केदारनाथ पैदल मार्ग कई स्थानों से क्षतिग्रस्तः श्रमिकों ने केदारनाथ धाम से छोटी लिनचोली तक आवाजाही सुचारू किया
रूद्रप्रयाग। श्री केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग में क्षतिग्रस्त हुए मार्ग को लेकर, आज अधिशासी अभियंता राष्ट्रीय राजमार्ग श्री निर्भय सिंह ने अवगत कराया कि मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा दिए गए निर्देशों के क्रम में सोनप्रयाग एवं गौरीकुंड के बीच क्षतिग्रस्त हुए डेढ़ मीटर राष्ट्रीय राजमार्ग को खोलने के लिए पोकलैंड मशीन के जरिए कार्य शुरू कर दिया गया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री के निर्देश पर सोनप्रयाग पुल के पास क्षतिग्रस्त सड़क का पुश्ता निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया गया है। अधिशासी अभियंता डीडीएमए श्री विनय झिंक्वाण ने अवगत कराया कि केदारनाथ पैदल मार्ग कई स्थानों से क्षतिग्रस्त हो गया है तथा लगभग 15 स्थान ऐसे हैं जहां पैदल सड़क मार्ग पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। श्री विनय झिंक्वाण ने कहा कि केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग को दुरुस्त करने के लिए श्रमिकों द्वारा विषम परिस्थितियों में मरम्मत एवं निर्माण कार्य निरंतर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ धाम से छोटी लिनचोली तक क्षतिग्रस्त पैदल यात्रा मार्ग को आवाजाही हेतु सुचारू कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि श्रमिकों द्वारा क्षतिग्रस्त केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग को खोलने के लिए कार्य त्वरित गति से किया जा रहा है, किन्तु खराब मौसम के कारण श्रमिकों की सुरक्षा के दृष्टिगत कार्य निरंतर नहीं हो पा रहा है। गौरीकुंड केदारनाथ पैदल मार्ग पर अतिवृष्टि के बाद सातवें दिन भी रेस्क्यू जारी रहा। इस दौरान गौरीकुंड से 305 लोगों का रेस्क्यू कर सोनप्रयाग पहुंचाया गया। हालांकि खराब मौसम के कारण केदारनाथ से किसी को नीचे नहीं भेजा गया। एसडीआरएफ द्वारा लिंचोली सहित अन्य स्थानों पर श्वान दल की मदद से खोजबीन भी की गई। इधर, मंदाकिनी के तेज वेग के कारण सेना द्वारा बनाई गई तीन पुलिया बह गईं। इससे रेस्क्यू मुश्किल हो गया है। बुधवार सुबह तेज बारिश के कारण पैदल मार्ग से लेकर सोनप्रयाग तक रेस्क्यू नहीं हो पाया। दोपहर से मौसम में सुधार के बाद गौरीकुंड से 305 लोगों को एसडीआरएफ के जवानों ने रेस्क्यू किया। इस दौरान सोनप्रयाग में पहाड़ी से गिरते बोल्डरों के बीच जवानों ने एक-एक व्यक्ति को सकुशल नदी के दूसरी तरफ सड़क तक पहुंचाया। रेस्क्यू किए गए लोगों में 17 महिलाएं और एक बच्चा भी शामिल है। एसडीआरएफ के सहायक कमांडेंट आरएस धपोला ने बताया कि बारिश के बाद सोनप्रयाग में भूस्खलन जोन और भी खतरनाक हो गया है। यहां पहाड़ी से लगातार पत्थर व मलबा गिर रहा है। जिससे दुर्घटना का खतरा बना हुआ है। बीते एक अगस्त से शुरू हुए अभियान में अभी तक 12,827 यात्रियों और स्थानीय लोगों का रेस्क्यू किया जा चुका है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि सुबह से बारिश और घने कोहरे के कारण केदारनाथ से एक भी यात्री व स्थानीय व्यक्ति को पैदल मार्ग से नहीं भेजा गया। उन्होंने बताया कि पैदल मार्ग पर लिंचोली से गौरीकुंड के बीच कई स्थानों पर भूस्खलन होने से स्थिति काफी संवेदनशील हो गई है। सोनप्रयाग में मंदाकिनी नदी पर रेस्क्यू के लिए सेना द्वारा बनाई गईं तीन अस्थायी पुलिया नदी का जलस्तर बढ़ने से बह गई हैं। क्षेत्र में मंगलवार रात से तेज बारिश हो रही थी। पुलिया बहने से यहां पर रेस्क्यू करना खतरनाक हो गया है। सेना के अधिकारियों ने बताया कि मौसम में सुधार होते ही अस्थायी पुलिया का पुनः निर्माण किया जाएगा। बता दें कि पहाड़ी से गिरे पत्थरों की चपेट में आने से सेना का टेंट भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था।