आखिर हटाये गये राज्यपाल के.के पाॅल..

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देहरादून। आगामी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एकाएक उत्तराखंड की सियासत में नये परिवर्तन का फैसला लेकर मोदी सरकार ने विरोधियों को साधना शुरू कर दिया है। इसका पहला बदलाव देवभूमि उत्तराखंड में कर दिया है। नये राज्यपाल के रूप में इस बार महिला को वरीयता देते हुए बेबी रानी मौर्य को प्रदेश की जिममेदारी सौपी गई है। पूर्व में भी उत्तराखंड की राज्यपाल मार्गेट आल्वा ‘महिला’ रह चुकी हैं। अब जिस प्रकार पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुके वर्तमान राज्यवाल डा. के के पाॅल को हटाये जाने की चर्चायें काफी समय से सियासी गलयारों में तैर रही थी। वह अब सच होने लगी है। पाॅल के कार्यकाल को वस्तार देने की भी चर्चा चली लेकन इन बातों को कोई तवजो देता भी नजर नही आया। आखिरकार भाजपा आलाकमान ने अपने नये फैसले से सभी को चैका दिया है। प्रदेश में महिला राज्यपाल की नयुक्ति की गई है। विपक्ष ने हांलाकि अभी राज्यपाल बदलने को लेकर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है। लेकन दूसरी तरफ यकाएक राज्यपाल को बदलने से सयासी गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। प्रदेश के वकास में राज्यपाल डा. पाॅल ने भी अपना अहम योगदान दिया है। समय समय पर वह समाजक मुद्दों में हस्तक्षेप करने से नही रूके।18 वर्ष 2016 को प्रदेश में सियासी हालात बिगड़ने के बावजूद उन्होंने अपनी कुशल कार्यशैली का परिचय देते हुए स्थितियों को संभाला था। उस दौरान प्रदेश में अल्पावधि के लिये घोषित आपातकाल राष्ट्रपति शासन के दौरान भी राज्यपाल पाॅल ने नियमित रूप से सचिवालय में बैठकर प्रदेश का कामकाज किया। प्रदेश में उनके सफलतम कार्यकाल को हमेशा याद कया जायेगा। अब देखना होगा कि क्या नयी महिला राज्यपाल उत्तराखंड जैसे संवेदनशील और आपदा प्रभावित क्षेत्रों के लिहाज से कितनी सहायक सिद्ध हो पाती है।

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