उत्तराखंड की तीन सीटों पर कांग्रेस ने उतारे सीनियर प्रत्याशी: नैनीताल यूएसनगर सीट पर मचा घमासान !
प्रदीप टम्टा को चौथी बार अल्मोड़ा सीट से मिला टिकट, पौड़़ी से गोदियाल और टिहरी से गुनसोला पर खेला बड़ा सियासी दांव
नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस ने मंगलवार को दूसरी लिस्ट जारी कर दी गई, जिसमें कुल 43 उम्मीदवारों के नामों एलान किया गया। जारी लिस्ट के अनुसार गढ़वाल संसदीय सीट से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, टिहरी सीट से पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला और अल्मोड़ा सीट से पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा को प्रत्याशी बनाया गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कांग्रेस प्रत्याशियों को शुभकमनायें देते हुए कहा कि पार्टी हाईकमान ने तीन सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। हरिद्वार और नैनीताल सीट पर शीघ्र प्रत्याशी तय किए जाएंगे। पार्टी कार्यकर्ता पूरी मेहनत के साथ प्रत्याशियों की जीत काम करेगी। प्रत्याशियों के चयन में पार्टी हाईकमान का फैसला सर्वाेपरि है। सोमवार को नई दिल्ली में पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई थी, जिसमें उत्तराखंड की सभी सीटों पर प्रत्याशियों के चयन को लेकर गहन मंत्रणा हुई थी। गढ़वाल सीट से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और अल्मोड़ा से पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा के नामों की अटकलें तो चल रही थीं लेकिन टिहरी सीट की कोई सुगबुगाहट नहीं थी। पार्टी द्वारा प्रत्याशियों के एलान से कार्यकर्ताओं में चल रही अटकलों पर विराम लग गया। वहीं दूसरी तरफ भाजपा की दर्ज पर कांग्रेस ने भी उत्तराखंड की दो लोकसभ सीटों पर अपने पत्ते नहीं खोले है। बताया जा रहा है कि नैनीताल ऊधमसिंहनगर सीट से कांग्रेस को कद्दावर कैंडिडेट नहीं मिल पा रहा है। वहीं कई नेताओं ने भी टिकट के लिए अपनी लॉबिंग तेज कर दी है जबकि प्रबल दावेदार माने जा रहे दीपक बल्यूटिया भी नाराज बताये जा रहे है। कार्यकर्ताओं की एकजुटता के लिए पार्टी को कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है। वहीं माना जा रहा है कि कांग्रेस किसान और पहाड़ी मूल के वोटरों को साधने के लिए बड़ा चेहरा उतार सकती है। हांलाकि नैनीताल यूएसनगर की लोकसभा सीट पर इंडिया गठबंधन में शामिल सपा के वोटबैंक के साथ ही कई वर्गो के वोटबैंक को साधने के लिए बड़े जनाधार से जुड़े नेताओं पर दांव खेल सकती है। इधर कांग्रेस हाईकमान अब नैननीताल लोकसभा सीट से जातीय और राजनीतिक समीकरण बनाये में जुटा हुआ है। पहले नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य या फिर प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा को टिकट देने की चर्चायें जोरों पर थी लेकिन अब इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को उम्मीदवार बनाने की भी चर्चायें चल रही है जो भाजपा के कद्दावर प्रत्याशी अजय भट्ट को कड़ी टककर दे सकते हैं। हांलाकि हरीश रावत चुनावी सरगर्मी के बीच राज्य से बाहर हैं उनके लौटने पर ही कांग्रेस की रणनीति खुलकर सामने आ सकती है। बता दें कि उत्तराखंड में कुल पांच लोकसभा सीटें हैं। इससे पहले बीजेपी भी तीन सीटों पर अपने प्रत्याशियों के ऐलान कर चुकी है। बीजेपी ने 2 मार्च को एक लिस्ट जारी की थी, जिसमें नैनीताल, अल्मोड़ा और टिहरी से प्रत्याशियों की घोषणा की गई थी। बीजेपी ने नैनीताल से अजय भट्ट को, अल्मोड़ा से अजय टम्टा को और टिहरी सीट से माला राज्य लक्ष्मी शाह को मैदान में उतारा है। उत्तराखंड में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच माना जाता है। दोनों ही पार्टियों की तरफ से अब दो-दो प्रत्याशियों का एलान करना बाकी रह गया है।
अल्मोड़ा संसदीय सीट पर एक बार फिर परंपरागत प्रतिद्वंदी आमने-सामने
अल्मोड़ा। अल्मोड़ा संसदीय सीट पर एक बार फिर परंपरागत प्रतिद्वंदी आमने-सामने होंगे। भाजपा प्रत्याशी अजय टम्टा जीत की हैट्रिक बनाने के लिए चुनावी मैदान में संघर्ष करते दिखाई देंगे, वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी प्रदीप टम्टा जीतने के लिए फिर दमखम दिखाएंगे। राज्य बनने के बाद भाजपा से अजय टम्टा तो कांग्रेस से प्रदीप टम्टा दलित नेता के रूप में उभरते गए। पहले विधानसभा चुनाव वर्ष 2002 में कांग्रेस ने सोमेश्वर सीट से प्रदीप टम्टा को टिकट दिया, लेकिन अजय टम्टा टिकट की दौड़ में पिछड़ गए। भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा। पार्टी से अजय टम्टा की अदावत काम आई। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में सोमेश्वर सीट से भाजपा ने अजय टम्टा को टिकट दिया। वह चुनाव जीतने में सफल रहे और सरकार में मंत्री भी बने। वर्ष 2009 में अल्मोड़ा संसदीय सीट आरक्षित हुई। तब भाजपा-कांग्रेस ने अजय और प्रदीप पर ही भरोसा जताया। यह चुनाव कांग्रेस के प्रदीप टम्टा जीतने में सफल रहे। मोदी युग मे एक बार फिर अजय टम्टा की किस्मत पलटी। मोदी लहर में वह वर्ष 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव जीतने में कामयाब रहे। अब 2024 के चुनाव में लगातार चौथी बार अजय टम्टा और प्रदीप टम्टा अल्मोड़ा संसदीय सीट पर दोनों एक बार फिर आमने-सामने होंगे। उम्मीद है कि दोनों के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा। कार्यकर्ता करते रहे नए चेहरे का इंतजार इस बार भाजपा और कांग्रेस के कार्यकर्ता चेहरे बदलने की डिमांड कर रहे थे। कार्यकर्ताओं ने इसके लिए शीर्ष नेतृत्व तक गुहार लगाई। लेकिन परिणाम कार्यकर्ताओं के अनुरूप नहीं आए। शीर्ष नेतृत्व ने फिर से दोनों दिग्गजों पर ही अपनी मुहर लगाई।
क्षेत्रीय मुद्दों पर सक्रियता ने बनाई गोदियाल की राह आसान
पौड़ी। गढ़वाल संसदीय क्षेत्र में लगातार सक्रियता, क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर मुखर रहना और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का करीबी होना गणेश गोदियाल के पक्ष में गया। कांग्रेस ने गढ़वाल संसदीय सीट से पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोदियाल पर ही दांव खेलना उचित समझा।गणेश गोदियाल अपने विनम्र और मिलनसार स्वभाव के कारण पार्टी में विशेष पहचान बनाने में सफल रहे हैं। श्रीनगर क्षेत्र के पूर्व विधायक गणेश गोदियाल वर्ष 2019 में भी गढ़वाल संसदीय सीट से टिकट के दावेदार थे। तब पार्टी हाईकमान ने चुनाव के अवसर पर कांग्रेस में सम्मिलित हुए पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी के पुत्र मनीष खंडूड़ी को टिकट दिया था। उस दौरान भी पार्टी ने उन्हें मनीष को सहयोग देने को कहा, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट की दौड़ में मनीष खंडूड़ी और गणेश गोदियाल भी सम्मिलित रहे। मनीष के कांग्रेस छोड़ने के बाद गोदियाल की राह आसान हो गई। गढ़वाल संसदीय सीट विभिन्न प्रकरणों के कारण चर्चा के केंद्र में रहा। जोशीमठ में भूधंसाव हो या वनंतरा रिसॉर्ट की महिला कर्मचारी की हत्या का मामला, गोदियाल इन मुद्दों को लेकर मुखर रहे। उन्होंने केदारनाथ मंदिर में सोने की परत चढ़ाने के मामले में भी बदरी-केदार मंदिर समिति को निशाने पर लिया। कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए भी गणेश गोदियाल के पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से संबंध अच्छे रहे। वर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और संगठन के साथ भी उनका तालमेल ठीक माना जाता है। गोदियाल की यही सक्रियता गढ़वाल सीट पर टिकट के उनके दावे को मजबूत कर गई। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के साथ करीबी संबंध के कारण गोदियाल पिछले कुछ समय से हरिद्वार संसदीय क्षेत्र में भी उनके समर्थन में सक्रिय दिखाई दिए। टिकट मिलने पर गणेश गोदियाल ने कहा है कि गढ़वाल संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने का अवसर देने के लिए केंद्रीय नेतृत्व एवं पार्टी के सभी नेताओं का हृदय से आभार। पार्टी कार्यकर्ता भाजपा सरकार को आईना दिखाने के लिए मजबूती से कार्य करेंगे। खुले दिल से जनता की अदालत में जाकर भाजपा के विरोध में जनता से समर्थन मांगा जाएगा।
कांग्रेस ने पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला पर खेला दांव
देहारादून। टिहरी गढ़वाल संसदीय सीट पर कांग्रेस ने मसूरी विधानसभा सीट से दो बार विधायक रह चुके जोत सिंह गुनसोला पर विश्वास जताया है। वर्तमान परिस्थितियों में कांग्रेस के पैरामीटर पर वह फिट बैठे हैं। पार्टी संगठन के प्रति निष्ठा, स्वच्छ छवि, सादगी और जातीय समीकरणों ने उन्हें टिकट दिलाने में अहम भूमिका निभाई। गुनसोला को पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत का करीबी माना जाता है। वह क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। टिहरी सीट पर वर्ष 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं चकराता विधायक प्रीतम सिंह चौहान को प्रत्याशी बनाया था। प्रीतम सिंह चौहान के इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने में असमर्थता जताने के बाद कांग्रेस को यहां विभिन्न समीकरणों के दृष्टिगत भाजपा से मुकाबले को दमदार प्रत्याशी की तलाश थी। यह पूर्व विधायक गुनसोला पर जाकर पूरी हुई, जिन्होंने टिकट के लिए दावा भी पेश किया था। किसी अन्य प्रमुख नेता की दावेदारी न होने का लाभ भी गुनसोला को मिला। मूल रूप से टिहरी जिले की प्रतापनगर तहसील के ग्राम म्यूंडा धारमंडल निवासी गुनसोला को अपने सरल व्यवहार और स्वच्छ छवि के लिए जाना जाता है। वह मसूरी नगर पालिका परिषद के दो बार अध्यक्ष रह चुके हैं। राज्य गठन के बाद मसूरी से वह पहले विधायक भी चुने गए। सत्ता विरोधी लहर के बावजूद लगातार दूसरी बार 2007 में भी वह यहीं से विधायक बने। इसके अलावा गुनसोला को कांग्रेस संगठन में निष्ठा के साथ काम करने का लाभ भी मिला है। जीवन परिचय नामः जोत सिंह गुनसोला पिता का नाम: स्वर्गीय बीएस गुनसोलाजन्म: 10 फरवरी 1954 पत्नी: सोना देवी गुनसोला शिक्षाः स्नातक पताः गांधी चौक, मसूरी राजनीतिक जीवन- वर्ष 1988 और वर्ष 1997 में मसूरी नगर पालिका के अध्यक्ष चुने गए। वर्ष 2002 में राज्य के पहले विधानसभा चुनाव में मसूरी से विधायक बने -वर्ष 2007 में मसूरी सीट से ही दोबारा विधानसभा में पहुंचे। वर्ष 2019 में क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष चुने गए। जोत सिंह गुनसोला ने टिकट मिलने पर कहा है कि पिछले 53 वर्ष से कांग्रेस पार्टी के लिए काम कर रहा हूं। पार्टी ने मेरे राजनीतिक और सेवा के अनुभव देखकर टिकट दिया है। इस पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा। संगठन बूथ स्तर तक अपना काम कर रहा है। इसलिए कांग्रेस इस सीट पर पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ेगी। एक सेवक के रूप में एक-एक मतदाता को कांग्रेस से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा।