सरकारी स्कूलों के जर्जर हो चुके भवनों का होगा पुनर्निर्माण

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रामनगर । सरकार चाहे शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाएं के लाख दावे करती हो लेकिन अगर धरातल पर देखा जाए तो सब कुछ इसके विपरीत है। सरकारी स्कूलों की अगर बात करें तो यहां पर शिक्षा ग्रहण करने के लिए आने वाले बच्चे पूरी तरह सुरक्षित नहीं है कई स्कूलों के भवन बिल्कुल गिरने की स्थिति में है। ऐसे में बच्चे अपनी जान को हथेली पर रखकर यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं तो वही बरसातों में भवनों में पानी आने के कारण भी बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। गरीब इंसान अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा व कम फीस के लिए सरकारी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजते हैं लेकिन कई स्कूलों की स्थिति आज बदहाल हो चुकी है जहां अभिभावक भी अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। गरीब अभिभावक प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेज नहीं सकते क्योंकि प्राइवेट स्कूलों की मनमानी और बेतहाशा फीस इनके आगे आड़े आती है लेकिन अब सरकार और शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में और बेहतर सुविधा देने तथा जर्जर हो चुके स्कूलों के भवनों का पुनर्निर्माण का काम करने का निर्णय लिया है जिसके क्रम में रविवार को तहसीलदार विपिन चंद्र पंत ने शिक्षा विभाग व राजस्व विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों के साथ नगर व ग्रामीण क्षेत्रों के सभी सरकारी स्कूलों का निरीक्षण किया तहसीलदार बिपिन चंद्र पंत ने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा रामनगर शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में 131 स्कूल चिन्हित किए गए हैं जिनको चार श्रेणी में बांटा गया है जिसमें डी श्रेणी में 14 स्कूल शामिल किए गए हैं इन सभी स्कूलों के भवन बुरी तरह जर्जर हो चुके हैं उन्होंने बताया कि ऐसे स्कूलों का पुनर्निर्माण एवं अन्य स्कूलों में रिपेयरिंग व मरम्मत का कार्य शुरू शुरू किया जाएगा क्योंकि आपदा को लेकर भी यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है उन्होंने बताया कि निरीक्षण के बाद यह रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को अग्रिम कार्रवाई के लिए प्रेषित की जाएगी।

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