उत्तराखंड के जंगलों की आग को राजकीय आपदा घोषित करें सरकारः पूर्व सीएम हरीश रावत ने प्रदेशवासियों से की बिजली और पानी बचाने की अपील

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देहरादून(उद ब्यूरो)। उत्तराखंड के जंगलों में वनाग्नि से दिन रात धधक रहे जंगलों को बचाने के लिए अब सबू के वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी उतर आये हैं। फायर सीजन में लंबे इंतजार के बाद भी इस वर्ष बारिश और बर्फबारी नहीं होने से जहां भीषण गर्मी का प्रकोप और ग्लोबल वार्मिग का खतरा बढ़ गया है वहीं प्रदेश का ईको सिस्टम पर भी प्रभावित हो रहा है। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा करते हुए पूर्व सीएम हरीश रावत ने विभिन्न वर्गों के लोगों से जंगलों को बचाने और आग से जंगलों के पेड़ पौधों जड़ी बूटियों एवं वनस्पतियां को हुए नुकसान को रोकने के लिए वनाग्नि को राजकीय आपदा घोषित करने के साथ ही एक रोकथाम के लिए व्यापक नीति बनाने की भी अपेक्षा की है। पूर्व सीएम हरीश रावत के अनुसार जंगल की आग को राजकीय आपदा सरकार घोषित करें या ना करें आप और हम सबको इसको राज्यव्यापी आपदा मानकर जंगल में आग बुझाने के हर संभव प्रयास को आगे बढ़ाना चाहिए, मैं कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के समर्थकों, राज्य के प्रबुद्ध लोगों जनसेवकों सबसे आग्रह करना चाहता हूं की जंगल में आग बुझाने के सरकारी प्रयासों में सहयोग दें और साथ ही भगवान बद्रीश और केदार से प्रार्थना करें कि आसमान बरसे ताकि आग कि इस भयंकर आपदा से राज्य को मुक्ति मिल सके। एक अन्य पोस्ट में पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा है कि राज्य आसन विद्युत संकट में है, अघोषित कटौतियां होने लगी है बिजली के रेट दर रेट बढ़ाने के बावजूद भी उपलब्धता की स्तिथि सुधर नहीं रही है, विद्युत वितरण यूटिलिटी अपनी असमर्थता जिसको वो लाइन लॉस कहते है, चोरी रोकने में विफलता, मिसमेनेजमेंट का भार सामान्य उपभोक्ता पर डाल देते है, मेरा एक आग्रह है की यदि हम 400 यूनिट बिजली खर्च करते है तो हम प्रण करे की हम प्रतिदिन इस में से 50 यूनिट बिजली बचाएंगे जो सामान्य कदम उठाकर बचाए जा सकते है जैंसे एसी को कुछ ही समय के लिए चलाना, बहार निकलने पर पंखे, लाइट को बंद कर देना, सामान्य से कदम है। इसी तरीके से आसन जल संकट से भी बचने के लिए हमको अभी से कैंसे पानी कम खर्च करे इसके लिए कदम उठाने पड़ेंगे हम अपने मेहमान को ग्लास भर कर के पानी देते है हम यदि जाड़ों में आधा ग्लास और गर्मियों में पोन ग्लास पानी दे तो बहुत जो पानी ग्लास में छूट जाता है उसको बचाया जा सकता है उसी प्रकार से हर पानी के उपयोग की हमको कुछ न कुछ ऐंसी विधि निकालनी पड़ेगी ताकि कम से कम पानी इस्तेमाल हो, जैंसे वाशिंग मशीन को बार बार चलाने के बजाए हम उसका उपयोग सीमित करे बड़ा परिवार भी है तो सीमित उपयोग करे वही कपड़े धोए जो वास्तविक अर्थों में दूसरी बार उपयोग के लायक नही रह गए है। तो बिजली और पानी बचाना हमको अपना राजकीय दायित्व मानकर निष्ठा से पूरा करना चाहिए और उसके लिए अपनी आदतों में थोड़ा थोड़ा परिवर्तन लाना पड़ेगा, मैंने अपनी आदतों में परिवर्तन लाना प्रारंभ कर दिया है और अपने घर में भी इन सुधारों को मैं अमल में ला रहा हूं।

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