मुख्यमंत्री के निर्देश के तीन दिनों बाद भी हरकत में नहीं आया लोक निर्माण विभाग

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रूद्रपुर। शहर की सड़कों को गîक्का मुक्त बनाने के लिए रुद्रपुर विधायक शिव अरोड़ा द्वारा तय की गई 31 अक्टूबर की डेडलाइन तो टांय- टांय फिस्स होकर रुद्रपुर वासियों को खासा निराश कर चुकी है, पर हाल ही में सूबे के मुखिया पुष्कर सिंह धामी द्वारा राजधानी में लोक निर्माण विभाग के आला अफसरों की मीटिंग में, 30 नवंबर तक राज्य की सभी प्रमुख सड़कों को गîक्का मुक्त करने की डेडलाइन तय किए जाने और तय समय सीमा के भीतर पैच वर्क को पूरा ना करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही की चेतावनी से, रुद्रपुर महानगर वासियों यह आस एक बार फिर जाग उठी है कि उपरोक्त डेडलाइन तक शायद उनके इलाके की सड़कें भी गîक्का मुक्त हो जाएं। अब डेडलाइन में 30 और 31 तारीख नियत किए जाने के पीछे कोई अंक ज्योतिषीय कारण है या फिर महीने की आखिरी तारीख होने के कारण डेडलाइन के लिए इनका इस्तेमाल किया गया है ,यह तो डेड लाइन तय करने वाले ही जाने ,लेकिन इतना अवश्य है कि अगर रुद्रपुर विधायक शिव अरोड़ा की डेडलाइन की तरह ही सूबे के मुख्यमंत्री की डेडलाइन का नतीजा भी ढाक के तीन पात वाला रहा, तो इससे रुद्रपुर के निवासियों को एक बार फिर घोर निराशा का सामना करना पड़ेगा। वैसे देखा जाए तो इस बात के आसार कम ही नजर आते हैं कि मुख्यमंत्री द्वारा सड़कों को गîक्का मुक्त करने बाबत तय की गई डेडलाइन का हश्र ,रुद्रपुर विधायक द्वारा तय की गई डेडलाइन जैसा नहीं होगा। वह इसलिए ,क्योंकि मुख्यमंत्री द्वारा सड़कों को गîक्का मुक्त बनाने के निर्देश जारी किए जाने के तीन दिन व्यतीत होने के बाद भी शहर में लोक निर्माण विभाग हरकत में आता नहीं दिख रहा है। लिहाजा देखने वाली बात तो यह होगी की आने वाले 6 दिनों में लोक निर्माण विभाग सड़कों को गîक्का मुक्त करने की दिशा में कौन सा तीर मार लेता है? हालांकि गुजरे मंगलवार को मुख्यमंत्री द्वारा सचिवालय में लोक निर्माण विभाग की बैठक के दौरान सड़कों को गîक्का मुक्त करने की डेड लाइन तय करने और डेडलाइन तक लक्ष्य ना पूरा करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही प्रस्तावित करने की खबर का ,जो लब्बोलुआब निकलकर सामने आया है, उससे यह कहीं भी दर्शित नहीं होता कि मुख्यमंत्री का उक्त निर्देश पूरे उत्तराखंड की प्रमुख सड़कों को गîक्का मुक्त करने से संबंधित है ,फिर भी मेन स्ट्रीम मीडिया एवं सोशल मीडिया में यह बात जोर-जोर से प्रसारित की जा रही है कि 30 नवंबर तक उत्तराखंड की सभी प्रमुख सड़कों को गîक्का मुक्त बना दिया जाएगा। देखा जाए तो सूबे के मुख्यमंत्री का राज्य की सड़कों को गîक्का मुक्त बनाने का उपरोक्त निर्देश भी ठीक वैसा ही पेंचदार है ,जैसे की रुद्रपुर विधायक की 31 अक्टूबर तक रुद्रपुर शहर की सड़कों को गîक्का मुक्त कर देने का दावा पेंचदार था। क्योंकि रुद्रपुर विधायक द्वारा शहर की सड़कों को गîक्का मुक्त करने की डेडलाइन तय करते समय यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि शहर के किस क्षेत्र की सड़क निर्धारित की गई डेडलाइन तक गîक्का मुक्त बना दी जाएगी। यही वजह है कि रुद्रपुर महानगर की तमाम सड़कें जानलेवा गîक्कों से आज भी भरी पड़ी है। साफ शब्दों में कहें तो सूबे के मुखिया द्वारा जारी सड़कों को गîक्का मुक्त करने के आदेश का अनुपालन समूचे उत्तराखंड में हो पाने के असर तो कम ही है क्योंकि मुख्यमंत्री के इस निर्देश में पेंच ही पेंच नजर आते है।

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