भागवत के मंत्रो (भाषा, भोजन, भ्रमण, भूसा, भवन और भजन) के बहाने हरीश रावत ने किये सियासी प्रहार

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विपरीत काम कर रही भाजपाः मगर भाजपा, जब हम यह भजन बनवा रहे थे तो हम पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही थी
देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व सीएम एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के संवाद की सराहना करते हुए सोशल मीडिया के जरिये अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इतना ही नहीं उन्होंने मोहन भागवत के उल्लेखित मंत्रो से अपनी सरकार के कार्यकाल में कल्याणकारी योजनाओं से तुलना करते हुए उत्तराखंड की भाजपा सरकार पर उनके उपदेशों के विपरीत काम करने का आरोप मढ़ दिया है। फेसबुक पर लिखी ऐक पोस्ट के अनुसार पूर्व सीएम हरदा ने कहा है कि आदरणीय भागवत जी के 6 मंत्र, भाषा, भोजन, भजन, भ्रमण, भूसा और भवन। वर्तमान भाजपा सरकार 6 मंत्रों के विपरीत कार्य कर रही है। हमने भाषा संवर्धन के लिए कुमाऊं और गढ़वाल विश्वविद्यालय में गढ़वाली, कुमाऊनी, रंग व जौनसारी भाषा के संवर्धन के लिए अलग विभाग खोला और एक भाषा-बोली संवर्धन संस्थान गौचर में स्थापित किया। पीसीएस के सिलेबस में भी हमने कुछ प्रश्न स्थानीय भाषा और परंपराओं से संबंधित अनिवार्य किये। स्थानीय भाषाओं के सिलेबस तैयार करवाएं, आज भाषा-बोली संस्थान लगभग बंद है। विश्वविद्यालयों व स्थानीय बोली-भाषाओं के डिपार्टमेंट लगभग न के बराबर चल रहे हैं पीसीएस की तो परीक्षा ही नहीं हुई। भोजन दूसरा मंत्र – हमारी सरकार ने परंपरागत अन्न आधारित भोजन को न केवल प्रोत्साहित किया बल्कि गर्भवती महिला पोषण आहार योजना, वृद्ध पोषण आहार योजना, इंदिरा अम्मा भोजनालयों और कई सरकारी विभागों में एक दिन स्थानीय अन्न आधारित व्यंजनों को अनिवार्य कर दिया, जिसे इस सरकार ने बंद कर दिया। हमने व्यंजनों के त्यौहार घी संक्रांति को राज्य के दूसरे महत्वपूर्ण पर्व के रूप में मनाया, जिस परंपरा को वर्तमान सरकार ने बंद कर दिया है। भजन तीसरा मंत्र – हमने श्री केदारनाथ जी व श्री बद्रीनाथ जी और देव स्थलों की महिमा गायन हेतु लब्ध प्रतिष्ठित गायकों व लोक कलाकारों की सेवाएं ली जिनमें कैलाश खेर जी का श्री केदारनाथ पर भजन आज विश्व प्रसिद्ध है। मगर भाजपा, जब हम यह भजन बनवा रहे थे तो हम पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही थी। चैथा मंत्र है भ्रमण – हमने उत्तराखंड को ट्रैकर्स पैराडाइज के रूप में विकसित व प्रचारित किया और लगभग 90 ट्रैक्स, ट्रैकिंग मानचित्र में अंकित किये और मैंने स्वयं पहाड़ों के कोने-कोने को छाना, मंत्रिमंडल की बैठकें भी रोटेट की और केदारनाथ जी तक में हमने मंत्रिमंडल की बैठक की। राज्य का कोई कोना ऐसा नहीं है, जहां मैं न पहुंचा हूंँ। पांचवा मंत्र है भूसा – भूसा मतलब वेशभूषा, आभूषण आदि मैंने परंपरागत वस्त्रों और आभूषणों को न केवल प्रचारित किया बल्कि उनको राजकीय संरक्षण व प्रोत्साहन उपलब्ध करवाएं जो आज नहीं हो रहे हैं। मैंने मुख्यमंत्री न रहने के बाद भी जूम मीटिंग के जरिए उत्तराखंडी वस्त्र-आभूषण प्रतियोगिता आयोजित करवाई, जिसको देखकर आज की सरकार को भी लगा कि ऐसा करना चाहिए। छटा मंत्र भवन का है -यदि भवन से अर्थ स्थानीय शिल्प है तो मैंने न केवल शिल्प को सरकारी भवनों में अनिवार्य किया स्थानीय शिल्प को बल्कि उसके संरक्षण के लिए धनराशि भी उपलब्ध करवाई। कुछ क्षेत्रों में जिनमें गूंजी आदि क्षेत्र हैं, पुरोला है, वहां हमने इन भवन शैलियों को प्रोत्साहित करने के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई। रंवाई, कुमाऊनी और गढ़वाली भवन शैली को संरक्षित करने के निर्देश राज्य संग्रहालय को प्रदान किये। शिल्पियों को पेंशन देकर स्थानीय शिल्प को सम्मान प्रदान किया। ढोल और दूसरे वाद्य यंत्रों के लिए राज्य के दोनों भागों में राज्य वाद्य यंत्र संग्रहालय स्थापित किये। मुझे लगता है यदि स्थानीय आयोजकों ने श्री मोहन भागवत जी को यह बताया होता की पिछली सरकार ने मतलब 2014 से 2016 तक की सरकार ने इन 6 मंत्रों के अनुपालन में अमुक-अमुक कदम उठाये तो श्री मोहन भागवत हमारे सरकार के प्रयासों का जरूर उल्लेख करते हैं, खैर चुनाव का समय है। बहुत सारी अच्छी चीजें व्यक्ति भूल जाता है।

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