‘कब्जेदारों’ की मानसून सत्र पर टिकी नजरें
रूद्रपुर में 2008 के सर्वे से ध्वस्त होंगे मकान,हजारों परिवारों की बढ़ी मुश्किलें
रूद्रपुर। हाईकोर्ट से झटका मिलने से नजूल भूमि और मलिन बस्तियों से अतिक्रमण को हटाना सरकार के लिये बड़ी चुनौती बन चुकी है। बावजूद इसके सरकार यह दावा कर रही है कि आगामी 20 सितम्बर से आयोजित होने वाले विधानसभा के सत्र में बड़ा फैसला ले सकती है।सूत्रों ने बताया कि मलिन बस्तीनियों के साथ ही नजूल नीति को लेकर सरकार अध्यादेश को ही एक एक्ट बनाकर पेश कर सकती है। इसको लेकर व्यापक रूप से मंथन चल रहा है। इसके साथ ही पूर्व की नीतियों का भी विस्तार से परीक्षण किया जा रहा है। अगर यह बिल विधानसभा में पास हो जाता है तो कब्जेदारों की राह आसान हो जायेगी। वहीं हाईकोट में अतिक्रमण हटाने को लेकर एक वर्ष का समय मांगा गया लेकिन सरकार के इस शपथ को खारिज करते हुए कोर्ट ने सख्त आदेश दे दिये है। हाईकोर्ट के अनुसार अब तक अतिक्रमण हटाने में सरकार पूरी तरह से नाकाम साबित रही है। रूद्रपुर में लगभग 550 एकड़ नजूल लैंड पर बसे कब्जेदारों को हटाने के आदेश भी दिये हैं। इस तरह अगर प्रशासन ने कार्यवाही शुरू की तो हजारों मकान ध्वस्त होंगे। कोर्ट के आदेश के अनुसान वर्ष 2008 के सर्वे के आधार पर ही मकान ध्वस्त किये जायेंगे। इधर जैसे जैसे कोर्ट के ओदश की समयसीमा के बेहद कम दिन बचे हैं। जिससे कब्जेदारों की मुश्किलें भी बढ़ गई है। गौर हो कि देहरादून में बसी मलिन बस्तीवासियों को बचाने के लिये त्रिवेंद्र सरकार ने अध्यादेश लागू किया है। इस अध्यादेश की वैद्यता तीन वर्ष हैं। जबकि इसके बाद की स्थिति को लेकर लोगों में संदेह है। वहीं हाईकोर्ट में जिस प्रकार सरकार कब्जेदारों की हिमायती बनी रही मगर इसमे भी झटका खाने के बाद अपना आत्मसम्मान बचाने के लिये सत्ताधारी दल कुछ बड़ा कर सकते हैं। वैसे भी सरकार के पास यही आखरी और संवेदनशील मौका है। अगर इस बार सरकार ने कोई चूक की तो इसके परिणाम भी दूरगामी साबित हो सकते है। एक ओर जहां हजारों कब्जेदारों को अपना आशियाने खोने का दुख होगा तो वहीं सत्ताधारियें के खिलाफ विरोध की आग भी फैल सकती है। इसके बावजूद अगर सरकार इस मौके को भुनाने में सफल रही तो यह काबिलेतारीफ तो होगा ही साथ ही हर गरीबों को घर देने का जो वायदा पीएम आवास योजना के नाम पर किया जा रहा है उसे भी इसमें शामिल कर नयी जनकल्याणकारी योजना भी शुरू की जा सकती है। दूसरी तरफ कब्जेदारों को बचाने के लिये विपक्ष एवं कुछ अन्य संगठन के नेता गरीबो की चिंता करने की दुहाही भर ही दे रहे है। सवाल यह भी उठता है कि गरीबों की चिंता किसी को है तो वह कौन है? आखिर कौन बचायेगा गरीबों के हजारों आशियानों को? आखिर इस संवेदनशील मुद्दे पर कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल खुलकर सरकार का समर्थन क्यों नही कर रहे। हांलाकि उच्च न्यायालय ने वर्ष 2009 के नजूल एक्ट एवं कांग्रेस सरकार में बनी नजूल नीति/मलिन बस्ती नियमितिकरण नीति वर्ष 2016-17 और फिर भाजपा सरकार द्वारा पिछले वर्ष ही लागू की गई सभी नीतियों को अवैधानिक घोषित कर दिया है। जबकि अवैध कब्जेदारों को लेकर हाईकोर्ट में दाखिल की गई याचिका के अनुसार रूद्रपुर में 551 एकड़ भूमि में 14 हजार से कच्चे पक्के मकान बनाए गए हैं। सरकार ने साल 2008 में सर्वे पूरा कर अतिक्रमणकारियों को चिन्हित किया था। तब न्यायालय ने नजूल भूमि से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे। ठीक उसी आदेश के की तरह इस बार भी पुराने सर्वे के आधार पर अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिये है। वहीं इस बार हाईकोर्ट एक बड़ा महत्वपूर्ण दिशा निर्देश भी दिया है जिसमें यहा बसे एससी एसटी वर्ग के गरीब परिवारों को पीएम आवास योजना के तहत आवास आवंटित करना होगा। सरकार अब कोर्ट के इसी अहम निर्देश को नये फार्मूले से जोड़ सकती है जससे कई परवार लाभन्वत होगे जो प्रभावतों के लये काफी मददगार साबित होगा।वहीं एक पेंच सरकार का यह भी फंस रहा है कि बड़ी तादात में लोगों ने फ्रीहोल्ड के लिये करोड़ों का राजस्व जमा कराया है। उसे लौटाने या फिर समायोजित करने की कोई कार्ययोजना अभी नहीं बन पायी है। अब एक बार फिर जिम्मेदारी भाजपा सरकार के ऊपर ही आ गयी है। मसलन साफ है कि अगर सरकार ने गंभीरता से कार्ययोजना बनायी तो वोटबैक का फलदार पेड़ जरूर फल भी देगा। माना जा रहा है कि हाईकोर्ट के आदेश का असर सत्ताधारियों की सियासी जमीन पर भी होगा। प्रदेश में आगामी निकाय चुनाव और फिर लोकसभा के चुनाव को देखते हुए सत्तापक्ष के नेता परेशान है। कहा जा रहा है कि आगामी विधानसभा के मानसून सत्र सरकार ने बड़ा फैसला ले सकती है जिस पर कब्जेदारों की नजरें टिकी हुई है।
गरीबों को उजड़ने नहीं देगी भाजपा सरकारः ठुकराल
रूद्रपुर। क्षेत्रीय विधायक राजकुमार ठुकराल ने बताया कि आगामी विधानसभा सत्र में नजूल भूमि वासियों को बचाने के लिये पुरजोर रूप से पैरवी की जायेगी। उन्होने क्षेत्रवासियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि मानसून सत्र में भाजपा सरकार ऐतिहासिक निर्णय लेने जा रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत स्वयं इस मुद्दे को लेकर गंभीर है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार गरीबों के घरों को उजाड़ने नहीं देगी। बताया कि इस मुद्दे को लेकर वह स्वयं मुख्यमंत्री के साथ ही शहरी विकास मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष को अवगत करा चुके है। उन्हें पूरा भरोसा है कि भाजपा सरकार गरीबों के हितों की रक्षा करेगी।