सीबीआई ने हरक सिंह रावत से की दो घंटे पूछताछः पाखरो रेंज घोटाले में चर्चायें हुई तेज, पूर्व वन मंत्री हरक ने सीबीआई को तत्कालीन मुख्यमंत्री और ब्यूरोक्रेटस से जुड़े कई दस्तावेज सीबीआई को सौंपे
देहरादून(उद संवाददाता)। पाखरो रेंज घोटाले के संबंध में सीबीआई ने पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत से करीब दो घंटे तक पूछताछ की। पिछले दिनों हुई पूछताछ के दौरान हरक सिंह रावत ने भी सीबीआई को कुछ गोपनीय दस्तावेज सौंपे हैं। रावत का कहना है कि उनका इस मामले में कोई लेना-देना नहीं है। पाखरो रेंज टाइगर सफारी घोटाले मामले में सीबीआई की जांच चल रही है। इसी बीच पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत ने बड़ा खुलासा किया है। जिसके बाद से एक बार फिर पाखरो रेंज घोटाले को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि सीबीआई जांच में कई बड़े नाम सामने आ सकते है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हरक सिंह रावत ने सीबीआई को तत्कालीन मुख्यमंत्री और ब्यूरोक्रेटस से जुड़े ऐसे दस्तावेज सीबीआई को सौंपे हैं जिस से इस मामले में उनकी संलिप्तता का भी खुलासा होगा। हरदा के अनुसार मंत्री होने के नाते उनके पास कई फाइलें आती थीं। सब कुछ नियमों के अनुसार किया जा रहा था। रावत ने इस मामले में कुछ और नेताओं का नाम भी लिया है। हालांकि, अभी सीबीआई इस मामले में जांच कर रही है। ाखरो टाइगर सफारी घोटाले मामले की जांच जारी है लेकिन अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है। इस घोटाले को लेकर पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने इस मामले में कुछ लोगों की संलिप्तता होने की बात कही है। सूत्रों की मानें तो हरक सिंह रावत ने सीबीआई को तत्कालीन मुख्यमंत्री और अधिकारियों से जुड़े कुछ गोपनीय दस्तावेज सौंपे हैं। जिस से इस घोटाले में संलिप्त कुछ और लोगों के नामों का खुलासा हो सकता है। बता दें कि पाखरो टाइगर सफारी घोटाले मामले में तत्कालीन डीएफओ किशन चंद की तैनाती से जुड़े भी कई सवाल उठे। सूत्रों की मानें तो हरक सिंह रावत ने किशन चंद की तैनाती से लेकर दूसरी निर्माण कार्य से जुड़ी अनुमतियों तक कुछ महत्वपूर्ण और गोपनीय दस्तावेज सीबीआई को सौंपे हैं। जो कि इस मामले की जांच में अहम भूमिका निभा सकते हैं।बता दें कि जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज में 106 हेक्टेयर वन क्षेत्र में टाइगर सफारी का निर्माण होना था। लेकिन 2019 में इसका निर्माण कार्य बिना अनुमति के ही शुरू कर दिया गया। इस मामले में अधिकारियों ने ठेकेदारों की मिलीभगत से 215 करोड़ रुपये बर्बाद कर दिए थे। इस मामले में पिछले साल विजिलेंस के हल्द्वानी सेक्टर में मुकदमा दर्ज किया गया था। विजिलेंस ने इस मामले में जांच के बाद बृजबिहारी शर्मा को गिरफ्तार किया था। इसके बाद पूर्व डीएफओ किशनचंद को भी गिरफ्तार किया गया था। 30 अगस्त को इस मामले में विजिलेंस ने पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत के बेटे के कॉलेज और एक पेट्रोल पंप पर भी छापा मारा था। यहां से विजिलेंस ने एक सरकारी जनरेटर बरामद किया था। जिसके बाद हाई कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। सात जनवरी को ईडी ने हरक सिंह रावत के ठिकानों पर ताबड़ तोड़ कार्रवाई की। इसके बाद से मामले में सीबीआई जांच जारी है।