उत्तराखंड में केजरीवाल ने लपका बेरोजगारी का मुद्दा!

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हरीश रावत सरकार ने दिया था बेरोजगारी भत्ता
हल्द्वानी। उत्तराखंड में राजनीतिक जमीन तैयार कर रही आम आदमी पार्टी ने चुनाव से ठीक पहले बेरोजगारी के मुद्दे को लपकने का प्रयास किया है। आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सरकार बनने पर उत्तराखंड के बेरोजगारों को पांच हजार रुपये मासिक भत्ता देने की घोषणा की है। पूर्व सीएम हरीश रावत ने उत्तराखंड बेरोजगारी भत्ते की शुरुआत की थी। 2012 में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार ने बेरोजगारी भत्ता शुरू किया था। तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने इंटरमीडिएट से ऊपर की शिक्षा लेने वाले बेरोजगारों को 750 से 1500 रुपये तक भत्ता दिया था। करीब तीन साल बाद बजट के अभाव में भत्ता दिया जाना बंद हो गया है। वहीं अब दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के घोषणा के बाद हर माह पांच हजार रूपये का बेरोजगारी भत्ता देने के लिये बजट की व्यवस्था करना बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। प्रदेश के आठ लाख से अध्कि बेरोजगारों के लिए सालाना 4800 करोड़ बजट की जरूरत होगी। यह भारी भरकम रकम जुटाना किसी भी सरकार के लिए आसान नहीं होगा। पिछले पांच वर्षों में उत्तराखंड में प्रशिक्षित बेरोजगारों की संख्या आठ लाख से अध्कि रही है। 2016-17 में तो संख्या 9.26 लाख तक पहुंच गई थी। बाद में सरकार ने बेरोजगारी भत्ता बंद कर दिया। फिर कोरोना में लाॅकडाउन की वजह से कई युवाओं का पंजीकरण नवीनीकरण की तिथि पार कर गया तो संख्या कुछ कम हो गई। आठ लाख बेसिक डाटा माना जाए तो पांच हजार रुपये प्रति बेरोजगार की दर 400 करोड़ रुपये हर माह जरूरत होगी। विशेषज्ञों की मानें तो यह भारी भरकम राशि जुटाने के लिए सरकार को कई स्तर पर बड़े बदलाव करने की जरूरत पड़ेगी।बेरोजगारी भत्ते की सालाना 4800 करोड़ की राशि उत्तराखंड के कई अहम सेक्टर के बजट से अध्कि है। 2020-21 के लिए उत्तराखंड का बजट 57400 करोड़ रुपये से अध्कि था। इसके साथ ही 50 हजार करोड़ से अध्कि का कर्ज है। बजट में चिकित्सा व अनुसंधन के लिए 3188 करोड़, खेती व अनुसंधन के लिए 1108 करोड़ का प्रविधन किया था। ऐसे में बेरोजगारी भत्ते का बजट दोनों के जोड़ से अध्कि होगा। 4800 करोड़ की राशि प्रदेश के सालाना बजट का 8.36 फीसद है। उत्तराखंड में बजट का 13.03 फीसद सेवानिवृत्त कर्मियों के पेंशन में जाता है। इसके 65 प्रतिशत के बराबर हिस्सा भत्ते में जाएगा।

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