हनुमान ने उजाड़ी अशोक वाटिका,रावण की लंका जलायी
रूद्रपुर(उद संवाददाता)। मुख्य रामलीला में विगत रात्रि श्रीराम लीला में शनिवार रात हनुमान संपाती संवाद, जामवन्त द्वारा हनुमान जी को उनकी शत्तिफयां याद दिलाना, हनुमान का लंका पहुंचना, रावण-सीता संवाद, हनुमान सीता संवाद, हनुमान द्वारा अशोक वाटिका को उजाड़ना, हनुमान-अक्षय कुमार युद्ध, अक्षय कुमार वध, हनुमान- मेघनाद संवाद, मेघनाद द्वारा ब्रहमास्त्र का प्रयोग कर हनुमान जी को बंदी बनाना, हनुमान-रावण संवाद, लंका दहन तक की लीला का का मंचन हुआ। विगत रात्रि की रामलीला का उद्घाटन मुख्य अतिथि क्षेत्रीय विधायक शिव अरोरा ने दीप प्रज्जवलित कर किया। श्री रामलीला मंच पर बतौर अति विशिष्ट अतिथि बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिकों भी पहुंचें। रामलीला कमेटी ने मुख्य अतिथि सहित सभी विशिष्ट अतिथिगणो को माल्यार्पण कर, शाल ओढ़ाकर व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर विधायक शिव अरोरा ने रामलीला कमेटी को विकास कार्यों के लिए पांच लाख देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि पूर्व में की गयी 11 लाख की घोषणा से विकास कार्य शुरू हो चुके हैं। पांच लाख की लागत से और विकास कार्य कराये जायेंगे। श्री अरोरा ने कहा कि प्रभु श्री राम की लीला मर्यादा में रहने की सीख देती है। रामलीला का मंचन तभी सार्थक होगा जब यहां से सभी लोग कुछ सीखकर जायें और रामलीला की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारें। उन्होंने कहा कि रामलीला हमें परिवार में रिश्तों के प्रति मर्यादा का बोध कराती है। रामलीला के सभी पात्र कुछ न कुछ सीख देते हैं। उन्होंने कलाकारों द्वारा किये जा रहे अभिनय की सराहना करते हुए सभी को बधाई दी। गणेश वंदना, राम वंदना एवं हनुमान वंदना के बाद प्रारम्भ हुयी लीला के प्रथम दृश्य में समुंद्र तट पर पक्षीराज संपाती से मुलाकात होती है। संपाति उन्हें बताते हैं कि इस सौ योजन के समुंद्र के बाद सोने की नगरी लंका है, जहां किसी पेड़ के नीचे सीता जी बैठी हैं। हनुमान अथाह समुंद्र देख निराशा से भर उठते हैं और एक शिला पर जा बैठते हैं तो जामवंत जी हनुमानजी के गुणों का बखान करते हैं और तब हनुमानजी को अपनी शत्तिफयों का आभास होने लगता है। अपनी शत्तिफयों का आभास होते ही हनुमानजी विराट रूप धारण करते हैं और समुद्र को पार करने के लिए उड़ जाते हैं। लंका नगरी पहुंचने के बाद हनुमान जी अशोक वाटिका में पेड़ों में छिप जाते हैं। यहां रावण सीता का संवाद होता है, जिसमे रावण राक्षसी धनपालिनी को 2 माह का समय देकर सीता को समझाने को कहते हैं। रावण के जाने के बाद हनुमान जी राम द्वारा प्रद्दत अंगूठी को सीता माता के समीप फेंकते है, जिसे सीता माता पहचान लेती हैं। वह विलाप करती हैं कि राम की अंगूठी को यहां कौन लाया? तब माता सीता से मुलाकात करते हैं और बताते है कि राम भी आपके समान ही व्याकुल हैं। हनुमान की बातों पर सीता जी को विश्वास हो जाता है कि यह सचमुच राम के दूत हैं। सीता जी उन्हें कहती है कि यदि एक मास की अवधि में रघुनंदन यहां आकर उन्हें लिवा न ले गए, तो वह आत्मघात कर लेंगी। हनुमान उन्हें दिलासा देते है। हनुमान जी माता सीता से मिलने के बाद रावण की शत्तिफ का जायजा लेने और उस से मिलकर उसे चेतावनी देना चाहते थे इसके लिए उन्होंने रावण की अशोक वाटिका से फल खाने के बाद उसे नष्ट करना शुरू कर दिया। रावण ने अपने पुत्र अक्षय को बजरंगबली को बंदी बनाने के लिए भेजा, लेकिन हनुमान ने उसका वध कर दिया। फिर मेघनाद हनुमानजी को पकड़ने आया। उसने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। वरदान के कारण राम भत्तफ को कुछ नहीं हो सकता था, लेकिन ब्रह्मा का अस्त्र होने के कारण हनुमानजी खुद उसके बंधनों में बंध गए। रावण दरबार में रावण हनुमान का संवाद होता है। हनुमान रावण को समझाने का प्रयास करते हैं लेकिन दंभी रावण कुछ मानने को तैयार नहीं होता। हनुमान की शत्तिफयों को देखकर व अपने हर प्रश्नों का उत्तर मिलता देख रावण आग बबूला हो जाता है। वह हनुमान को मृत्युदंड देने को कहता है लेकिन विभीषण की सलाह के बाद हनुमान जी की पूंछ में कपड़ा बांधा जाता है और तेल डालकर आग लगाई जाती है और वह अपनी शत्तिफ से लंका जला देते है। आज हनुमान जी की भूमिका में सुशील गाबा, गणेश भगवान की भूमिका में आशीष ग्रोवर, सीता की भूमिका में गौरव जग्गा, अंगद की भूमिका में मोहन अरोरा, नल- हर्ष अरोरा, नील- जय तनेजा, जामवंत – रोहित खुराना, ऋषि- सचिन मुंजाल, मेघनाद-रोहित नागपाल, अक्षय कुमार- अभय भुडडी, विभीषण- सचिन आनन्द, संपाती की भूमिका में राजेन्द्र ग्रोवर, धनपालिनी की भूमिका में नरेश छाबड़ा, जोकर पार्टी राम कृष्ण कन्नौजिया, गोगी नरूला, कुक्कू शर्मा नें शानदार अभिनय कर उपस्थित हजारो जनता का मन मोह लिया। संचालन मंच सचिव संदीप धीर एवं मंच सचिव विजय जग्गा नें किया।