यूपी में सख्ती उत्तराखण्ड में मस्ती,रात्रि गश्त में नजर नहीं आते पुलिस कर्मी

ऊधमसिंहनगर में लूट और डकैती की घटनाओं से लोगों में भारी आक्रोश

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रुद्रपुर,24जून। जब भी किसी शहर का विस्तार होता है तो उसका अनुमान शहर के विकास से लगाया जाता है क्योंकि जब विकास की रफ्रतार को पंख लगते हैं तभी शहर का विस्तारीकरण होता है। लेकिन रूद्रपुर शहर में इसकी बानगी ठीक इससे उल्टी नजर आ रही है कि जब लगातार हो रहे शहर के विस्तार के साथ साथ लगातार अपराधों का भी विस्तार होता जा रहा है। कुछ वर्ष पूर्व तक जिस रूद्रपुर शहर में शहरवासियों को छिटपुट झगड़े और हल्की फुल्की आपराधिक घटनाओं के बारे में जानकारी मिलती थी। अब उसी शहर में डकैती, लूट, हत्या जैसी संगीन वारदातें आम हो गई हैं। यही नहीं शहर लगातार नशीले कारोबार और अपराधों का गढ़ बनता जा रहा है। जिसमें पुलिस की पेशानी पर तो बल ला ही दिये हैं लेकिन आम जनमानस की भी दिन और रात का चैन भी उड़ा दिया है। अब पुलिस प्रशासन को ही नहीं बल्कि शहर के जनप्रतिनिधियों और आम जनमानस को भी गंभीरता से विचार करना होगा कि कैसे इस शहर को दलदल में जाने से रोका जाय अन्यथा आने वाले दिनों में इसके परिणाम और घातक होते जायेगे। गत दिनों गंगापुर रोड पर डकैती और हत्या की घटना सामने आई। इससे पूर्व में भी सिंह कॉलोनी में एक अधिकारी के घर डकैती की घटना हुई थी। इसके अलावा ऐसा कोई दिन नहीं आता जब शहर में कोई आपराधिक वारदात घटित न होती हो। आखिर क्या कारण है कि रूद्रपुर शहर लगातार अपराधियों के निशाने पर है।जहां तक संज्ञान में आता है कि सिडकुल के बाद जिस प्रकार से हजारों की संख्या में बाहरी लोग यहां आकर निवास करने लगे। और अपने अपने रोजगार करने लगेउससे शहर को विकास की श्रेणी में गिना जाने लगा लेकिन कहीं न कहीं विकास अपने साथ साथ विनाश का भी अंश लाता है जो अब इस शहर में देखने को मिल रहा है। दर्जनों से अधिक शहर के आसपास बसी नई कॉलोनियां। इसके अलावा शहर की मलिन बस्ती ट्रांजिट कैंप, रम्पुरा, खेड़ा, भदईपुरा, भूतबंगला आदि क्षेत्रें में भी बाहरी लोगों ने अपने आवास बना लिये। इसकी आड़ में अपराधी तत्व भी शामिल हो गये। बस यही से शुरू हो गया आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने का सिलसिला। चोरी, लूट की घटनायें आम हो गई इसी की आड़ में मलिन बस्तियों में नशीला कारोबार भी फलने फूलने लगा क्योकि नशा ऐसी प्रवृत्ति है जिसकी आड़ में बड़े से बड़ा अपराध आसानी से कराया जा सकता है और नशे के कारोबारी अपने इस जाल को लगातार फैला रहे है और उन मलिन बस्तियों में रहने वाले बच्चे और युवाओं को इसमें फंसा रहे हैं। कई बार पुलिस ने नशीले सामान का जखीरा पकड़ा लेकिन कभी भी कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की। जिससे उनके हौसले बुलंद हैं। एसएसपी सदानंद दाते सदैव अपराधों पर अंकुश लगाने के लिये सक्रिय रहते हैं और समय समय पर अपने अधीनस्थों को भी दिशा निर्देश देते हैं लेकिन सिर्फ पुलिस बल के साथ शहर के लिये विकराल रूप बन रही अपराध की समस्या पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता। इसके लिये पुलिस को एक खास रणनीति बनानी होगी। जिसमें उसे जनसहयोग भी लेना आवश्यक होगा। जिसके तहत प्रत्येक वार्ड और मोहल्लों में ऐसे सक्रिय युवाओं को जोड़ना होगा जो समय समय पर पुलिस का सहयोग कर सके। पुलिस शहर के ऐसे ठिकानों को भी चिन्हित करे जहां अपराध फल फूल रहा है। और बिना किसी दबाव के कड़ी कार्रवाई करें यदि शहर को अपराध मुक्त करना है तो राजनेताओं को भी इसके लिये सार्थक पहल करनी होगी। क्योंकि अक्सर देखा जाता है कि यदि पुलिस किसी आपराधिक घटना में कार्रवाई करती है तो किसी न किसी प्रकार का राजनैतिक दबाव पुलिस पर डाल दिया जाता है। ऐसे में पुलिस भी हाथ पर हाथ धरे बैठ जाती है। अब मौका आ गये है कि खाकी वर्दी के हाथ खोल दिये जाय ताकि कानून के ये हाथ उन अपराधियों के गले तक पहुंच सके। जो इस शहर की फिजा और शांति को भंग करना चाहते हैं। अपराध की श्रेणी कोई भी हो लेकिन अपराध सिर्फ अपराध ही होता है। और अपराध की सजा सिर्फ जेल की सलाखें हैं। इसलिये अब शहर के लोगों को जागरूक होना होगा ताकि शहर को बचाया जा सके। अन्यथा हर किस्म के अपराधी यहां अपराध को अंजाम देंगे और शहरवासी सिर्फ चिंतन और मनन में ही डूबे रहेंगे।

यूपी में सख्ती उत्तराखण्ड में मस्ती
रुद्रपुर,24जून। उत्तर प्रदेश की आदित्य नाथ योगी की सरकार ने वहां के अपराधियों पर जो डंडा चलाया उसका असर अब उत्तराखंड में देखने को मिल रहा है। लेकिन उसका परिदृश्य ठीक उलट है। जहां उत्तर प्रदेश में आपराधिक घटनायें कम होती नजर आ रही हैं वहीं उत्तर प्रदेश की सीमावर्ती इलाके उत्तराखंड का रूद्रपुर यूपी के अपराधियों के लिये मुफीद बनता जा रहा है। यदि रूद्रपुर में पिछले कुछ वर्षों में हुई संगीन वारदातों के हुये खुलासों पर नजर डाले तो उन संगीन वारदातों में अमूमन अपराधी उत्तर प्रदेश के ही पाये गये हैं। ऐसे में गत दिनों हल्द्वानी हुई डकैती और मर्डर तथा गत दिनों रूद्रपुर में भी डकैती की दो वारदातें और एक मर्डर की घटना भी इस ओर इशारा कर रही है कि इन घटनाओं में भी कहीं न कहीं उत्तर प्रदेश के अपराधियों का हाथ है। क्योंकि गत दिवस रूद्रपुर में डकैती और मर्डर की घटना के बाद पुलिस का फोकस भातु, बावरिया, छेमार और पारदी गिरोह पर है। अमूमन यह गैंग उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड आदि राज्यों में सक्रिय हैं। उक्त सभी गैंग के लोग बाहरी क्षेत्रें में वारदातों को अंजाम देते हैं और आसानी से अपने क्षेत्रें में प्रवेश कर जाते हैं। ऐसे में अब पुलिस के लिये यह बेहद चुनौती है कि वह किस प्रकार से डकैती और हत्या के मामले का खुलासा करती है। क्योंकि देखा गया है कि किसी भी बड़ी वारदात की पहले रेकी की जाती है और उसके बाद घटना को अंजाम दिया जाता है। ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि रेकी करने वाले बदमाश रूद्रपुर को ही अपना ठिकाना बना रहे हैं। पुलिस को बेहद सतर्क रहना होगा ताकि इन घटनाओं का खुलासा हो सके और बाहरी क्षेत्रें के अपराधियों पर नकेल कसी जा सके जो रूद्रपुर को अपने निशाने पर रखे हुये हैं।

रात्रि गश्त में नजर नहीं आते पुलिस कर्मी
रुद्रपुर। नगर का तो लगातार विस्तार होता जा रहा है लेकिन शहर में सुरक्षा कर्मियों का अभाव भी लगातार बढ़ता जा रहा है। यही कारण है कि शहर आये दिन अपराधियों की नजर पर है और आये दिन शहर में आपराधिक वारदातों में इजाफा होता जा रहा है। इसके लिये पुलिस प्रशासन को कड़े और ठोस कदम उठाने होगे। वहीं अब शहर के लोगों को भी इस दिशा में सचेत होना होगा और पुलिस कर्मियों लगातार सहयोग देना होगा लेकिन इसकी पहल पुलिस प्रशासन को करनी होगी। ताकि वह आमजनमानस से सामजस्य बैठाकर कार्य कर सके। आंकड़ो की माने तो लगभग एक हजार या इससे अधिक लोगों की सुरक्षा पर मात्र 1 पुलिस कर्मी तैनात है तो ऐसे में सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि किस प्रकार सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता की जाय। शहर के आसपास दर्जनों की संख्या में कालोनियों का विस्तार हुआ है। जहां हजारों की संख्या में लोग निवास करते हैं जिनमें अधिकांशतः बाहरी क्षेत्रें से आये लोग हैं जो यहां रोजगार करते हैं। प्रत्येक माह होने वाली क्राइम बैठक में एसएसपी हमेशा अधीनस्थों को गश्त में तेजी लाने के आदेश देते हैं लेकिन वह सिर्फ क्राइम मीटिंग तक सीमित रह जाती हैं। बाहरी कॉलोनियों की गश्त की बात तो छोड़े शहरी क्षेत्रें में भी गश्त न के बराबर नजर आती है। शहर के मुख्य स्थानों पर भी पुलिसकर्मी नजर नहीं आतेे इक्का दुक्का स्थानों पर यदि पुलिस कर्मी होते हैं तो वह भी मात्र बाइक का चालान करने तक सीमित रहते हैं। ऐसे में यदि पुलिस को कड़ाई से वारदातों पर अंकुश लगाना है तो उसे सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद करनी होगी। इसके लिये शहरी व ग्रामीण क्षेत्रें में लोगों से तालमेल बैठाकर सुरक्षा कमेटियां गठित करनी होंगी। ताकि वह समय समय पर पुलिस को किसी भी घटना से पूर्व अथवा बाद में जानकारी दे सके ताकि समय रहते आपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।

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