शिक्षकों- कर्मचारियों में व्यापक रोष: मात्र दो माह के भीतर ही सुगम से दुर्गम हो गए सूबे के सात जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान,

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रूद्रपुर। उत्तराखंड के शिक्षा महकमे में कब कौन सा गुल खिल जाए? कुछ कहा नहीं जा सकता। सूबे के शिक्षा महकमा ने अब एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिसने उत्तराखंड लोक सेवक वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम 2017 के तहत किए जाने वाले कोटीकरण को एक मजाक बनाकर रख दिया है ।ज्ञात हो कि राज्य में लागू तबादला एक्ट के तहत 10 जून तक विभिन्न विभागों को तबादला आदेश जारी करने थे, लेकिन राज्य में चुनाव आचार संहिता लागू रहने की वजह से शिक्षा समेत विभिन्न विभागों में अब तक तबादलों के आदेश जारी नहीं किया जा सके। लिहाजा आचार संहिता समाप्त होने के बाद अब विभिन्न सरकारी विभाग सुगम -दुर्गम क्षेत्र के कोटिकरण एवं तबादलों के लिए पात्र शिक्षक-कर्मचारियों की सूची तैयार करने में जुट गए हैं।मजे की बात तो यह है कि सुगम-दुर्गम क्षेत्र के कोटिकरण एवं तबादलों के लिए पात्र शिक्षक-कर्मचारियों की सूची तैयार करने की इस कवायद में राज्य के शिक्षा महानिदेशक ने एक ऐसा आदेश जारी कर दिया है, जिससे  महज दो माह के भीतर ही प्रदेश के सात डायट सेंटर सुगम से दुर्गम घोषित हो गए हैं। गौर तलब है कि प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा निदेशक महावीर सिंह बिष्ट की अध्यक्षता में गठित एक समिति ने राज्य के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों का कोटिकरण  किया था ।कोटिकरण के बाद समिति ने 20 अप्रैल 2024 को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान बड़कोट ;उत्तरकाशी, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान चड़ीगांव ;पौड़ी गढ़वालद्ध, गौचर ;चमोलीद्ध, रतूड़ा ;रुद्रप्रयागद्ध, डीडीहाट ;पिथौरागढ़द्ध, लोहाघाट (चंपावत) और जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान बागेश्वर को सुगम घोषित किया था । समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि निकट के माध्यमिक विद्यालयों की श्रेणी को देखते हुए उपरोक्त सभी डायट सुगम घोषित किए गए हैं, लेकिन शिक्षा महानिदेशक ने 10 जून 2024 को एक आदेश जारी कर वर्ष 2024 में किए गए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों के कोटिकरण को रद्द कर दिया है ।शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि इससे पैदा होने वाली विसंगतियों को देखते हुए वर्ष 2024 के कोटिकरण को रद्द किया जाता है और अब सभी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों में वर्ष 2022 में तय कोटिकरण ही लागू होगा। शिक्षा महानिदेशक के ताजा आदेश के बाद वे सभी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान जो दो महीने पहले सुगम घोषित किए गए थे, अब दुर्गम माने जाएंगे। शिक्षा महानिदेशक के ताजा आदेश के बाद राज्य के शिक्षकों के भीतर खासा असंतोष है तथा कुछ शिक्षकों ने सुगम घोषित जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों को दुर्गम में शामिल करने इस आदेश को दूरस्थ क्षेत्रों के शिक्षकों के साथ एक बड़ा अन्याय बताया है। शिक्षकों का कहना है कि सुगम क्षेत्र यदि इसी प्रकार दुर्गम घोषित किए जाते रहे, तो अति दुर्गम क्षेत्रों के शिक्षक कभी सुगम में नहीं आ पाएंगे। शिक्षकों ने शिक्षा महानिदेशक के उक्त आदेश को राज्य के तबादला एक्ट 2017 का उल्लंघन भी बताया है। बता दे की उत्तराखंड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम 2017 के अनुसार लोक सेवकों का हर साल कार्यस्थल का कोटिकरण होना आवश्यक है, लेकिन शिक्षा विभाग में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों के लिए वर्ष 2022 के कोटिकरण को लागू किया जा रहा है।

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