उत्तराखंड में वित्तीय अनियमितता पर सहकारी समितियों की एसआईटी जांच करने के आदेश
देहरादून। उत्तराखंड में वित्तीय अनियमितता पर सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने 29 सहकारी समितियों के खिलाफ एसआईटी जांच के आदेश दिए हैं। मंत्री ने कहा, समितियों के वित्तीय लेन-देन में गड़बड़ी करने वाले विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों को भी किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। समितियों में कम्प्यूटराइजेशन के बाद बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ी के मामले सामने आ रहे हैं। सहकारी समितियों में भ्रष्टाचार कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विभागीय जांच में जिन सहकारी समितियों में वित्तीय अनियमितता और गबन के मामले आए हैं। उन समितियों के खिलाफ एसआईटी जांच की जाएगी। विभाग को इसके लिए अनुमोदन दे दिया गया है। उन्होंने बताया कि समय-समय पर उन्हें विभिन्न माध्यमों से सहकारी समितियों में वित्तीय लेन-देन में गड़बड़ी की सूचनाएं मिल रही थीं। जिस पर पूर्व में विभागीय जांच के निर्देश अधिकारियों को दिए थे। डॉ. रावत ने बताया कि पहले चरण में विभागीय जांच में प्रदेशभर की कई समितियों में वित्तीय गड़बड़ी और गबन के मामले सामने आये। जिसमें पौड़ी जिले में डाण्डामंडी व चांदपुर एम्पैक्स, देहरादून जनपद में विकासनगर, त्यूणी, दसऊ व भानियावाला एम्पैक्स, रूद्रप्रयाग में दैड़ा बहुउद्देश्यीय साधन सहकारी समिति, टिहरी में मेगाधार ;भिलंगनाद्ध, बड़कोट ;जाखणीधारद्ध, सांदणा ;जाखणीधारद्ध, पडिया, रौणिया ;प्रतापनगरद्ध एम्पैक्स, अल्मोड़ा में फलसीमा व भवाली एम्पैक्स, हरिद्वार में बहुउद्देश्यीय किसान सेवा सहकारी समिति बेल्डा, मंगलौर पूर्वी, खेलपुर, बहुउद्देश्यीय साधन सहकारी समिति जवाहरखान, खेडी सिकोहपुर, जवाहरखान मौ. बुजुर्ग, धनपुरा, बहुउद्देश्यीय प्रारम्भिक कृषि ऋण सहकारी समिति सलेमपुर, चमोली में मसोली एम्पैक्स, उत्तरकाशी में जखौल एम्पैक्स, नैनीताल में ल्योलीकोट व सुयालवाड़ी और ऊधमसिंह नगर में फौजीमटकोटा किसान सेवा सहकारी समिति, रूद्रपुर शामिल है। उन्होंने बताया कि जांच में समितियों के वित्तीय लेन-देन में विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों को भी दोषी पाया गया। जिनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने एवं गबन की गई धनराशि को ब्याज के साथ वसूलने के निर्देश दे दिए गए हैं। डॉ. रावत ने कहा कि सहकारिता विभाग आम लोगों से जुड़ा विभाग है। इन समितियों के साथ ही अन्य जिन समितियों में गड़बड़ी सामने आएगी उनकी एसआईटी जांच की जाएगी। ताकि घोटाले और घपलेबाजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर समितियों का संचालन पारदर्शिता से किया जा सके और आम लोगों को सहकारी योजनाओं का लाभ आसानी से मिल सके।