सीबीआई जांच के घेरे में उत्तराखंड के ‘पुराने चावल’
देहरादून। सूबे की राजधानी देहरादून में उत्पादित होने वाला बासमती चावल इन दिनों वैश्विक सुर्खियां बटोर रहा है ।अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विगत दिनों बाईडेन दंपत्ति को उत्तराखंड का मशहूर बासमती चावल गिफ्ट किया है। प्रधानमंत्री के इस कदम से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस कदर गदगद हुए कि उन्होंने बकायदा एक ट्वीट कर प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट में लिखा है कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने उत्तराखंड में उत्पादित होने वाले प्रसिद्ध लंबे दाने के चावलों को अमेरिका के राष्ट्रपति जोबाईडेन जी को उपहार स्वरूप भेंट किए हैं। आदरणीय प्रधानमंत्री जी का उत्तराखंड के प्रति विशेष लगाव है ।आज उन्होंने उत्तराखंड के किसानों और समस्त प्रदेशवासियों को गौरवान्वित महसूस कराते हुए देवभूमि उत्पादित लंबे चावल उत्तराखंड को विश्व पटल पर एक नई पहचान दी है। समस्त प्रदेश वासियों की ओर से कोटि-कोटि आभार आदरणीय प्रधानमंत्री जी! बताना होगा कि उत्तराखंड में उत्पादित होने वाला बासमती चावल अपनी लंबाई एवं विशिष्ट सुगंध के चलते देशभर में पाए जाने वाली चावल की तमाम किस्मों के मध्य एक खास स्थान रखता है। कहा तो यह है जाता है कि बासमती चावल की इस किस्म को अफगानिस्तान से उत्तराखंड लाया गया, लेकिन सुगंधित बासमती चावल की किस्म अफगानिस्तान से लाए जाने वाली थ्योरी से इतर भी,कई ऐतिहासिक जनश्रुतियां उत्तराखंड में प्रचलित है, जिनमें यह माना जाता है कि विशिष्ट खुशबू वाले इस बासमती चावल की उत्पत्ति उत्तराखंड की धरती पर ही हुई । इस मान्यता पर विश्वास करने वाले इतिहासकारों का मानना है कि उत्तराखंड में 16 वीं सदी के कालखंड मंे ही बासमती का जिक्र मिल जाता है। कहा जाता है कि सिरमौर के राजा मौलीचंद्र एवं गढ़वाल के राजा मानशाही के बीच बासमती की वजह से युद्ध भी हुआ था। यह भी कहा जाता है कि बासमती सोलवीं सदी में बद्रीनाथ में भोग में चढ़ाई जाती थी ।इसका जिक्र पावड़ों ,लोक कथाओं, जागरों और लोकगीतों में भी मिलता है। बहरहाल ऐसे समय जबकि उत्तराखंड का बासमती चावल वैश्विक स्तर पर अपनी खुशबू बिखेर रहा है,ऐन उसी समय उत्तराखंड के कुछ ‘पुराने सियासी चावल’ मसलन ,सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, हरक सिंह रावत, कांग्रेस विधायक मदन सिंह बिष्ट व निर्दलीय विधायक उमेश कुमार पर सीबीआई जांच का घेरा अब तंग होने लगा है। जाहिर है कि यदि सीबीआई की जांच सही दिशा में प्रगति करने पाई तो उत्तराखंड के इन सियासी दिग्गजों की राजनैतिक खुशबू उड़ जाने की पूरी संभावना है। वह इसलिए क्योंकि वर्ष 2016 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के दौर में राजनीतिक भूचाल लाने वाले बहुचर्चित स्टिंग ऑपरेशन के मामले में सीबीआई जांच का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है। सीबीआई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत, कांग्रेस विधायक मदन सिंह बिष्ट और स्टिंग ऑपरेशन के सूत्रधार तत्कालीन पत्रकार एवं वर्तमान निर्दलीय विधायक उमेश कुमार के वॉयस सैंपल लेने के लिए नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं। देहरादून में विशेष न्यायाधीश सीबीआई धर्मेंद्र सिंह अधिकारी की अदालत में इस मामले की सुनवाई 20 जून को हुई ।इस दौरान सीबीआई की ओर से अभियोजन अधिकारी सियाराम मीना और सीबीआई इंस्पेक्टर सुशील कुमार वर्मा ने अदालत में एक प्रार्थना पत्र पेश किया, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पूर्व मंत्री डॉ हरक सिंह रावत एवं विधायक द्वय क्रमशः उमेश कुमार व मदन बिष्ट की आवाज के नमूने लेने की अनुमति देने की अपील की गई थी । सुनवाई के दौरान अदालत में बताया गया कि 8 जून को इन्हें नोटिस जारी किए गए थे ,लेकिन अभी तक नोटिस तामील नहीं हुए हैं। इस पर कोर्ट ने इन्हें फिर से नोटिस जारी करने के साथ ही सीबीआई को इसकी पैरवी करने के निर्देश दिए । क्योंकि चार नेताओं में से दो मौजूदा विधायक हैं इसलिए कोर्ट ने दोनों विधायकों को नोटिस तामील करने में तय प्रक्रिया पालन करने का निर्देश भी दिया है। मामले की अगली सुनवाई अब 4 जुलाई को होगी।