जंगलों की आग से फैली धुंध, हेली सेवा पर लगाई रोक: कुमाऊं और गढ़वाल मंडल के वन्यजीव प्रभाग में तीन हजार 983 फायर वाचर तैनात
देहरादून/नैनीताल(उद संवाददाता)। कुमाऊं मंडल के जंगलों में लगी आग और धुंध के चलते हल्द्वानी से पिथौरागढ़, मुनस्यारी और चंपावत को चलने वाली हेली सेवा को फिलहाल बंद कर दिया गया है। हेली सेवा के नोडल अधिकारी एसडीएम परितोष वर्मा ने बताया की जंगलों में लगी आग और धुंध के कारण हेली सेवा को रोका गया है क्योंकि हेलीकॉप्टर के उड़ान भरने के दौरान विजिबिलिटी ठीक तरह से नहीं हो रही है। जिसके चलते हेली सेवा को बंद करने का निर्णय लिया गया है। मौसम साफ होने के बाद ही हेली सेवा दोबारा से शुरू की जाएगी। वनाग्नि की घटनाओं पर मुख्यमंत्री पुष्घ्कर सिंह धामी भी लगातार नजर बनाए हुए हैं। इसी क्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को मुख्य सचिव को दूरभाष पर निर्देश दिए हैं कि जिलाधिकारियों को एक सप्ताह तक प्रतिदिन वनाग्नि की निरंतर मॉनिटरिंग करने के निर्देश तत्काल जारी किए जाएं। उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों मे इन दिनों जंगल आग की चपेट में हैं। जिसकी चपेट में आकर अब तक तीन की मौत और पांच लोग घायल हो चुके हैं। वन विभाग के अनुसार विभिन्न वृत्तों के अंतर्गत वन प्रभागों में फायर वाचरों की संख्या निर्धारित की गई है। कुमाऊं में पंश्चिमी वृत्त के अंतर्गत हल्द्वानी वन प्रभाग को 144, तराई केंद्रीय को 60, तराई पश्चिमी को 80, रामनगर को 60, उत्तरी कुमाऊं में अल्मोड़ा में 188, सिविल सोयम अल्मोड़ा में 87, बागेश्वर में 120, पिथौरागढ़ में 144, चंपावत में 238, दक्षिणी कुमाऊं वृत्त में नैनीताल में 210, भूमि संरक्षण नैनीताल में 50, भूमि संरक्षण रामनगर में 50, भूमि संरक्षण रानीखेत को 50, निदेशक कार्बेट को 69 सहित गढ़वाल के प्रभागों तथा वन्यजीव क्षेत्रों के लिए 3983 संख्या निर्धारित की गई है। पीसीसीएफ की ओर से जारी कार्यवृत्त के अनुसार जंगल की आग से निपटने के लिए अधिकारियों की जवाबदेही तय की गई है। राज्य के पर्वतीय इलाकों में जंगल की आग की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। नैनीताल में वायु सेना स्टेशन तक आग पहुंचने से बचाने के लिए सेना के हेलीकॉप्टर का सहारा लेना पड़ा। जंगल की आग पूरी तरह बुझी नहीं है। इस जंगल की आग को बुझाने के लिए तीन हजार से अधिक फायर वाचर, वन विभाग कर्मचारी, पीआरडी जवान नाकाफी साबित हो रहे हैं। जंगलों में आग की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए वन व अन्य सरकारी विभाग पर्यावरणप्रेमियों के निशाने पर है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर चीड़ बाहुल्य वन क्षेत्रों में स्थानीय महिला समूहों के माध्यम से पिरुल एकत्र करने का अभियान भी तेज कर दिया गया है। यहां तक कि अब नए पीसीसीएफ धनंजय मोहन के चार्ज संभालने के बाद पिछली बार की तरह मुख्यालय के वरिष्ठ अफसरों को जिलों का नोडल अफसर बनाने की तैयारी है। उत्तरकाशी जिले की बाड़ाहाट रेंज से लेकर धरासू रेंज के जंगल अधिक जल रहे हैं। विभाग के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो अब तक 19.55 हेक्टेयर वन क्षेत्र जल गए हैं। जहां धुएं से लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है, वहीं आग बुझाने में वन विभाग का दम फूल रहा है। बीते गुरुवार शाम को बाड़ाहाट रेंज के जंगलों में फैली आग रविवार तक भी नहीं बुझ पाई। वहीं, मुखेम रेंज के डांग, पोखरी गांव से लगे जंगल के साथ डुंडा रेंज के चामकोट व दिलसौड़ क्षेत्र में भी जंगल वनाग्नि की चपेट में हैं। शनिवार दोपहर में डुंडा रेंज के जंगल दिनभर जलते रहे। वहीं, धरासू रेंज में फेडी व सिलक्यारा से लगे जंगल भी धधकते नजर आए। वन विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो अभी तक वनाग्नि की चपेट में आकर उत्तरकाशी वन प्रभाग में 19.55 हेक्टेयर जंगल जलकर राख हो चुका है। वहीं अब तक वनाग्नि की 27 घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं। वनाग्नि के चलते अमूल्य वन संपदा के साथ वन्यजीवों को भी नुकसान पहुंचने की संभावना है। लेकिन वन विभाग की ओर वनाग्नि की रोकथाम के लिए कोई सार्थक प्रयास नजर नहीं आ रहे हैं। हालांकि वन विभाग का कहना है कि वनाग्नि नियंत्रण के लिए संसाधन बढ़ाए हैं। इधर जिले में वनाग्नि की घटनाओं की रोकथाम के लिए वन विभाग को आपदा प्रबंधन मद से बीस लाख रुपये की धनराशि आवंटित की गई है। जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने धनराशि आवंटित कर वनाग्नि नियंत्रण के लिए सभी संबंधित विभागों को मिलजुल कर कारगर कदम उठाए जाने के निर्देश दिए हैं।