उच्च न्यायालय के फैसले से जोशीमठ के पर्यटन व्यवसाय और कीडाजाडी संग्रहण पर संकट!
चमोली। उत्तराखंड उच्च न्यायालय नैनीताल ने 21 अगस्त को अल वेदनी बागजी बुग्याल संघर्ष समिति चमोली की जनहित याचिका पर पर सुनवाई करते हुए राज्य के सभी बुग्यालों तथा उच्च हिमालय क्षेत्र की घाटियों को ष्ईश्वर के आवासष् की संज्ञा देते हुए छह माह के भीतर उन्हें राष्ट्रीय उद्यान घोषित करने के आदेश दिए हैं। न्यायालय ने तीन माह के अंदर बुग्यालों में बनाए गए स्थायी फाइबर हट्स को हटाने और बुग्यालों में रात में ठहरने पर भी रोक लगाने के आदेश दिए हैं। न्यायालय ने इन बुग्यालों से औषधीय वनस्पति सीमित मात्रा में केवल सरकारी या पब्लिक सेक्टर संस्था से ही एकत्र कराने के निर्देश दिए हैं। न्यायालय ने छह माह में इन बुग्यालों में पाए जाने वाले पादपों का हरबेरियम रिकॉर्ड तैयार करने के भी निर्देश दिए हैं। वेदनी बागजी बुग्याल संघर्ष समिति चमोली की जनहित याचिका पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने गुरु ग्रंथ साहब में लिखे हवा, पानी, धरती और आकाश को भगवान का घर और मंदिर कहे जाने का जिक्र किया। पीठ ने सरकार को प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण के लिए छह सप्ताह में इको डेवलपमेंट कमेटी बनाने का आदेश दिया है। न्यायालय ने कहा कि बुग्यालों में पर्यटकों की आवाजाही सीमित की जाए और 200 से अधिक पर्यटकों का यहां प्रवेश न होने दिया जाए। खंडपीठ ने इन बुग्यालों का व्यावसायिक चारागाह के रूप में उपयोग करने पर भी रोक लगा दी है। इसके साथ ही स्थानीय चरवाहों को सीमित रूप में इससे छूट देते हुए कहा है कि वे एक ही स्थान के बजाय रोटेशन में पशुओं को यहां चराएं। सभी जिला अधिकारियों को छह सप्ताह में बुग्यालों से प्लास्टिक का कचरा, बोतलें आदि साफ करवाने और किसी भी तरह के अतिक्रमण पर सख्ती से रोक लगाने का आदेश भी अदालत ने जारी किया है। पर्यावरण को साफ रखना और उसका संरक्षण, संवर्धन करना अच्छी बात है। बुग्याल बहुत सुन्दर होने के साथ ही बहुत संवेदनशील भी है जिसका संवर्धन करना स्थानीय लोगों के साथ ही स्थानीय साहसिक पर्यटन व्यवसायियों और यहाँ आने वाले पर्यटकों की जिम्मेदारी है। उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन करते हुए श्रीमान प्रमुख वन संरक्षक द्वारा बुग्यालों में कैम्पिंग पर तुरंत प्रभाव से प्रतिबंध लगाने संबंधी कार्यालय आदेश दिनांक 27 अगस्त 2018 को जारी किया कर दिया है जिससे उत्तराखंड में साहसिक पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों की आजीविका खत्म हो गयी है कई स्थानीय लोग अचानक बेरोजगार हो गए है। न्यायालय के इस फैसले से स्थानीय पर्यटन व्यवसायी बहुत नाराज है। चमोली जनपद के जोशीमठ प्रखंड में 2 दर्जन से अधिक साहसिक पर्यटन रूट है और दर्जनों स्थानीय लोगों की आजीविका इस व्यवसाय से जुडी है। साहसिक पर्यटन के इतर हजारों लोगों की आजीविका जोशीमठ क्षेत्र में कीड़ाजड़ी संग्रहण से चलती है और ये जड़ी उच्च हिमालय क्षेत्रों में ही होती है जहाँ से एक दिन में आना जाना-संभव नहीं उच्च न्यालय के आदेश से कीड़ाजड़ी संग्रहण भी नहीं हो पायेगा जिस कारण गांवों के निम्न और उच्च निम्न मध्यम वर्ग के परिवारों की आर्थिकी हासिये पर चली जाएगी! जो की बहुत ही बड़ी बिडम्बना है।