धाकड़ “धामी सरकार” के ‘तीन साल’, सेवा संकल्प की ‘नई मिसाल’ : उभर कर सामने आया “सक्षम उत्तराखंड”

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उत्तराखंड का सबसे युवा मुख्यमंत्री बनने का बनाया था रिकॉर्ड : शिक्षा,स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण एवं नव रोजगार सृजन की स्थिति हुई बेहतर, क्रांतिकारी फैसलों से उत्तराखंड को राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान मिली
रूद्रपुर (उद ब्यूरो)। तीन साल पहले जब पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड का सबसे युवा “धाकड़” मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाया था, तो राजनीतिक प्रेक्षकों ने दबी जुबान में यह आशंका भी जाहिर की थी कि जिस व्यक्ति को तनिक भी प्रशासनिक अनुभव न हो, वह सरकार चलाने की अग्नि परीक्षा कैसे पास कर पाएगा ? लेकिन अपने दो सरकारों के तीन साल के कार्यकाल से सीएम धामी ने ,न केवल राजनीतिक विरोधियों को लाजवाब कर दिया, बल्कि अपने क्रांतिकारी फैसलों से देश भर में खास धमक बना डाली. हालात कुछ ऐसे हैं कि आज देश के अन्य कई राज्य उत्तराखंड के फैसलों का अनुकरण तो कर ही रहे हैं, साथ ही देश के प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह इन्हीं फैसलों की वजह से धामी की तारीफ सार्वजनिक मंचों से कई बार कर चुके हैं। बताना होगा कि उत्तराखंड में धामी सरकार का तीन साल का कार्यकाल बीते रोज पूरा हो गया। तीन साल के अपने आज तक के कार्यकाल में धाकड़ धामी ने ताबड़तोड़ 68 फैसले लिए, जिनमें से कॉमन सिविल कोड, नकल विरोधी कानून,जबरन धर्मांतरण संबंधी कानून, दंगारोधी कानून तथा महिला आरक्षण जैसे क्रांतिकारी फैसलों से उत्तराखंड एवं मुख्यमंत्री धामी को राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान मिली। इन फैसलों के चलते बनी धामी की विशेष छवि के कारण भाजपा द्वारा उन्हें स्टार प्रचारक बनाया गया, साथ ही उत्तराखंड सरकार के कुछ खास फैसलों को भाजपा के लोकसभा चुनाव 2024 के प्रमुख एजेंडों तक में स्थान मिला। धामी सरकार का सबसे अहम और राष्ट्रीय स्तर पर चर्चाओं में रहने वाला फैसला कॉमन सिविल कोड था, जिसे मूर्त रूप देने की कवायद मुख्यमंत्री ने अपने दूसरे कार्यकाल की पहली कैबिनेट बैठक में ही आरंभ कर दी थी। उसके बाद धामी सरकार द्वारा नकल विरोधी कानून बनाकर एक पारदर्शी भर्ती परीक्षा सिस्टम को धरातल पर उतरा गया। खास बात तो यह है कि उत्तराखंड सरकार के इस नकल विरोधी कानून को गुजरात, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों तक ने अपनाया तथा केंद्र सरकार ने भी राष्ट्रीय स्तर पर इस कानून को लागू किया। आगे चलकर धामी सरकार द्वारा राज्य में जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने की दृष्टि से एक सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून लाया गया, जिसमें जबरन धर्मांतरण कराने पर दस साल की कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा धामी सरकार ने महिला सशक्तिकरण पर भी खास फोकस किया है और वर्तमान में राज्य की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रोजेक्ट कॉस्ट का 30 प्रतिशत या एक लाख रुपये की सब्सिडी दी जा रही है। साथ ही महिला स्वयं सहायता समूहों को पांच लाख का बिना ब्याज का ऋण दिया जा रहा है। इसके अलावा लखपती दीदी योजना के तहत 80 हजार महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ऋण प्रदान करके वर्ष 2025 तक 1.25 लाख महिलाओं को लखपती दीदी बनाने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है। धामी सरकार ने अपने 3 साल के कार्यकाल में उत्तराखंड के लोगों को निशुल्क इलाज उपलब्ध कराने के लिए 55 लाख से अधिक लोगों के आयुष्मान कार्ड बनवाए हैं तथा इसके अंतर्गत अब तक 9.11 लाख मरीजों का फ्री उपचार किया जा चुका है। इस स्वास्थ्य योजना पर धामी सरकार द्वारा अब तक 1.72 करोड़ का बजट उपलब्ध कराया गया है। इसके अलावा राज्य में निशुल्क जांच योजना के तहत मरीजों को 207 प्रकार की निशुल्क पैथोलॉजिकल जांच की सुविधा भी प्रदान की गई है। इसके अलावा धामी सरकार द्वारा होम स्टे योजना से रोजगार सृजन, खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए बनाई गई नई खेल नीति,युवाओं के लिए पारदर्शी रोजगार प्रणाली, भ्रष्टाचार के विरुद्ध कारगर मुहिम, सीएम हेल्पलाइन की सक्रियता, नई फिल्म नीति का निर्माण, सोलर प्लांट से युवाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराने, फसलों के दाम में वृद्धि, नहर से मुफ्त सिंचाई योजना, पीआरडी जवानों का मानदेय बढ़ाने, किसानों के लिए बिना ब्याज का ऋण उपलब्ध कराने, देहरादून में सैन्य धाम का निर्माण, शहीद सैनिक परिवार को सरकारी नौकरी देने ,सीएम अंत्योदय निशुल्क गैस रिफिल योजना ,हाउस ऑफ हिमालयाज की शुरुआत ,एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन, मानसखंड और हरिद्वार ऋषिकेश कॉरिडोर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने , इन्वेस्टर समिट से नए उभरते उत्तराखंड की रखी नींव रखने तथा 3.50 हजार हेक्टेयर शासकीय भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने की दिशा में उठाए गए कदम भी विशेष उल्लेखनीय है।

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