बड़ी खबर: रास्ते भी बह गए और पैरों में भी पड़ गए छाले! कांग्रेस की केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा स्थगित करने का एलान

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देहरादून। कांग्रेस की केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा आपदा के चलते सामान्य स्थिति होने तक स्थगित कर दी गई है। राहुल गांधी के दिशा निर्देश पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करण माहरा ने यात्रा स्थगित करने का एलान किया है।
यात्रा सीतापुर तक पहुंच गई थी और शुक्रवार को सीतापुर से आगे रवाना होनी थी। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने इसकी पुष्टि की है। सामान्य स्थिति होने के बाद कांग्रेस फिर से सीतापुर से आगे की यात्रा शुरू करेगी। पूर्व सीएम हरीश रावत ने सोनप्रयाग में आपदा से हुए नुकसान को देखते हुए यात्रा में आगे जाने का कार्यक्रम पहले ही स्थगित कर दिया। कहा केदारनाथ क्षेत्र में भयंकर आपदा आई है। बड़ी संख्या में यात्री फंसे हैं। उनका बचाव कार्य चल रहा है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि राज्य की संपूर्ण शक्ति लगाकर बचाव कार्य करें। गौरतलब है कि कांग्रेस की केदारनाथ बचाओ यात्रा अपने अंतिम पड़ाव में है। लेकिन कांग्रेस की यात्रा में प्राकृतिक आपदा ने कहर बरपा दिया है। केदारनाथ यात्रा मार्ग पर जगह जगह भूस्खलन यात्रा में बड़ा रोड़ा बन रही है। विपरीत मौसम और भारी बारिश से केदारनाथ बचाओ यात्रा कर रहे कांग्रेसियों के लिए चुनौती बन रही है। लेकिन इसके बाद भी यात्रा चल रही है और कांग्रेसियों का जोश हाई है। करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र केदार घाटी इस वक्त चर्चाओं में है। आपदा और कांग्रेस की केदारनाथ रक्षा प्रतिष्ठा यात्रा को लेकर केदारघाटी की चर्चा हो रही है। कांग्रेस की पदयात्रा आज गुप्तकाशी से प्रस्थान कर आज सोनप्रयाग पहुंचेगी। कांग्रेस के प्रदेश संगठन उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी ने कहा कि गुप्तकाशी से यात्रा प्रस्थान कर आज सोनप्रयाग पहुंचेगी। मथुरा दत्त जोशी ने कहा हालांकि कई जगहों पर भूस्खलन के चलते मार्ग बाधित है लेकिन यात्री रुकेंगे नहीं। यात्री गांव के रास्तों से होते हुए सोनप्रयाग पहुंचेंगे। केदारनाथ बचाओ यात्रा में कांग्रेसियों का जोश हाई है। कांग्रेस के तमाम वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता एकजुटता के साथ पदयात्रा कर रहे हैं और लगातार आगे बढ़ रहे हैं कांग्रेस के प्रदेश संगठन उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि इस पदयात्रा में जो भी सहयोगी हैं उनकी सराहना होनी चाहिए। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा सहित अन्य लोगों के पैरों में भी छाले पड़ गए हैं। लेकिन जिस तरीके से भाजपा ने आस्था के साथ खिलवाड़ करने का काम किया है उसके खिलाफ ये यात्रा है और प्रदेश अध्यक्ष के पैरों में छाले पड़ने के बावजूद वो लगातार इस यात्रा में चल रहे हैं। कांग्रेस की पदयात्रा जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे ही कांग्रेस के सामने चुनौतियां भी आ रही हैं। केदारनाथ में देर रात अतिवृष्टि के कारण केदारनाथ पैदल मार्ग का 30 मीटर का हिस्सा मंदाकिनी नदी में समा गया। जिस से केदारनाथ पैदल मार्ग पूरी तरह से बाधित हो गया है। ऐसे में कांग्रेस के लिए यात्रा पूरी करना एक चुनौती बनी हुई है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि सभी यात्री पूरी तरह सुरक्षित है बस पांव में घाव और छाले हैं। उन्होंने कहा कि सोनप्रयाग में जो अप्रिय घटना घटी है जिन लोगों को जान-माल का नुकसान हुआ है उनके प्रति कांग्रेस की संवेदनाएं हैं। करन माहरा ने कहा कि वो प्रयास करेंगे कि सभी यात्री सुरक्षित बाबा केदार जाएं। उन्होंने बताया कि आगे की यात्रा को लेकर बैठक में निर्णय लिया जाएगा और बाबा केदार तक जल अवश्य जाएगा।
कांग्रेस की केदारनाथ पदयात्रा के बीच केदारघाटी में आई आपदा से पैदल मार्ग पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है।वहीं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भयानक आपदा को लेकर चिंता व्यक्त की है। सोशल मीडिया पर आपदाग्रस्त क्षेत्रो की तस्वीरों को साझा करते हुए पूर्व सीएम हरदा ने तीर्थीयात्रियों से मौसम सामान्य होने तक सावधानी बरतने की अपील की है।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने सोनप्रयाग से लौटते हुए रास्ते में स्थानीय लोगों के साथ-साथ बड़ी संख्या में जाने वाले यात्रियों से भी भेंट हुई और उन यात्रियों से भी भेंट हुई जो लोग रास्ते में फंस गए और उनको वापस सोनप्रयाग या सुरक्षित स्थानों पर लौटना पड़ा। उन यात्रियों से भी भेंट हुई जो केदारनाथ में दर्शन करने के बाद लौटे हैं। मैं सबकी बातचीत सुनने के बाद इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि NDRF और SDRF की संख्या सारे रास्ते भर बढ़ानी पड़ेगी, रास्ते में फंसे हुए यात्रियों के भोजन, कम्बल आदि की व्यवस्था करनी पड़ेगी और जो यात्री जाने वाले हैं या मार्ग में रुके पड़े हैं, उनके कम से कम दो दिन के किराए का भुगतान सरकार को करना चाहिए। SDRF और NDRF की उपस्थिति तिगुनी की जानी आवश्यक है। सोनप्रयाग और कुछ स्थानों पर यात्रा शुरू करने के लिए नॉर्थ ईस्ट के तरीके से रस्सियों का पुल भी बनाना पड़ेगा।

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