मॉनसून सत्र में गैरों के साथ अपनों के सवालों से घिरी सरकारः कई विधायकों के सवालों का सदन में नहीं आ पाया नंबर

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विपक्ष ने सदन में विधानसभा सत्रों की अवधि सबसे कम होने का मुद्दा उठाया
गैरसैण(उद ब्यूरो)। गैरसैंण में आयोजित हो रहे मॉनसून सत्र के पहले ही प्रश्नकाल में सरकार को भाजपा के ही विधायकों के ज्यादा सवालों का सामना करना पड़ा। भाजपा विधायकों ने बड़ी संख्या में विकास कार्यों के साथ ही सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और सहकारिता से संबंधित सवाल लगाए थे, हालांकि कार्यसूची में शामिल होने के बावजूद अधिकांश विधायकों के सवालों का नंबर सदन में नहीं आ पाया। दरअसल, गुरुवार के दिन मानसून सत्र का पहला प्रश्नकाल था। इस सत्र में महज दो दिन ही प्रश्नकाल होना है। सत्र के लिए कुल 500 के करीब सवाल आए हैं। कार्यसूची में विधानसभा सचिवालय की ओर से कुल 83 अल्पसूचित और तारांकित प्रश्न लिए गए थे। इसमें से अकेले 53 सवाल भाजपा के विधायकों के हैं। जो प्रश्नकाल के लिए स्वीकृत कुल सवालों का करीब 63 फीसदी हैं। जबकि प्रश्नकाल के लिए कांग्रेस विधायकों के प्रश्नों की संख्या कुल महज 15 थी जो कुल प्रश्नों का 18 फीसदी बनती है। इसके अलावा निर्दलीय विधायकों की ओर से भी काफी सवाल लगाए गए। सदन में प्रश्नकाल के दौरान जो सवाल कांग्रेस विधायकों की ओर से भी पूछे गए उन पर अनुपूरक सवाल भी ज्यादातर भाजपा विधायकों की ओर से पूछे गए। इससे कई बार विपक्ष के विधायकों को मंत्रियों को उलझाने में मदद मिली। प्रश्न काल के दौरान विधायक मुन्ना सिंह चौहान, विनोद चमोली, सहदेव पुंडीर, बृजभूषण गैरोला ने सदन में अनुपूरक सवाल पूछे। विधानसभा अध्यक्ष )तु खंडूड़ी ने सदन में व्यवस्था दी कि प्रश्नकाल में किसी स्पेशफिक विधानसभा के संदर्भ में पूछे गए सवाल पर अनुपूरक सवाल भी उसी विधानसभा क्षेत्र से संबंधित होना चाहिए। कांग्रेस के कई विधायकों ने इस पर आपत्ति जताते हुए इसे गलत बताया। लेकिन स्पीकर ने विनिश्चय दिया कि इसी व्यवस्था के अनुसार सभी विधायकों को सवाल पूछने हैं। इसके बाद मुन्ना चौहान ने अनुपूरक सवाल उठाया लेकिन चालाकी से उसे पूरे राज्य से जुड़ा सवाल बना दिया, इस पर स्पीकर ने सदन में कहा कि विधायकों को मुन्ना चौहान से सवाल पूछने का तरीका सीखना चाहिए। गैरसैंण में आयोजित हो रहे मॉनसून सत्र के पहले ही प्रश्नकाल में सरकार को भाजपा के ही विधायकों के ज्यादा सवालों का सामना करना पड़ा। भाजपा विधायकों ने बड़ी संख्या में स्वास्थ्य, शिक्षा और सहकारिता से संबंधित सवाल लगाए थे, हालांकि कार्यसूची में शामिल होने के बावजूद अधिकांश विधायकों के सवालों का नंबर सदन में नहीं आ पाया। दरअसल, गुरुवार के दिन मानसून सत्र का पहला प्रश्नकाल था। इस सत्र में महज दो दिन ही प्रश्नकाल होना है। सत्र के लिए कुल 500 के करीब सवाल आए हैं। कार्यसूची में विधानसभा सचिवालय की ओर से कुल 83 अल्पसूचित और तारांकित प्रश्न लिए गए थे। इसमें से अकेले 53 सवाल भाजपा के विधायकों के हैं। जो प्रश्नकाल के लिए स्वीकृत कुल सवालों का करीब 63 फीसदी हैं। जबकि प्रश्नकाल के लिए कांग्रेस विधायकों के प्रश्नों की संख्या कुल महज 15 थी जो कुल प्रश्नों का 18 फीसदी बनती है। इसके अलावा निर्दलीय विधायकों की ओर से भी काफी सवाल लगाए गए। सदन में प्रश्नकाल के दौरान जो सवाल कांग्रेस विधायकों की ओर से भी पूछे गए उन पर अनुपूरक सवाल भी ज्यादातर भाजपा विधायकों की ओर से पूछे गए। इससे कई बार विपक्ष के विधायकों को मंत्रियों को उलझाने में मदद मिली। प्रश्न काल के दौरान विधायक मुन्ना सिंह चौहान, विनोद चमोली, सहदेव पुंडीर, बृजभूषण गैरोला ने सदन में अनुपूरक सवाल पूछे। विधानसभा अध्यक्ष )तु खंडूड़ी ने सदन में व्यवस्था दी कि प्रश्नकाल में किसी स्पेशफिक विधानसभा के संदर्भ में पूछे गए सवाल पर अनुपूरक सवाल भी उसी विधानसभा क्षेत्र से संबंधित होना चाहिए। कांग्रेस के कई विधायकों ने इस पर आपत्ति जताते हुए इसे गलत बताया। लेकिन स्पीकर ने विनिश्चय दिया कि इसी व्यवस्था के अनुसार सभी विधायकों को सवाल पूछने हैं। इसके बाद मुन्ना चौहान ने अनुपूरक सवाल उठाया लेकिन चालाकी से उसे पूरे राज्य से जुड़ा सवाल बना दिया, इस पर स्पीकर ने सदन में कहा कि विधायकों को मुन्ना चौहान से सवाल पूछने का तरीका सीखना चाहिए।










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