उपभोक्ता फोरम के 3.14 लाख के भुगतान के आदेश को उपभोक्ता आयोग ने सही माना

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बीमा कम्पनी द्वारा क्लेम का निपटारा न करने पर भी हो सकता है परिवाद
काशीपुर । उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग ने स्पष्ट किया है कि बीमा कम्पनी द्वारा बीमा क्लेम लम्बित रखने व निपटारा न करने पर भी उपभोक्ता आयोग/फोरम में परिवाद किया जा सकता है और इसे समय पूर्व ;प्री मेच्योरद्ध नहीं माना जा सकता। बीमा कम्पनी की खतरनाक वस्तु परिवहन व समय पूर्व परिवाद की दलीलों कोे न मानते हुये राज्य आयोग ने बीमा कम्पनी की अपील खारिज कर दी। ट्रक दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद उसका क्लेम न देने पर जिला उपभोक्ता आयोग/फोरम, उधमसिंह नगर ने बीमा कंपनी को सात फीसदी ब्याज के साथ क्लेम का 2.99 लाख रूपये देने के आदेश दिए थे। साथ ही मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए 10 हजार और वाद व्यय के लिए पांच हजार रूपये के भुगतान का भी आदेश दिया था। राज्य आयोग ने इस निर्णय व आदेश को बिल्कुल सही मानते हुये उसकी पुष्टि कर दी। काशीपुर की अनुप्रीत कौर सेठी की ओर से अधिवक्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट ने जिला उपभोक्ता फोरम उधमसिंह नगर में परिवाद दायर करके कहा गया था कि उसने स्वरोजगार के लिए ट्रक खरीदा था। इसके लिए उन्होेंने बाजपुर रोड काशीपुर स्थित न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी से पांच लाख रूपये का बीमा कराया था। बीमा अवधि के दौरान ट्रक दुर्घटनाग्रस्त होने से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। बीमा कंपनी के सर्वेयर ने 830466 रूपये का इस्टीमेट बनाया था। सर्वेयर ने आरसी निस्तीकरण न कराने पर 2.99 लाख रूपये भुगतान करने की बीमा कंपनी को संस्तुति की थी। बावजूद इसके बीमा कंपनी ने उसे क्लेम का भुगतान नहीं किया। जिला उपभोक्ता फोरम के तत्कालीन अध्यक्ष आरडी पालीवाल, सदस्य सबाहत हुसैन खान ने नदीम उद्दीन के तर्काे से सहमत होते हुये बीमा कंपनी को सात फीसदी वार्षिक ब्याज के साथ क्लेम का 2.99 लाख रूपये देने और आर्थिक व मनासिक क्षतिपूर्ति के लिए 10 हजार तथा वाद व्यय के लिए पांच हजार रूपये भुगतान के निर्देश दिए। बीमा कम्पनी ने इस आदेश के विरूद्ध अपील सं0 132/2018 राज्य उपभोक्ता आयोग को कर दी। राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष जस्टिस डी.एस. त्रिपाठी तथा सदस्य उदय सिंह टोलिया की पीठ ने अपने निर्णय में बीमा कम्पनी के अधिवक्ता द्वारा बीमित ट्रक द्वारा खतरनाक वस्तु परिवहन तथा बीमा क्लेम कम्पनी द्वारा निरस्त करने से पहले ही समय पूर्व परिवाद की दलीलों को सही न होना मानते हुये जिला आयोेग/फोरम के आदेश को पूर्णतः सही माना।

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