उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बड़ा बयान : हमारी संस्कृति और राष्ट्रवाद के विरोधियों पर प्रतिघात होना चाहिए
गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय में किया तीन दिवसीय वेद विज्ञान एवं संस्कृति महाकुंभ का शुभारम्भ
हरिद्वार (उद संवाददाता)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय में आयोजित महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती पर आयोजित तीन दिवसीय वेद विज्ञान एवं संस्कृति महाकुंभ में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे। उन्होंने कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ किया। कार्यक्रम में राज्यपाल ले.ज. सेनि गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए उप राष्ट्रपति विशेष विमान से वह 10.10 बजे जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे। यहां से वह 11 बजे विश्वविद्यालय परिसर में पहुंचे। यहां उन्होंने समारोह का विधिवत शुभारम्भ किया। उन्होंने कहा कि यहां देवभूमि में आना परम सौभाग्य है। इस विश्व विद्यालय का नाम वर्षों से सुनता रहा हूं आज पहली बार आने का मौका मिला है। आज यहां से एक बड़ा संकल्प लेकर जाऊंगा। गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हमारी संस्कृति और सांस्कृतिक विरासत है। इसके संरक्षण इसके सृजन का मुख्य आधार है भारत की पहचान दुनिया में और हमारे मन में है। पांच हजार हजार साल की संस्कृति की वजह से हैं। हमारे दर्शन का महत्व है इसका यह प्रमुख केन्द्र है। विश्वविद्यालय के छात्रों को मैं निमंत्रण देना चाहता हूं कि वो भारत की नवनिर्मित संसद भवन में आयें और तब उनको आभास होगा कि हम कितने सही बदल गये हैं। हमारे में कितना सकारात्मक बदलाव आया है। उन्होंने कुलाधिपति और कुलपति से छात्रों के समूह को वहां लाने का आहवान किया। महर्षि दयानंद की 200वीं जयंती पर यह आयोजन महत्वपूर्ण है। यह महाकुंभ उनके महान जीवन के लिए हमारी श्रद्धांजलि है। उनके आदर्श हमें हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे। इस महाकुंभ के माध्यम से वेद और विज्ञान को सशक्त करने का महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। समय आ गया है कि हम वेदों में झांकें। चिंता की बात है कि बहुतों ने वेद देखे ही नहीं है। मेरा आग्रह है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को वेद से अवगत करायें। यह हमारे राष्ट्र निर्माण के लिए अहम होगा। आज हमारी महानता को दुनिया समाज रही है। आज नई शिक्षा नीति में सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप हैं। हर भारतवासी को अपनी संस्कृति और विरासत को लेकर गौरव महसूस करना चाहिए। भारतीयता हमारी पहचान है। हम जहां भी जायेंगे हमारी पहचान भारतीयता है। राष्ट्रवाद हमारा परम धर्म है। हमें गर्व होना चाहिए कि हम एक महान राष्ट्र के नागरिक हैं। चिंता और चिंतन का विषय है कि कुछ गिने चुने लोग गौरव तो छोड़िये भारत की महान छवि को धूमिल करने में लगे रहते हैं। या तो वह भ्रमित हैं या पथभ्रष्ट हैं। संस्कृति के विरोधियों राष्ट्रवाद के विरोधियों और अस्तित्व के विरोधियों पर प्रतिघात होना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस महाकुंभ के सार्थक परिणाम सामने आयेंगे। यह कार्यक्रम सामरिक होगा। यहां का संदेश प्रेरणादायक होगा इसकी गूंज हर विश्वविद्यालय में होगी। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता लोकसभा सांसद डॉ. सत्यपाल सिंह ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में राज्यपाल ले.ज. सेनि गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अलावा योग गुरु स्वामी रामदेव, विवि कुलपति प्रो. सोमदेव शतांशु के अलावा कुलसचिव प्रो. सुनील कुमार मंच पर आसीन रहे।