उत्तराखंड वासियों के लिए अब ‘दिल्ली’ हो जाएगी “बहुत दूर”: दिल्ली में केवल बीएस-6 श्रेणी की बसें ही प्रवेश कर पाएंगी

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 सूबे को हो सकता है करोड़ों का नुकसान ,एडवाइजरी जारी होने के बावजूद हाथ पर हाथ धरे बैठ रहे परिवहन विभाग के आलाधिकारी, नाकारा हाकिमो के करतूतो की सजा भुगतगे बस निर्दाेष यात्री
-अर्श-
रूद्रपुर। उत्तराखंड के नाकारा हाकिमों के करतूतों की सजा उत्तराखंड के निर्दाेष बस यात्रियों को भोगनी पड़ सकती है ,क्योंकि आगामी एक नवंबर से उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों के लिए दिल्ली में प्रवेश निषेध हो जाएगा। लिहाजा उत्तराखंड वासियों के लिए अब दिल्ली बहुत दूर हो जाने की आशंका है। बताना होगा कि तकरीबन एक माह पूर्व दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को लेकर एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें यह प्रावधान किया गया था कि आगामी एक नवंबर से दिल्ली में केवल बीएस-6 श्रेणी की बसें ही प्रवेश कर पाएंगी। शेष बसें पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण के मानकों पर खरी न उतर पाने के कारण दिल्ली में प्रवेश नहीं कर सकेंगी। दिल्ली सरकार की उपरोक्त़ एडवाइजरी की जानकारी होते हुए भी उत्तराखंड परिवहन निगम के बड़े अधिकारी गहरी नींद में रहे आए और अब जबकि दिल्ली सरकार ने इस आशय का फाइनल नोटिस जारी कर दिया है ,तो राज्य के परिवहन अधिकारियों में हड़कंप मच गया है और अब वे राज्य सरकार की समक्ष गुहार लगाने की तैयारी में है। हो सकता है कि राज्य सरकार की पहल पर बीच का कोई रास्ता निकल आए, लेकिन अगर दिल्ली सरकार दिनों दिन गहराती पर्यावरण समस्या के दृष्टिगत अगर बीएस-6 बसों को प्रवेश देने के फैसले पर आड़ी रही, तो उत्तराखंड परिवहन निगम की 400 बसों का दिल्ली की सीमा के भीतर प्रवेश मुश्किल हो जाएगा और त्यौहार के सीजन में उत्तराखंड परिवहन निगम के सामने एक बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि दिल्ली मार्ग उत्तराखंड परिवहन निगम के लिए सबसे मुनाफे का मार्ग है, लिहाजा दिल्ली सरकार के एक नवंबर से केवल बीएस-6 श्रेणी की बसों के प्रवेश की अनुमति वाला नियम बनाए रखे जाने से उत्तराखंड परिवहन विभाग को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो सकता है। यहां पर हम अपने पाठकों को अवगत करा दें कि उत्तराखंड परिवहन निगम के पास बीएस-6 श्रेणी की अपनी एक भी बस नहीं है। केवल 150 अनुबंधित सीएनजी बसें ही ऐसी हैं, जो बीएस-6 श्रेणी की हैं। आशय यह कि बीएस-4 श्रेणी की डीजल बसों के दिल्ली में प्रवेश पर एक नवंबर से प्रतिबंध लग जाने के बाद उत्तराखंड की तकरीबन 400 बसों के पहिए दिल्ली राज्य की सीमा पर ही जाम हो सकते हैं। वर्तमान में उत्तराखंड से दिल्ली के लिए करीब 400 बसों का संचालन हो रहा और यह सभी यूरो-4 यानी बीएस-4 श्रेणी की हैं। स्पष्ट है कि अगर बसों के दिल्ली में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा तो उत्तराखंड की बसें दिल्ली सीमा तक ही जा सकेंगी। ऐसे में उत्तराखंड की बसों में रोजाना यात्र करने वाले 30 से 35 हजार दिल्ली यात्रियों को अच्छी खासी परेशानी उठानी पड़ सकती है। बता दें कि तकरीबन 1300 बस बेड़े वाले उत्तराखंड परिवहन निगम की गढ़वाल मंडल की 250 व कुमाऊं मंडल की 150 बसें प्रतिदिन दिल्ली जाती हैं। गढ़वाल की ज्यादातर बसें कश्मीरी गेट आइएसबीटी ,जबकि कुमाऊं की बसें आनंद विहार आइएसबीटी जाती हैं। इसके अतिरिक्त़ दिल्ली में बीएस-4 डीजल बसों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगने से दिल्ली होकर दूसरे राज्यों को जाने वाली उत्तराखंड परिवहन निगम की बसें भी प्रभावित हो सकती हैं। दिल्ली से होकर उत्तराखंड परिवहन निगम की बसें गुरुग्राम, फरीदाबाद, आगरा, जयपुर, अजमेर व अलवर, खाटू श्यामजी आदि शहरों तक जाती हैं। इस समूचे मामले में उत्तराखंड परिवहन निगम के महाप्रबंधक का रवैया बेहद उदासीन रहा आया है। उन्होंने समय रहते दिल्ली सरकार की प्रदूषण संबंधी एडवाइजरी को गंभीरता से नहीं लिया और अब वह मामले को उत्तराखंड सरकार के संज्ञान में लाने की बात कर रहे हैं। महाप्रबंधक दीपक जैन ने मीडिया के समक्ष विभाग का पक्ष रखते हुए कहा कि पर्यावरण प्रदूषण को लेकर दिल्ली की ओर से जारी एडवाइजरी की जानकारी मिली है। अब तक अधिकारिक तौर पर बसों के प्रवेश के रोक का पत्र नहीं मिला है। एडवाइजरी में बीएस-6 बसों के संचालन का जिक्र तो किया गया है, लेकिन पुरानी डीजल बसों पर प्रतिबंध लगाने जैसी बात नहीं थी। इस बारे में पूरी जानकारी लेकर शासन को अवगत कराया जाएगा।

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