भाजपा में फिर सियासी उबालः धामी सरकार में शामिल सीनियर नेताओं की नाराजगी का विधायक काऊ ने किया भंडोफोड़ !
देहरादून(दर्पण ब्यूरो)। धामी सरकार में शामिल तीन कैबिनेट मंत्रियों की नाराजगी का भंडाफोड़ करते हुए विधायक उमेश शर्मा काऊ ने बड़ा खुलासा करते हुए भाजपा में हलचल मचा दी है। बताया जा रहा है कि सीएम पुष्कर सिंह धामी की तोजपोशी से नाराज हरक सिंह रावत, सतपाल महाराज और यशपाल आर्य भी नाराज हो गये थे। इतना ही नहीं तीन सीनियर नेताओं के शपथ ग्रहण नहीं करने पर अड़ने के बाद खुद केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कई बार फोन पर बातचीत कर मानमनोव्वल किया और सरकार का गठन किया गया। अब इस एक्सक्लूजिव बातो को खुद भाजपा के विधायक द्वारा सार्वजनिक करने से पार्टी में एक बार फिर सियासी ऊबाल आ सकता है। हांलाकि इस बात का खुलासा नहीं हुआ है कि आखिर सीएम पद क रेस में शामिल सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत को मैनेज करने के लिये किसी बड़े बद का आफर तो नहीं दिया गया है। जबकि आगामी विस चुनाव में मौजूदा सीएम पुष्कर सिंह धामी को दोबारा सीएम का चेहरा बनाने का ऐलान भी किया जा चुका है। गौरतलब है कि उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारी के बीच कांग्रेस और भाजपा के नेताओं में सियासी वर्चस्व की जंग भी तेज हो गई है। रही है। ताकि भविष्य के समीकरणों को अभी से साधा जा सके। कांग्रेस पार्टी के राजनीतिक सूत्रों की मानें तो आने वाले दिनों में पार्टी में तमाम नए चेहरे शामिल हो सकते हैं। इनमें उन कुछ बागियों के नाम भी गिनाए जा रहे हैं, जिन्होंने वर्ष 2016 में हरीश सरकार गिराई थी। खास बात यह है कि पार्टी के एक गुट का जोर विशेषकर बागियों की वापसी पर है। जो चाहता है कि पार्टी के भीतर इनकी एंट्री कराकर अपने कुनबे और मजबूत स्थिति में खड़ा किया जाए। एक दिन पहले पूर्व सीएम हरीश रावत बागियों की वापसी पर बड़ा बयान देते हुए कहा था कि लोकतंत्र का अपमान करने वाले महापापी नेता सार्वजनिक माफी मांगते है तो गुण और दोष के आधार पर पार्टी में स्वागत किया जायेगा। हांलाकि हरीश रावत के दलित नेता को सीएम बनाने के बयान के बाद यशपाल आर्य की अचानक घर वापसी के बावजूद हरीश रावत के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे है। माना जाता है कि जब हरीश रावत की सरकार में बागी हुए कई विधायकों को भाजपा में शामिल किया गया तब भाजपा के नेताओं को अपनी सियासी जमीन खतरे में दिख रही थी। जबकि 2017 के विस चुनाव में बागियों को सरकार मे शामिल भी कर लिया गया था। कुछ विधायकों की नाराजगी पिछले दिनों खुलकर सामने आ चुकी है। मार्च 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के साथ नौ विधायकों ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। कांग्रेस की एक अन्य विधायक मई 2016 और यशपाल आर्य वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए। पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल महाराज वर्ष 2014 में कांग्रेस से भाजपा में आए थे। भाजपा ने कांग्रेस पृष्ठभूमि के नेताओं से किया वादा निभाया और सभी को विधानसभा चुनाव में टिकट दिया। मार्च 2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में जब उत्तराखंड में भाजपा की सरकार बनी तो 10 सदस्यीय मंत्रिमंडल में ठीक आधे, पांच मंत्री इन्हीं में से बनाए गए। इनमें यशपाल आर्य, सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल व रेखा आर्य शामिल थीं। इनमें से महाराज व हरक सिंह रावत वरिष्ठता के नाते खुद को मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शुमार कर रहे थे, लेकिन इन्हें मौका नहीं मिला। चार वर्ष के कार्यकाल में त्रिवेंद्र सरकार की छुट्टी के बाद तीरथ सिंह रावत को कमान सौंपी गई तो सभी मंत्रियों को दोबारा सरकार में शामिल किया गया। अब जुलाई में भाजपा में हुए तीसरे नेतृत्व परिवर्तन के लिये युवा चेहरे के रूप में पुष्कर सिंह धामी को सरकार की कमान सौंपने का निर्णय लिया, तब कांग्रेस पृष्ठभूमि के कुछ सीनियर विधायकों की नाराजगी की खबरें सामने आई थीं। तब भी यह चर्चा चली थी कि कुछ विधायक शपथ लेने को तैयार नहीं थे। हालांकि केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद सभी ने एक साथ मंत्री पद की शपथ ने ली। दरअसल हाल ही में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने 2022 का चुनाव न लड़ने का ऐलान किया है। साथ ही हरदा के बयान के बाद बागियों की वापसी की राह आसान नहीं है ।जबकि दूसरी तरफ नेताप्रतिपक्ष प्रीतम सिंह बागियों की घर वापसी के लिये दरवाजे खोल चुके है। ऐसे में चुनाव से पहले कांग्रेस में भी वर्चस्व की जंग तेज हो सकती है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल भले ही बागियों के सम्पर्क में होने का दावा कर रहे है लेकिन दलबदल की जुगलबंदी के बीच पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की नाराजगी से पार्टी में बेचैनी बनी हुई है। किशोर के करीबी समर्थकों की भाजपा नेताओं से हुई मुलाकात को लेकर कांग्रेस के कई नेता उनके मूवमेट पर नजर बनाये हुए है। प्रीतम सिंह का कहना है कि पार्टी में कौन आएगा, कौन नहीं आएगा, यह अधिकार पार्टी हाईकमान के अलावा किसी को नहीं है और जो लोग संघर्ष के समय कांग्रेस से जुड़े रहे वह अब पार्टी को छोड़कर क्यों जायेंगे।
तो क्या राहुल गांधी के घर यशपाल को रोकने गये थे काऊ?
देहरादून। विधायक उमेश शर्मा काऊ ने बुधावार को मीडिया से बातचीत में राहुल गांधी के घर जाने को लेकर बड़ा खुलासा किया है। काऊ ने सफाई देते हुए कहा है कि पार्टी हाईकमान जानता है कि वह कहां और क्यों गए थे। वो राहुल गांधी के घर कांग्रेस में शामिल होने नहीं बल्कि, यशपाल आर्य को कांग्रेस में शामिल होने से रोकने के लिए गए थे। उन्होंने कहा कि विरोधी उनके खिलाफ जो दुष्प्रचार कर रहे हैं, उसमें कोई सच्चाई नहीं है। रायपुर विधायक काऊ यशपाल आर्य के साथ राहुल गांधी के घर गए थे, लेकिन ऐन वक्त पर वहां से निकलकर अनिल बलूनी के घर जा पहुंचे। तब से ही यह खबरें सामने आ रही थी कि काऊ भी कांग्रेस में शामिल होने गए थे, लेकिन अब जो काऊ का बयान सामने आया है, वो कुछ और ही कहानी बता रहे हैं। काऊ की मानें तो वो यशपाल आर्य को कांग्रेस में शामिल होने रोकने के लिए राहुल गांधी के आफिस गए थे। लेकिन, खबरें ये भी हैं कि काऊ भी कांग्रेस में शामिल होना चाहते थे, लेकिन ऐन वक्त पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने उनकी राह में रोड़ा अटका दिया और उनको कांग्रेस ज्वाइन नहीं करने दी। वहीं, दूसरी ओर इस तरह की भी खबरें हैं कि काऊ शामिल होने ही गए थे, लेकिन इस बात की जानकारी अनिल बलूनी को लग गई थी।