500 सवालों में से सिर्फ 109 के दिए जवाबः ओबीसी आरक्षण के रैपिड सर्वे पर घमासान,सदन में अटके दो विधेयक

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विस स्पीकर बोली, सदन बेहतर तरीके से निभाने का करती हूं प्रयास
देहरादून/ गैरसैंण(उद ब्यूरो)। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में मानसून सत्र के तीसरे दिन विपक्ष की गैरमौजूदगी में 5013.05 करोड़ का अनुपूरक बजट, सात विधेयक पारित किए। विस अध्यक्ष खंडूड़ी ने विपक्ष के काम रोको प्रस्ताव को अनुमति न देने और बाद में केवल आधे घंटे का वक्त देने के मुद्दे पर भी पक्ष रखा। कहा कि आज कई महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा होनी थी, इसलिए 310 की मांग को अस्वीकार किया। गैरसैंण मॉनसून सत्र के तीसरे दिन सदन की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई। समस्त कार्यवाही पूर्ण होने के बाद अपराहन तीन बजे विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा की। सत्र में कुल 500 सवालों में से 109 के जवाब दिए गए। तीन दिवसीय मानसून सत्र में सदन की कार्यवाही 18 घंटे नौ मिनट तक चली। मीडिया से बातचीत करते हुए विस अध्यक्ष खंडूड़ी ने विपक्ष के काम रोको प्रस्ताव को अनुमति न देने और बाद में केवल आधे घंटे का वक्त देने के मुद्दे पर भी पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि आज कई महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा होनी थी, इसलिए 310 की मांग को अस्वीकार किया। बाद में अपना विनिश्चय बदलते हुए उनकी बात को मान भी लिया और 30 मिनट का वक्त दिया। इसमें उन्हें तय करना था कि कितना बोलना है पर वे गुस्सा हो गए और चले गए, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। विस अध्यक्ष )तु खंडूड़ी ने कहा कि महिलाएं अपने दायित्वों को 400 प्रतिशत तक बेहतर तरीके से निभाने का प्रयास करती हैं। मुझे प्रधानमंत्री ने स्पीकर बनाया है। यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। कहा कि बचपन से ही सेना से संबंध रहा है। पिताजी सैनिक रहे हैं। देखा है कि देश -प्रदेश के प्रति जिम्मेदारी होनी चाहिए। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा कि गैरसैंण में इस साल भले ही तीन दिन का सत्र रहा हो, लेकिन अगला सत्र कम से कम 10 दिन का होगा। यही नहीं गैरसैंण में साल भर रौनक रहे, इसके लिए विभिन्न स्तर पर गतिविधियों को बढ़ाने की तैयारी भी है। संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि विपक्ष का रवैया गैर जिम्मेदाराना रहा। विस परिसर में मीडिया कर्मियों से बातचीत में अग्रवाल ने कहा कि सत्र की अवधि कार्यमंत्रणा समिति में तय की जाती है। उसमें सत्ता और विपक्ष के सभी प्रतिनिधि होते हैं। विपक्ष जानबूझ कर हंगामे की स्थिति पैदा करता है जिससे उसे सदन में न रहना पड़े। सरकार हर विषय पर हर वक्त चर्चा के लिए तैयार है। बीते रोज देर रात 10.20 बजे तक भी सत्र संचालित हुआ। आज आपदा जैसे अहम विषय पर सरकार अब तक की वस्तुस्थिति रखने आई, विपक्ष ने पहले हंगामा करते हुए व्यवधान किया और चला गया। अग्रवाल ने कहा कि विपक्ष को सरकार पर झूठे आरोप लगाने के बजाय आत्ममंथन करना चाहिए। विधानसभा में सत्ता पक्ष के विधायकों के विरोध में उत्तराखंड उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959 संशोधन विधेयक सदन में पारित नहीं हो सका। सरकार को बिल प्रवर समिति के हवाले करना पड़ा। प्रवर समिति एक महीने में अपनी सिफारिशें देगी। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी प्रवर समिति के सदस्य तय करेंगी। इसके अलावा राज्य विवि विधेयक भी प्रवर समिति को भेज दिया गया। इस विधेयक पर भी सत्ता पक्ष के विधायक ने एतराज जताया। सदन में जब अपनी ही सरकार के विधेयक को लेकर सत्ता पक्ष के विधायक सवाल उठा रहे थे, उस दौरान विपक्ष सदन से अनुपस्थित था। सदन पटल पर आए विधेयक पर चर्चा के दौरान भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने ओबीसी के लिए हुए रैपिड सर्वे पर सवाल उठाए। कहा, कास्ट बेस्ड सर्वे जाति माता-पिता से होती है न कि स्थान से तय होता है। कहा, राज्य की डेमोग्राफिक प्रोफाइल पर चिंता करने की जरूरत है। विधायक विनोद चमोली, प्रीतम पंवार, दुर्गेश्वर लाल साह ने भी सर्वे पर सवाल उठाया। कहा, विषय को प्रवर समिति के पास भेज दिया जाए। इस विषय काफी चर्चा हुई। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल और सौरभ बहुगुणा ने भी पक्ष रखा। बाद में संसदीय कार्यमंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल ने प्रस्ताव किया कि विधेयक को प्रवर समिति को सौंप दिया जाए। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष )तु खंडूड़ी ने कहा, इसे प्रवर समिति को भेजा जाएगा। समिति एक महीने में प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगी। उसकी अनुशंसा नगर पालिका और नगर पंचायत पर भी लागू होगी। सत्तापक्ष के सदस्य के एतराज पर राज्य विवि विधेयक प्रवर समिति को भेज दिया गया। यह विधेयक विस में आठ सितंबर-2023 को पारित हुआ था। इसे राजभवन ने संदेश सहित विस को पुनर्विचार के लिए लौटा दिया था। इसे संशोधन सहित विचार के लिए रखा गया। चर्चा के दौरान विधायक सुरेश गडिया ने विधेयक में संशोधन की मांग करते हुए प्रवर समिति को भेजने की मांग की। इस पर संसदीय कार्य मंत्री ने इसका प्रस्ताव किया। कहा, प्रवर समिति के सदस्य भी विस अध्यक्ष तय करें। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने और समिति को एक महीने में अपना प्रतिवेदन देने का आदेश दिया।


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