सर्विस ट्रिब्युनल ने निरस्त किया एसएसपी का आदेश

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काशीपुर। उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारी अधिकारियों के सेवा सम्बन्धी मामलों का निर्णय करने वाले विशेष न्यायालय ;ट्रिब्युनलद्ध की नैैनीताल पीठ ने एस.एस.पी. उधमसिंह नगर तथा आई.जी. कुमाऊं नैैनीताल के पुलिस सब इंस्पैक्टर मुकेश मिश्रा के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही में किये गये आदेशों को निरस्त कर दिया। ट्रिब्युनल के वाइस चौैयरमैन (ज्यूडिशियल) राजेन्द्र सिंह की बंेच ने सब इंस्पैक्टर मुकेश मिश्रा की याचिका पर एस.एस.पी. के आदेश को द्वेषपूर्ण, तथ्यों व विधि विरूद्ध मानते हुये तथा आई.जी. के आदेश को महान वैैधानिक त्रुटि मानते हुये निरस्त किया हैै।उधमसिंह नगर में तैनात पुलिस सब इंस्पैक्टर मुकेश मिश्रा की ओर से अधिवत्तफा नदीम उद्ीन ने उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण की नैनीताल पीठ में याचिका संख्या 117 सन 2021 दायर की थी। इसमें कहा गया था कि जब 2019 में वह चौैकी प्रभारी बांसफोड़ान, थाना काशीपुर में नियुत्तफ था तो तथाकथित शिकायतकर्ता रमेश रावत द्वारा दिये गये शिकायती प्रार्थना पत्र उसके विरूद्ध नशे एवं सðे कारोबारियों के साथ संबंध के झूठे व निराधार आरोप लगाते हुये प्रेषित किया गया था। उत्तफ शिकायत पर कार्यवाही से पूर्व उत्तराखंड शासन के शासनादेश 690 जिसमें शिकायतकर्ता की पुष्टि तथा शपथ पत्र प्राप्त करने के बाद ही कार्यवाही का प्रावधान है, का पालन किये बगैर अपर पुलिस अधीक्षक काशीपुर से प्रारंभिक जांच करायी गयी। इस जांच में अवैध रूप से निकाली गयी कॉल रिकॉर्ड के आधार पर शिकायत के आरोपों की पुष्टि न होने का निष्कर्ष देेने के साथ अवैध रूप से अवैध कारोबार मे संलिप्त व्यत्तिफयों के साथ चौकी में उठने बैठने से पुलिस विभाग की छवि धूमिल होने का निष्कर्ष दे दिया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उधमसिंह नगर ने इस प्रारंभिक जांच रिपोर्ट को आधार बनाते हुये सब इंस्पैक्टर को उसका 2019 का सत्यनिष्ठा प्रमाण पत्र रोकने का नोटिस दिया। नोटिस के उत्तर पर विचार किये बगैर ही अपने 12 जून 2020 के आदेश से वर्ष 2019 का सत्यनिष्ठा प्रमाण पत्र रोकने का दण्ड दे दिया। सब इंस्पैक्टर मुकेश मिश्रा ने इसकी अपील आई.जी. कुमाऊं परिक्षेत्र नैनीताल को की लेकिन उन्होेंने भी अपील पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किये बगैर ही आदेश की पुष्टि कर दी तथा अपील खारिज कर दी। इस पर सब इंस्पैक्टर मुकेश मिश्रा द्वारा अपने अधिवत्तफा नदीम उद्दीन के माध्यम से उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण की नैैनीताल पीठ में दावा याचिका दायर की गयी। याचिका में विभागीय दण्ड के आदेश व अपील आदेश को निरस्त करके, उसके आधार पर रूके सेवा लाभों को दिलाने का निवेदन किया गया।याचिकाकर्ता की ओर से नदीम उद्दीन ने विभागीय जांच, दण्ड आदेश व अपील आदेश को अवैध निराधार तथा प्राकृतिक न्याय के उल्लंघन के आधार पर निरस्त होेने योग्य बताया। अधिकरण के उपाध्यक्ष (न्यायिक) राजेन्द्र सिंह की पीठ ने श्री नदीम के तर्कों से सहमत होते हुये वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उधमसिंह नगर के दण्ड आदेश तथा पुलिस महानिरीक्षक कुमाऊं के अपील आदेश को पूर्णतः तथ्यों एवं विधि के विरूद्ध होने के कारण निरस्त होने योग्य मानते हुये निरस्त कर दिया। अधिकरण ने अपने फैसले में स्पष्ट लिखा कि जब जांच अधिकारी को तथाकथित शिकायतकर्ता रमेश रावत नामक व्यत्तिफ दर्शाये गये पते पर न होना पाया गया तथा इससे पूर्व भी उत्तफ व्यत्तिफ के नाम से स्थानीय पुलिस के विरूद्ध द्वेषपूर्ण भावना से शिकायते किया जाना पाया गया था तो इस दशा में याचिकाकर्ता के विरूद्ध जांच कार्यवाही करना पूर्णतः शासनादेश संख्या 690 का उल्लंघन था औैर जो याचिकाकर्ता के इन कथनों की पुष्टि करते हैं कि याचिकाकर्ता वर्ष 2006 से पुलिस सेवा में आने के बाद से पूरी सत्यनिष्ठा, ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करता चला आ रहा है और विपक्षीगण द्वारा द्वेषपूर्ण भाव से उसे क्षति पहुंचाने के आशय से उत्तफ झूठे शिकायती पत्र पर अवैध जांच कराकर याचिकाकर्ता की सत्यनिष्ठा को प्रतिकूल प्रमाणित करने के आदेश पारित किये हैै। अधिकरण ने फैसले में यह भी लिखा है कि पुलिस महानिरीक्षक कुमाऊं क्षेत्र, नैनीताल ने मुकेश मिश्रा की सत्यनिष्ठा के प्रमाण पत्र को रोके जाने के आदेश को पुष्ट किये जाने में महान वैधानिक त्रुटि की है। उपाध्यक्ष (न्यायिक) राजेन्द्र सिंह ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया है कि केवल किसी मोबाइल नम्बर पर बात होने भर से पुलिस की छवि धूमिल होने बाबत कोई प्रतिकूल अर्थ निकाला जाना पूरी तरह विधि विरूद्ध और ऐसे कर्तव्यनिष्ठ एवं ईमानदार अधिकारी को हतोत्साहित करने के तुल्य है, जिसके सम्बन्ध में जांच अधिकारी द्वारा अपनी जांच आख्या में पूर्णतः अनदेखी की गयी तथा अभियुत्तफगण की कॉल डिटेल प्राप्त करने के सम्बंध में सक्षम अधिकारी से अनुमति प्राप्त किये बिना कॉल डिटेल को याची के विरूद्ध पुलिस की छवि धूमिल करने का आधार मानते हुये द्वेषपूर्ण जांच प्रस्तुत की गयी है और इसी द्वेषपूर्ण जांच को आधार पाते हुये वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा याची के विरूद्ध आदेश किया गया हैै।

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