‘त्रिवेंद्र’ ने साबित किया ‘जीरो टॉलरेंस’
पीएम मोदी के दौरे से पहले मुख्यमंत्री ने दो भ्रष्ट अफसरों को किया निलंबित,कांग्रेस ने उठाये सवाल
देहरादून 12 अगस्त। कांग्रेस सरकार में हुए एनएच 74 भूमि मुआवजा घोटाले की जांच के बाद दो वरिष्ठ आईएएस अफसरों को निलंबित कर त्रिवेंद्र सरकार ने सभी को चौंका दिया है। राज्य गठन के बाद अब तक भाजपा और कांग्रेस की कई सरकारें आयी। इन सरकारों में कई बड़े बड़े घोटाले भी सामने आये। लेकिन सरकार बदलते ही एक दूसरे के खिलाफ सिर्फ बयाबाजी करने और भ्रष्टाचार की जांच के लिये आयोगों को गठन कर मामले को दबाने का ही काम होता रहा। इसके बावजूद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इतना बड़ा एक्शन लेकर कहीं न कहीं पीएम नरेंद्र मोदी की जीरो टॉलरेंस नीति के उपदेश को भी प्रमाणित कर दिया। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में हुए लगभग साढ़े तीन अरब के घोटाले की जांच को अंजाम तक भी पहुंचा दिया है। मुख्यमंत्री के इस बड़े फैसले के चारोतरफ सराहना भी हो रही है। भाजपा की त्रिवेंद्र सरकारकी इस कार्यवाही से कांग्रेस को भी तगड़ा झटका लगा है। जो अक्सर भूमि घोटाले के पर सरकार पर पूरी तरह से नाकाम होने का आरोप लगाया करती थी। अपनी सरकार में ही इस अरबो के घोटाले की जांच शुरू करवाने का दावा भले ही कांग्रेस के नेता कर रहे हों मगर जिस प्रकार त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चतुराई से इतने बड़े घोटाले की जांच को न सिर्फ अंजाम तक पहुंचा दिया बल्कि बिना सीबीआई जांच के ही खुद के दम पर एसआईटी को हथियार बनाकर घोटालेबाजों को जेल की सलाखों के पीछे तक धकेल डाला। सूबे के ऊधमसिंहर नगर जनपद में भूमाफियाओं से मिलीभगत कर सफेदपोशों के संरक्षण में जिस प्रकार शासन के सबसे प्रभावशाली अफसरों ने इतने बड़े घाटाले का जाल बुना। जिसमें कहीं किसानों की बंजर जमीनों को उपजाऊ दिखा दिया गया तो कहीं सरकारी जमीन को निजी बताकर करोड़ों का चूना लगाया। गौर हो कि वर्ष 2016 में सामने आये इस भूमि मुआवजा घोटाले को लेकर सियासत भी तेज हो गई थी। चुनाव के दौरान भी भाजपा ने इस मुद्दे को लेकर जोरशोर से आवाज उठायी थी। हांलाकि कांग्रेस ने भी मामले की जांच सीबीआई से कराने की बात कहकर खुद को दूध का धुला दिखाने की कोशिश की। वहीं राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद भी इस घोटाले की जांच को लेकर सियासत होती रही। कभी सीबीआई तो कभी ईडी व आयकर विभाग के अधिकारियों को इसकी जांच में लगाया गया। मगर कुछ बड़ा हासिल करने में सरकार पूरी तरह से विफल साबित हुई। हांलाकि इस बीच कुछ किसानों व आरोपियों ने मुआवजे की रकम सरकार को लौटाना भी शुरू कर दिया। वहीं एसआईटी टीम को जब बड़े अफसरों के घपलों का पता चला तो मामले में बड़ा मोड़ आ गया। आनन फानन में सरकार और शासन ने भी बड़े अफसरों से पूछताछ की इजाजत दे दी गई। हांलाकि कही बार ना नुकुर करने के बाद दोनों ने अपनी गलतियों को तो मानने से इनकार किया लेकिन उनके जवाब में सबकुछ स्पष्ट हो चुका था। इस तरह कांग्रेस सरकार में हुए घोटाले पर भाजपा सरकार ने भी मौके का फायदा उठाते हुए जीरो टॉलरेंस का ब्रह्मास्त्र चलाकर प्रदेश के सियासत में नया इतिहास रच दिया। वहीं भ्रष्टाचार के खिलाफ तत्कालीन जिलाधिकारी और आर्बिटेªटर तैनात रह चुके आईएएस डा- पंकज कुमार पांडे और चंद्रश यादव को निलंबित करते हुए सरकार के कठोर रवैये से पूरे प्रदेश के सरकारी अफसरों में खलबली मचा दी है। इधर आईएएस अफसरों पर निलंबन की कार्यवाही को लेकर विपक्ष ने भी अपनी भौहें चढ़ा ली है। विपक्ष की माने तो सरकार ने इस तरह की कार्यवही कर सिर्फ पीएम मोदी को खुश करने की कोशिश की है।अगले महिने पीएम नरेंद्र मोदी का इंवेस्टर्स मीट में आने का कार्यक्रम है। इसे देखते हुए भाजपा सरकार ने भ्रष्टाचार को लेकर जनता में अपनी सरकार के कठोर होने का संदेश भी दिया है। बहरहाल पूर्ववर्ती सरकारों की तुलना में भाजपा की भुवन चंद्र खंडूरी सरकार की तरह त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार भी भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाने का काम कर दिया।
अफसरों का निलंबन बीजेपी का सियासी स्टंट: कांग्रेस
देहरादून। एनएच 74 भूमि मुआवजा घोटाले में त्रिवेंद्र सरकार की बड़ी कार्यवाही से विपक्षी हैरान है। वहीं कांग्रेस नेताओं ने मुख्यमंत्री के इस फैसले को सिर्फ सियासी स्टंट बताकर मुद्दे से भटकाने का आरोप मढ़ दिया है। विपक्ष का आरोप है कि बड़े नेताओं को बचाने के लिये भाजपा सरकार सिर्फ सरकारी अफसरों को ढाल बनाकर नाच रही है। जबकि असली गुनहगारों को इस जांच की आंच तक नहीं आयी है। किांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि मौजूदा भाजपा सरकार हर मोर्चे पर फेल हो चुकी हैं। अब भ्रष्टाचार के नाम पर जनता के सामने अपनी नाकामियां छुपाने का तरीका ढूंढ रही है। उन्होंने कहा कि सरकार अगर भ्रष्टचार शामिल केंद्र के अफस्रों पर कार्यवाही करना चाहती है तो इसकी जांच सीबीआई से क्यों नहीं करवा रही है। प्रीतम सिंह ने कहा कि भ्रष्टचार की जांच के कांग्रेस सरकार ने कदम उठाया था। आज उसी जांच के आधार पर सरकार ने अब दो वर्ष में आईएएस अफसरों को दोषी माना लेकिन सफेद पोशों को बचा लिया। कांग्रेस प्रवक्ता प्रदीप भट्ट ने कहा कि दो आईएएस अधिकारियों के निलंबन को महज दिखावा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने जल्दबाजी में यह कदम इन्वेस्टर मीट के लिए प्रधाानमं=ी नरेंद्र मोदी के उत्तराखण्ड दौरे को देखते हुए उठाया है। त्रिवेंद्र सरकार में हर दिन भ्रष्टाचार के नए-नए मामले उजागर होते दिख रहे हैं कंतु जिन सफेदपोशों के नाम घोटाले को लेकर सियासत के गलियारों में र्चचा में हैं, उन पर कब कार्यवाही होगी, यह सरकार को बताना चाहिए।