एवरेस्ट विजेता सविता को दी गई जल समाधि,सविता व नोमी के परिवार को नौकरी देगा निम
देहरादून। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के ट्रेनिंग कैम्प द्रोपदी के डांडा 2 पर एवलांच में दबे 29 प्रशिक्षकों ओर प्रशिक्षुओं में से 26 के शव बरामद कर लिये गए हैं।। शेष तीन की तलाश जार हैं। 4 शव को सेना के हेलीकॉप्टर से पहले हर्षिल उसके बाद सड़क मार्ग से जिला अस्पताल उत्तरकाशी लाया गया। निम के रजिस्ट्रार ने सविता कंसवाल व नोमी रावत के परिवार से एक एक व्यत्तिफ को नौकरी देने का लिखित भरोसा दिया है। अस्पताल में चारों रुपर्वतारोहियों के शवों का पोस्टमार्टम कर विधायक गंगोत्री सुरेश चौहान, गँगा विचार मंच के प्रांत संयोजक , सभासदों, जिला पंचायत सदस्यों, जनप्रतिनिधियों व परिजनों के साथ जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला, पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी, उप जिलाधिकारी चतर सिंह चौहान द्वारा विधिवत श्रद्धांजलि देने के बाद पुलिस प्रशासन द्वारा श्श्ष्गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।इसके बाद शवों को परिजनों को सौंप दिया गया। प्रशासन ने शवों को घर तक पहुंचाने के लिए व्यवस्था की हुई है। सविता कंसवाल को उसकी बुआ शकुंतला प्यार से सुब्बी बुलाती थी। शुक्रवार को सविता का शव जब जिला अस्पताल की मोर्चरी में लाया गया तो उसकी बुआ ए मेरी सुब्बी ले..पुकारते हुए चीत्कार उठी। सविता की बड़ी बहन मनोरमा ने बुआ शकुंतला को ढांढस बंधाया। इसके बाद सविता का शव उसके गांव लौंथरू ले गए जहां परिजनों की सहमति पर उसे जल समाधि दे दी गई। ब्लॉक भटवाड़ी के लोंथरु गांव की सविता कंसवाल ;28द्ध की द्रौपदी का डांडा-2 हिमस्खलन हादसे में मौत हो गई। वह निम के एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स में बतौर प्रशिक्षक शामिल थी। हादसे के तीन दिन बाद शुक्रवार को जब सविता सहित तीन अन्य के शव जिला अस्पताल की मोर्चरी में लाए गए, तो मोर्चरी के पास मौजूद सविता की बुआ शकुंतला अपनी भतीजी का शव पहुंचने की खबर मिलते ही ए मेरी सुब्बी, ए मेरी सुब्बी पुकारते हुए बेंच से गिर पड़ी। जब मृतकों को अंतिम सलामी देने का समय आया तो शकुंतला ताबूत में बंद सविता की मुखड़ी ;चेहराद्ध दिखाने की जिद करने लगी लेकिन उसके चीत्कार को देखते हुए परिजनों ने उसे सविता के अंतिम दर्शन नहीं कराए। इसके बाद शव उसके गांव लौंथरू ले जाया गया। जहां सविता के माता-पिता व ग्रामीणों ने उसके अंतिम दर्शन किए। सविता चार बहनों में सबसे छोटी थी। सविता का शव गांव पहुंचते ही कोहराम मच गया। ग्रामीण राजेश सेमवाल ने बताया कि सविता के पिता की सहमति पर भागीरथी किनारे गांव के पैतृक घाट पर सविता को जल समाधि देकर अंतिम संस्कार किया गया