कांग्रेस की हार पर गोदियाल का बड़ा बयान … दुनिया बदलती है बदलने वाला चाहिए, हमारी कमी की वजह से हुई है हार
भाजपा ने अपनी ताकत के बल पर कांग्रेस नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कराया
देहरादून । उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और पौड़ी लोकसभा सीट से प्रत्याशी रहे गणेश गोदियाल ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर पौड़ी लोकसभा की जनता का आभार जताया। इसके साथ ही उन्होंने कहा की चुनाव में हमारी कमी की वजह से ही हार हुई है।उत्तराखंड में पांचों लोकसभा सीटों पर भले ही कांग्रेस के प्रत्याशियों की करारी हार का सामना करना पड़ा है लेकिन भाजपा के खिलाफ इंडिया गठबंधन के पिछले चुनाव से बेहतर प्रदर्शन से कांग्रेस के दिग्गजों के हौसले अब भी बुलंद दिख रहे हैं। पौड़ी लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी रहे गणेश गोदियाल ने चुनाव में मिली हार स्वीकार करते हुए खुद कांग्रेस में बगावत कर भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं पर तीखा कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने अपनी सत्ता की ताकत से कांग्रेस के कई लोगों को पार्टी में शामिल कराया है। गणेश गोदियाल ने कहा कि भाजपा के 400 पार के नारे की हवा निकल गई है। अगर 400 पार की हवा न बनती तो उत्तराखंड की फिजा कुछ और होती। हमारे प्रचार की पहुंच शहरी इलाकों में रही लेकिन गांवों में हम बहुत पीछे थे। वहां टीवी का असर रहा। चुनाव में हमारी कमी की वजह से हार हुई है। जिन्हें हम पूरा करेंगे। गोदियाल ने आगे कहा कि दुनिया बदलती है बदलने वाला चाहिए। गणेश गोदियाल ने कहा कि 2019 लोकसभा चुनाव के अपेक्षा कांग्रेस ने 2024 के चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया है। हमारी कमी की वजह से भी कांग्रेस की हार हुई है। भाजपा ने अपनी ताकत के बल पर कांग्रेस के नेताओं को पार्टी में शामिल कराया है। इसके साथ गणेश गोदियाल ने यह भी कहा कि जनता से मिली ताकत कांग्रेस के लिए संघर्षों का काम आएगी। कांग्रेस के कुछ पुराने नेताओं ने भी अंदरखाने बीजेपी को मदद की है। बावजूद इसके मैं अपनी जीत महसूस करता हूं। हमारी बेटियों के साथ हुए अन्याय के मुद्दे पर हम चुनाव लड़ रहे थे। हरियाणा में बेटियों का मुद्दा बन सकता है, भाजपा पांच सीटें गवां सकती है। इस बात को हमारे स्तर पर सोचना होगा कि उत्तराखंड की बेटी अंकिता के साथ हुआ अन्याय मुद्दा नहीं बन पाया। हम कहां चूक गए, कि लोगों ने इस मुद्दे पर गौर नहीं किया। पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र में अग्निपथ योजना मुद्दा बन सकता है तो उत्तराखंड में ये मुद्दा क्यों नहीं बन पाया, ये हमारे और मतदाताओं के लिए मनन का विषय है।