय एवं मेहनती समाज उत्तराखंड का अभिन्न अंग है। मैं यह तथ्य भी पुनः स्पष्ट कर रहा हूं कि उत्तर प्रदेश के समय 27-28 वर्ष पूर्व जब नमोशुद्र का प्रकरण भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयोग (आरजीआई) भारत सरकार को भेजा गया था, तब यह कहा गया कि संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश-1950 के अध्याय XIX में वर्णित सूची के क्रमांक 46 पर अकिंत नमोशुद्र की व्यवस्था पश्चिम बंगाल के बारे में है, उत्तर प्रदेश के बारे में नहीं है, इसलिए मैंने यह भी नहीं कहा कि कौन एससी हो सकता है कौन नहीं,क्योंकि इसका निर्धारण राज्य की परिस्थितियों के अनुसार होता है।