उत्तराखंड में पहली बार बनाया जाएगा ‘उपमुख्यमंत्री’ ? कांग्रेस विधायक दल में हो सकती है बड़ी टूट
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी खेल सकती है बड़ा दांव
रूद्रपुर। उत्तराखंड की सियासत सतही तौर पर इन दिनों झील के पानी की तरह शांत भले ही नजर आ रही हो, लेकिन इसके भीतर ही भीतर एक बड़े धमाके की पृष्ठभूमि तैयार हो रही है। सूत्रों की माने तो यह धमाका प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के विधायक दल में एक बड़ी टूट के रूप में सामने आ सकता है। खबर है कि कांग्रेस के एक कद्दावर विधायक एवं दो पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अंदरखाने इस मुहिम को मूर्त रूप देने की जी-तोड़ कोशिश कर रहे हैं और दल बदल कानून से बचने के लिए आवश्यक विधायकों की संख्या का जुगाड़ होते ही बगावत का ऐलान कर दिया जाएगा। राजधानी स्थित भाजपा सूत्रों के अनुसार पार्टी ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने को तैयार बैठे विधायकों को किसी पद से उपकृत करने का कोई प्रत्यक्ष आश्वासन फिलहाल तो नहीं दिया है, लेकिन अगर यह टूट फलीभूत होने पाई तो अपने साथ अन्य विधायकों को तोड़कर लाने वाले, कद्दावर कांग्रेसी विधायक को उत्तराखंड का ‘पहला उपमुख्यमंत्री’ बनाया जा सकता है तथा उनके साथ दल बदल करने वाले विधायकों को हैसियत अनुसार राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों मे दर्जा राज्यमंत्री का पद देकर एडजस्ट किया जा सकता है। उत्तराखंड भाजपा के शीर्ष सूत्रों के अनुसार विपक्षी दलों के राष्ट्रीय स्तर पर लामबंद होकर ‘इंडिया’ गठबंधन बनाने के बाद ,भाजपा ने विगत आम चुनाव में जीती गई सभी लोकसभा सीटों का आंतरिक फीडबैक प्राप्त किया है। इस फीडबैक में उत्तराखंड के कुछ सांसदों का रिपोर्ट कार्ड उत्साहजनक नहीं है। सांसदों के खराब रिपोर्ट कार्ड के मद्देनजर भाजपा ने प्लान आफ एक्शन की एक दूसरी ‘लीक’ पर काम करने की रणनीति तैयार की है। इसके अंतर्गत विपक्ष को इतना कमजोर कर दिया जाएगा कि वह अधिकांश संसदीय सीटों पर सक्षम चुनौती प्रस्तुत करने की स्थिति में ही ना रहे। प्रदेश भाजपा सूत्रों ने आगे बताया कि पार्टी ने उत्तराखंड की सभी लोकसभा सीटों हर हाल में जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है और इस लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए पार्टी ने सारे विकल्प खुले रखे हैं। यही वजह है कि एक सोची समझी रणनीति के तहत राज्य के मंत्रिमंडल का विस्तार फिलहाल मुल्तवी कर दिया गया है, ताकि दलबदल के इच्छुक कांग्रेसी विधायकों को मंत्री पद देने का आश्वासन देकर लुभाया जा सके ।उधर कांग्रेस सूत्रों ने विधायक दल में टूट की संभावना को सिरे से खारिज किया है और इसे भाजपा का ख्याली पुलाव बताया है। कांग्रेस पक्ष के अनुसार ‘इंडिया’ गठबंधन बनने के बाद भाजपा को आगामी लोकसभा चुनाव में हार का डर सताने लगा है। इसलिए वह विधायक दल में टूट की अफवाह फैला कर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ने की कोशिश कर रही है। वैसे देखा जाए तो कांग्रेस का यह तर्क पूरी तरह आधारहीन ही नजर आता है ,क्योंकि बागेश्वर उपचुनाव से पहले कांग्रेस के पार्टी के संभावित प्रत्याशी रंजीत दास को अपने पाले में करके भारतीय जनता पार्टी ने विपक्ष की चुनौती को भोथरा कर देने की अपनी रणनीति का परिचय दे दिया है। कहने की जरूरत नहीं की भारतीय जनता पार्टी की यह रणनीति खासा कामयाब होती भी नजर आ रही है, क्योंकि बागेश्वर में कांग्रेस पार्टी को मजबूत उम्मीदवार ढूंढने में अच्छी खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।