आईएएस अधिकारियों का बचना मुश्किल
एनएच घोटाले में शासन को एसआईटी टीम की अंतिम रिपोर्ट का इंतजार
देहरादून। एनएच 74 भूमि मुआवजे में घोटाले की जांच कर रही एसआईटी टीम के रडार पर आये आईएएस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई लगभग तय है। सूत्रें की माने तो शीघ्र ही शासन आईएएस अधिकारियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई कर सकता है। एनएच 74 भूमि मुआवजे घोटाले में एसआईटी टीम द्वारा आईएएस अधिकारियों को जांच के दायरे में लेने के बाद आईएएस अधिकारियों की एक लॉबी ने भी इनके बचाव में सरकार पर दबाब बनाया था लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के सख्त रवैय्ये के चलते माना जा रहा है कि शीघ्र ही दोनों आईएएस अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दी जा सकती है। सूत्रें की माने तो आईएएस अधिकारियों द्वारा एसआईटी टीम को दिये गये अपने जवाब से भी इनका बचाव सम्भव नही हैं। एसआईटी टीम द्वारा आईएएस अधिकारियों से की गई पूछताछ में दोनों अधिकारियों ने अपने जवाब का आधार आर्बीट्रेटर एक्ट को बनाकर ही दिया। जिससे आईएएस अधिकारियों के बचने का रास्ता नही निकलता। गौरतलब हो कि पूर्व में गिरफ्रतार पीसीएस अधिकारियों द्वारा भी अपने बचाव में जमीदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम की धारा 143 का हवाला दिया था। जिसमें उनका कहना था कि यह एक न्यायिक प्रक्रिया है और उनके द्वारा न्यायिक प्रक्रिया के तहत ही निर्णय दिये गये थे। लेकिन यह तथ्य देने के बाद भी न्यायालय ने उनका यह तर्क नही माना और उसे घोर लापरवाही करार दिया। यही नही गिरफ्रतार पीसीएस अधिकारियों को अभी तक न्यायालय से जमानत तक नही मिली है। अब आईएएस अधिकारी भी अपने आर्बीट्रैटर के तहत लिये गये निर्णय को न्यायिक प्रक्रिया का अंग बता रहे है और जिसके खिलाफ न्यायालय में अपील की जा सकती है। जिसकी जांच का अधिकार एसआईटी को नही है। विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों अधिकारी जिलाधिकारी रहते हुये आर्बीट्रेटर की भूमिका निभा रहे थे और जिलाधिकारी के पद पर रहते हुये उन्हे अपने कर्तव्यों का भी निर्वहन करना चाहिये था। बहरहाल जांच के घेरे में आये आईएएस अधिकारियों से पूछताछ के बाद एसआईटी टीम शासन को अंतिम रिपोर्ट भेजने की तैयारी में जुटी हुई है। एसआईटी टीम की अंतिम रिपोर्ट आने के बाद शासन इनके खिलाफ क्या कदम उठाता है यह अभी कहना मुश्किल है। लेकिन इतना तय है कि जीरो टालरेंस का दावा करने वाली भाजपा सरकार इस मामले में कोई ढील नही देगी।